
एक माटी का दिया है जो सारी रात अंधियारे से लड़ता है,
तू तो भगवान् का दिया है तू किस बात से डरता है
हथेली पर रख कर नसीब तू क्यों अपना मुकद्दर ढूंढता है
सीख उस समंदर से जो टकराने के लिए पत्थर ढूंढता है ….
अनामिका के मन में आशंका घर कर गई थी | उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जो राजीव घंटो रोज़ उससे फ़ोन पर बातें किया करता था, इस तरह एकाएक उसे फ़ोन करना बंद कर देगा |
क्या उसके मन में अनामिका के प्रति कोई बदलाव आ गया है या कोई और बात है ?….वह इन बातों को समझ नहीं पा रही थी और मन ही मन परेशान हो रही थी |
हालाँकि हर बार वह अपने दिल को समझा देती कि शायद राजीव किसी परेशानी के कारण उसे फ़ोन नहीं कर पा रहा है क्योंकि अनामिका को आज भी राजीव पर पूरा भरोसा था |
पढाई – लिखाई में इतनी व्यस्तता थी कि इन सब बातों के लिए अनामिका को ज्यादा समय नहीं मिल पाता था | देखते – देखते दो साल कैसे गुज़र गए पता ही नहीं चला |
यह अनामिका के संकल्प और सच्ची लगन का ही परिणाम था कि वह आज एक कामयाब डॉक्टर बन चुकी थी | उसे अमेरिका में ही बहुत अच्छे अच्छे ऑफर मिल रहे थे |
उसके डॉक्टर फ्रेंड ने यही पर जॉब करके सेटल करने की सलाह भी दिया था | यहाँ अच्छा पैसा था, अच्छी सुख – सुविधा और मनचाहा जीवन साथी भी मिल सकता था |
लेकिन जो नहीं मिल सकता …वह था माँ – पिता जी का स्नेह, प्यार और राजीव जैसा जीवन साथी | इसलिए अनामिका ने अमेरिका से वापस आने का फैसला कर लिया |
अनामिका दो साल के बाद अमेरिका से वापस आई थी | अमेरिका से आते ही उसे बहुत अच्छे – अच्छे हॉस्पिटल से ऑफर आने लगे लेकिन सबों में उसे T.M.H. जमशेदपुर का ऑफर सबसे सही लगा क्योकि यहाँ उसकी ज़िन्दगी उसका इंतज़ार कर रही थी |
हाँ,…राजीव की पोस्टिंग भी तो जमशेदपुर में ही था | वह आँखे बंद कर जमशेदपुर ज्वाइन कर ली और इस खुश – खबरी को देने के लिए वह खुद ही पता करके राजीव के ऑफिस में पहुँच गई |
राजीव के ऑफिस में पहुँचते ही अनामिका के दिल को अचानक झटका लगा | वहाँ के एक ऑफिसर ने बताया कि राजीव तो एक साल पहले ही यहाँ से रिजाइन दे कर किसी MNC फर्म में ज्वाइन किया है और वह शायद अभी मुंबई में है |

अनामिका को सुन कर जैसे चक्कर सा आ गया और वह पास में पड़े कुर्सी पर बैठ गई | कुछ देर के बाद अपने को संभाला और सामान्य हुई |
अनामिका वहाँ से वापस अपने फ्लैट में आ गई | रात हो चुकी थी और नौकरानी खाना डाइनिंग टेबल पर रख कर जा चुकी थी |
अनामिका डाइनिंग टेबल पर रखे पानी को पीया और अपने बिस्तर पर जाकर बेजान सा गिर पड़ी |
भूख समाप्त हो चुकी थी, खाना भी ठंढ़ा हो गया था | अनामिका बस रोये जा रही थी ….समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसके साथ बार बार ऐसा क्यों होता है | मामला कई बार सुलझ कर फिर से उलझ क्यों जाता है ?….
रात भर उसे नींद नहीं आयी | वह करवट बदलती रही और सोचती रही कि उससे ऐसी क्या गलती हो गई है कि राजीव ने अचानक फ़ोन करना बंद कर दिया ?
