
दिल की किताब में गुलाब उनका था
रात की नींद में ख्वाब उनका था
कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा ..
मर जायेंगे तुम्हारे बिना ये ज़बाब उनका था ..
अनामिका ने अपने आँसुओं को किसी तरह से काबू में किया और अपने पिता जी के आंसू पोछने लगी | साथ ही उन्हें यह एहसास भी दिलाया कि उसने उनकी सारी गलतियों को माफ़ कर दिया है ताकि उनके दिल पर किसी तरह का बोझ ना रहे |
थोड़ी देर के बाद वह भी अपने बिस्तर पर सोने चली गई | लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी उसके मन में अभी भी तरह तरह के प्रश्न उठ रहे थे | मैंने तो पिताजी को माफ़ कर दिया, क्योकि जिन्होंने मुझे ज़िन्दगी दी है उन्हें मुझसे ज़िन्दगी लेने का हक़ तो है ही |
शायद मेरी किस्मत में ही संघर्ष लिखा है | लोग सही कहते है कि ..समय से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता है .., चाहे कितना भी कोशिश किया जाये |
पिता जी ने भले ही मेरी भलाई के लिए ऐसी गलती की हो | लेकिन इसके परिणाम में दो ज़िंदगियाँ बर्बाद हो गई | .. ना मैं शांति से जी सकी और ना राजीव ही ख़ुशी से जी रहा होगा | शायद पिता जी को इस बात का आभास नहीं था |
सोचते सोचते अनामिका की कब नींद लग गई पता ही नहीं चला | लेकिन सुबह ज़ल्दी ही उसकी नींद खुल गई जब उसके कानों में घर के बाहर कुते की रोने की आवाज़ सुनाई दी | लोग कहते है कि कुत्ता का इस तरह रोना कुछ अशुभ घटित होने का संकेत देता है |
वह अचानक अपने बिस्तर से उठी और बाहर जाकर कुत्ते को वहाँ से भगाने की कोशिश करने लगी |
उसी समय अनामिका के फ़ोन की घंटी बज उठी और वह दौड़ कर अपने कमरे में आकर मोबाइल में देखा तो डॉ अस्थाना का फ़ोन था |
अनामिका ने फ़ोन उठा कर गुड मोर्निंग कहा, तभी डॉ साहब ने सूचित किया कि मैं पटना से चल चूका हूँ और करीब एक घंटे में तुम्हारे पास पहुँच जाऊँगा |
थैंक यू डॉ साहब …बोल कर अनामिका ने फ़ोन काटा और इस जानकारी को पिताजी को सुनाने के लिए उनके कमरे में गई | उसने देखा कि पिता जी बिस्तर पर अभी तक सो रहे है
उसने पिता जी को आवाज़ लगाईं लेकिन पिता जी ने आँखे नहीं खोली |
तब अनामिका ने पिता जो को झकझोर कर उठाने का प्रयास किया और तब उसे एहसास हुआ कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे |
वह पिता जी से लिपट कर रोने लगी | तभी रोने की आवाज़ सुन कर घर के सभी लोग जमा हो गए और देखते देखते गाँव में यह खबर आग की तरह फ़ैल गई |
गाँव के सभी बड़े बुजुर्ग और शुभ चिन्तक उसके घर पर इकट्ठा होने लगे |

गाँव वाले आपस में चर्चा कर रहे थे … बाप ने बेटी को तो एक बड़ा डॉ बना दिया लेकिन फिर भी उसकी जान नहीं बच पाई …….सचमुच भगवान् के खेल निराले होते है |
अनामिका को फिर आज सदमा लगा था, लेकिन उसने ज़िन्दगी में इतने सारे सदमों को झेला है कि इस सदमे को भी बर्दास्त करने की उसमे शक्ति आ गई और अपने सारे ग़मों को भुला कर वह एक बेटे की तरह उनके क्रिया कर्म करने की तैयारी में जुट गई |
अकेली संतान होने के कारण एक तरफ वो सारे इंतज़ाम खुद कर रही थी और दूसरी तरफ अपनी माँ को भी सांत्वना दे रही थी |
पिता जी के देहांत के बाद कुछ दिनों तक तो वह खोई खोई सी रहती थी .. …लेकिन फिर अपने संकल्पों को याद कर और दुःख भरी पुरानी बातों को भूल कर नए जोश और संकल्प के साथ अपने काम में लग गई
ज़िन्दगी के घटनाक्रम बहुत तेज़ी से बदल रहे थे और देखते ही देखते अनामिका के सपनो का हॉस्पिटल बन कर तैयार हो गया |
आज इसका उद्घाटन था और इस मौके पर गाँव के सबसे बुज़ुर्ग व्यक्ति रामू काका से उद्घाटन कराया गया | अनामिका ने इस हॉस्पिटल का नाम भी अपने पिता की स्मृति में रखा ….”राजेश्वर मेमोरियल हॉस्पिटल”…
गाँव वाले बहुत खुश थे | एक तो गाँव में हॉस्पिटल होने के कारण उन्हें अब इलाज के लिए गाँव से बाहर नहीं जाना पड़ता था और यहाँ इलाज़ भी इतनी सस्ती और अच्छी थी कि लोग बाहर के गाँव और शहरों से भी यहाँ आने लगे |
देखते देखते इस हॉस्पिटल की चर्चा दूर दूर तक होने लगी | अनामिका फिर एक बार अपने लोक सेवा के कामों में व्यस्त रहने लगी | हॉस्पिटल के लिए पैसों की कोई कमी नहीं थी | लोगों से काफी डोनेशन भी मिलने लगे |
अनामिका ने उत्साहित होकर एक बच्चो का अनाथालय भी खोल दिया और देखते देखते वहाँ भी काफी लाचार और अनाथ बच्चे आ गए | उन बच्चो की सेवा करने में अनामिका को बहुत ख़ुशी की अनुभूति होती थी |
बच्चे भी उसे प्यार से माँ कहते और तब उसके आँखों में आंसूं आ जाते …”ख़ुशी के आँसू” ,..|

उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इतने बच्चो की माँ कहलाएगी | अनामिका के हँसते हुए चेहरे को देख कर लगता कि अब वह अपने ज़िन्दगी से खुश है |
दूसरी तरफ राजीव खोया खोया सा रहने लगा था और उसने अपने स्वास्थ पर ध्यान देना भी छोड़ दिया …बस वह मशीन की तरह अपने ज़िन्दगी को जी रहा था |
कहने को तो वह शादी – शुदा था लेकिन पत्नी आराधना के साथ उसका भावनात्मक लगाव विकसित नहीं हो पाया और दोनों एक दुसरे से कटे कटे से रहने लगे थे |
इन सब मानसिक तनाव का असर उसके स्वस्थ पर भी पड़ा और वह अक्सर बीमार रहने लगा |
इसके बाबजूद भी उसने अपने स्वस्थ पर ध्यान नहीं दे रहा था और उसकी बीमारी दिन ब दिन बढती ही गई |
सच बात तो यह थी कि अब राजीव जीना ही नहीं चाहता था | जब से उसे पता चला कि अनामिका आजीवन शादी नहीं करने का फैसला किया है तो राजीव को बहुत दुःख का अनुभव हो रहा था |
उसे बार बार यही एहसास होता कि उसने अनामिका को धोखा दिया है और मेरे कारण ही उसकी ज़िन्दगी बर्बाद हो गई |
इस तरह राजीव ने अपने शारीर पर ध्यान देना बिलकुल ही छोड़ दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि उसकी तबियत इतनी बिगड़ गई कि वह बिस्तर ही पकड़ लिया |
उसकी ऐसी स्थिति से घबरा कर उसकी पत्नी आराधना राजीव के ना चाहते हुए भी उसे लेकर उस डॉ के पास गई जिससे उसका इलाज चल रहा था |
डॉ ने राजीव को देखते ही उसकी पत्नी से कहा ……मैं तो पहले ही राजीव को बताया था कि उसे कैंसर है और ध्यान से इलाज़ कराना चाहिए | लेकिन इसने लापरवाही की है इसलिए अब तो इसकी हालत बहुत ज्यादा ख़राब लग रही है |
डॉ की बातों को सुन कर उसकी पत्नी ने डॉ के पैर पकड़ लिए और रोते हुए कहा …किसी तरह इन्हें बचा लीजिये डॉ साहब |

मैं एक बार इनका सारे टेस्ट करवा लेता हूँ, और उसके बाद ही मैं इसके इलाज़ के सम्बन्ध में कोई पक्की सलाह दे पाउँगा |
डॉ के बातों को सुनकर आराधना को तकलीफ तो हुआ ही लेकिन साथ ही उसे राजीव पर भी गुस्सा आ रहा था कि अब तक राजीव ने अपनी इस बिमारी के बारे में छुपा कर रखा था |
उसे समझ में नहीं आ रहा थी कि अब उसका और उसके एक साल के बच्चे के भविष्य का क्या होगा ….और ज़िन्दगी का गुजर- बसर कैसे चलेगा ?
दो दिनों के बाद डॉ ने आवश्यक रिपोर्ट आने के बाद आराधना को फ़ोन किया और उससे पूछा …आप के घर में और कोई बड़े बुजुर्ग सदस्य है जिनसे मैं राजीव के बारे में बात कर सकूँ |
आराधना ने घबरा कर पूछा .. क्या बात है डॉ साहब ? इतने बड़े मुंबई शहर में इस वक़्त तो सिर्फ मैं ही राजीव के साथ हूँ और जो भी कहना है आप मुझसे कह सकते है |
इस पर डॉ ने फ़ोन पर ही कहा … राजीव की जांच रिपोर्ट आ चुकी है | मैं आपको बतलाना चाहता हूँ कि इनका बीमारी कैंसर के last स्टेज में पहुँच चूका है |
ऐसी स्थिति में अब दवा का कम दुआ की ज्यादा ज़रुरत है |
मेरी सलाह माने तो इन्हें ऐसी जगह पर ले जाएँ जहाँ इन्हें ख़ुशी महसूस हो सके क्योकि अब ये कुछ दिन के मेहमान है | इसलिए इन्हें खुश रखने की कोशिश करें | अब कोई भगवान् का चमत्कार ही इन्हें बचा सकता है …(क्रमशः)

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Nice
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Too many twists in the story like a TV serial. Anyhow interesting reading.
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thank you sir ..this is a love story with twist and tern.
your comments motivate me to write in a better way .
stay connected and stay happy sir..
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