सुबह जब डोर – बेल बजा तो अनामिका की नींद खुली | उसकी आँखे बोझिल और सिर भारी लग रहा था | उसने किसी तरह बिस्तर से निकल कर दरवाज़ा खोला तो सामने उसकी नौकरानी, झुम्पा थी |
झुम्पा आते ही जल्दी -जल्दी घर के कामों में लग गई और अनामिका नहाने की तैयारी करने लगी | आज हॉस्पिटल में ड्यूटी का पहला दिन है इसलिए समय पर पहुँचना ज़रूरी है |
झुम्पा, उधर चिल्लाते हुए कहा …मेम साहब, आपने रात का खाना भी नहीं खाया ? आप अपने शरीर का ध्यान रखो और समय पर खाना खाओ | यहाँ अकेले रहना है, कोई देखने वाला भी नहीं है |
तुम तो हो ना झुम्पा ..अनामिका ब्रश करते हुए जबाब दिया |
झुम्पा घर का सभी काम बखूबी संभाल रखी थी और अनामिका के हर काम में मदद करती थी |
सुबह सुबह नास्ता के बाद अनामिका हॉस्पिटल के लिए निकल गयी | हॉस्पिटल की सीढियों को चढ़ कर एक बड़े हॉल की ओर जा रही थी तभी उसकी नज़र इधर – उधर परेशान मरीज़ और उसके साथ आये अटेंडेंट पर पड़ी | सब लोग परेशान होकर इधर उधर भाग रहे थे |
अनामिका इस तरह के माहौल को देख कर समझ गई कि यहाँ काफी अव्यवस्था है और जो जिम्मेवारी उसे मिली है उसे सही ढंग से निभाने के लिए सबसे पहले व्यस्वस्था को ठीक करना होगा | इसके लिए उसे काफी मेहनत करनी पड़ेगी |

अनामिका, यहाँ सीनियर डॉक्टर होने के साथ साथ उसे हॉस्पिटल के मैनेजमेंट ग्रुप में भी रखा गया है | अतः अपने ज़िम्मेवारियों को समझते हुए वह अपने चैम्बर में बैठ कर महसूस किया कि हॉस्पिटल में सुधार लाने के लिए अपने कुछ सुझाव यहाँ के MD को देना चाहिए |
इसके लिए ज़रूरी है कि पहले एक मीटिंग बुलाया जाए जिसमे सभी मेम्बेर्स के विचारों को साझा किया जाये |
अनामिका के मीटिंग का प्रस्ताव मैनेजमेंट ने स्वीकार कर लिया और लंच के बाद मीटिंग की गई | चर्चा के दौरान यह फैसला लिया गया कि हॉस्पिटल के रख – रखाव और मरीजो को उचित सुविधा में सुधार लाना ज़रूरी है | और इस सुधार के लिए एक कोर – कमिटी का गठन किय गया, जिसका इंचार्ज अनामिका को बनाया गया |
अनामिका ने अपनी बातों को रखते हुए साफ़ साफ़ एक मेसेज दिया कि सभी लोग ईमानदारी से अपना काम करें और हॉस्पिटल की व्यवस्था को चुस्त दरुस्त रखे ताकि रोगियों को किसी तरह की परेशानी ना हो |
दुसरे दिन से ही असर दिखने लगा और अनामिका भी मन से रोगियों की सेवा में लग गई | देखते देखते छह महीने में ही हॉस्पिटल की काया पलट हो गई |
अनामिका के मेहनत की काफी तारीफ होने लगी | फिर भी अमेरिका और यहाँ के हॉस्पिटल के सर्विस में काफी अंतर था …अनामिका महसूस कर रही थी |
लेकिन अनामिका ने जैसे ठान ही लिया था कि इस हॉस्पिटल के स्तर में सुधार कर जल्द ही इसे यहाँ का बेस्ट हॉस्पिटल बना लेंगे | सब कुछ अपनी गति से चल रहा था और अनामिका भी अब अपने को व्यवस्थित कर लिया था | |
लेकिन अनामिका के जीवन में शायद हादसा पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था | वह तो पिछली सब बातों को भूल कर अब अपना सारा ध्यान मरीजों की सेवा में लगा दिया था |
लेकिन आज जब वह एक मॉल में कुछ खरीदारी करने पहुँची तभी वहाँ उसकी नज़र राजीव पर पड़ी | राजीव सामने से उसी की ओर आ रहा था और साथ में एक औरत भी थी |
अनामिका ने कभी सोचा भी ना था कि अचानक राजीव से इस तरह मुलाकात होगी | साथ में उसके जो औरत थी, उसके मांग में सिंदूर था | वह वेशभूषा और पहनावे से राजीव की पत्नी लग रही थी |

..वैसे तो किसी अनजान को गौर से नहीं देखना चाहिए पर वो राजीव को इतने दिनों के बाद पहली बार देख रही थी और वह भी किसी औरत के साथ |
…अतः ना चाहते हुए भी उस औरत को घुर कर देखने लगी | दिखने में वह बहुत सुन्दर थी और राजीव जैसे स्मार्ट व्यक्ति के साथ जोड़ी अच्छी लग रही थी |
और सबसे बड़ी बात कि वह लड़की ठीक वैसा ही ड्रेस पहन रखी थी जैसा कि राजीव ने मुझे रश्मि के शादी के दिन गिफ्ट किया था | इसलिए मेरा शक तुरंत यकीन में बदल गया कि वह राजीव की पत्नी ही है |
अनामिका को महसूस हुआ कि उसकी सुन्दरता पर मुग्ध होकर शायद राजीव ने मुझे छोड़ने का फैसला लिया होगा |
खैर, मुझे इस तरह उसे घूरते देख कर, उस औरत को कुछ आश्चर्य हुआ | वो मेरी ओर देखते हुए शायद कुछ पूछना चाहती थी |
तभी राजीव अपनी पत्नी के साथ होने के कारण ना मैं ने और ना राजीव ने ही एक दुसरे को टोका, बस अजनबी की तरह एक दुसरे को देख कर आगे बढ़ गए | उसकी पत्नी पीछे मुड मुड कर मुझे ज़रूर देख रही थी |
अनामिका का मन एक बार फिर विचलित हो गया और वहाँ से बिना सामान ख़रीदे ही घर वापस घर आ गई | रात के आठ बज रहे थे और डाइनिंग टेबल पर खाना रखा हुआ था लेकिन आज फिर अनामिका की भूख मर गई थी और वह बिना कुछ खाए पीये ही सीधे बिस्तर में लेट गई और तकिये में मुँह छुपा कर बहुत देर तक रोती रही |
उसने मन में बहुत सारे प्रश्न उठ रहे थे जिसका ज़बाब नहीं खोज पा रही थी | जब भी उसने सोचा कि अब ज़िन्दगी की गाडी पटरी पर आ गई है उसी समय कोई ना कोई हादसा हो जाता है …अनामिका की आँखों से आँसू लगातार बह रही थी | उसे समझ नहीं आ रहा था कि भगवान् मेरे साथ इतना नाइंसाफी कैसे कर सकता है |
उसे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था कि राजीव इस तरह मुझे धोखा भी दे सकता है | आखिर उसकी क्या मज़बूरी रही होगी कि इतना बड़ा अपने ज़िन्दगी का फैसला करने से पहले मुझे एक बार बताया भी नहीं |… मैं दो साल के लिए अमेरिका क्या गई… मेरी दुनिया ही पूरी लुट गई |
लेकिन अब सिर्फ रोने से ज़िन्दगी नहीं चलेगी | अनामिका बिस्तर में लेटे हुए सोचने लगी और फिर एकदम से उठी और अपने आप को संभाला |
वह डाइनिंग टेबल पर बैठ कर मन ही मन एक कठिन फैसला ले ली और फिर पानी पीकर बिस्तर पर आराम करने चली गई | कुछ देर में ही उसकी आँख लग गई |
सबह सुबह उठ कर सबसे पहले अपने मन में किये हुए फैसले के अनुसार एक पत्र हॉस्पिटल के नाम लिखी ..जिसमे अपने निजी कारणों का हवाला देते हुए नौकरी छोड़ने की बात कही गई थी …..(क्रमशः)

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तुम्हारा इंतज़ार है ….8
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Categories: story
Story progressing nicely with all twists and turns. Good going.
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I am glad to see that you are enjoying my story.
Thank you so much sir.. stay connected and stay happy sir..
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सीखना है तो गुलाब के फूल से सीखो ,
खुद टूट कर दो इंसान को एक रिश्ते में जोड़ देता है ..
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Its really an absorbing story full of emotional twists & turns!Quite interesting !Anxiously waiting for turn of events ,Verma Sahiib 💘
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Thank you dear,
There is a link below to go to the next events ..
and you can see complete story ..
Stay connected and stay blessed..
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Sure sir !
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Thank you very much..
I have also posted some memorable events of Rajasthan ,
when I was posted there…
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Ok ,I will go through them!
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