
इश्क की उम्र नहीं होती …. ना ही दौर होता है
इश्क तो इश्क है …जब होता है बेहिसाब होता है
चाहे कितनी भी दुरी हो .. वो दिल के पास होता है
मिलने की कोई उम्मीद नहीं होती है ,
फिर भी मिलने का इंतज़ार होता है …
अनामिका अकेले में कुर्सी पर बैठ , अपनी आँखे मूंदें राजीव के बारे में सोच रही थी …तभी राजीव चुप – चाप सामने आकर खड़ा हो गया और अनामिका के आँखे खुलने का इंतज़ार करने लगा |
तभी माँ ने आकर कहा …अनामिका ! तुम कुर्सी पर बैठे – बैठे क्यों सो रही हो ? अगर नींद आ रही है तो जाकर आराम से कमरे में सो जाओ |
अनामिका की तन्द्रा भंग हुई और चौक कर उसने माँ की ओर देखा और सोचने लगी…क्या यह सपना था, जो मुझे महसूस हुआ था कि राजीव मेरे पास आ कर खड़ा हो गया है |
हाँ , यह सपना ही है | यह मुझे क्या हो गया है कि दिन में भी राजीव के सपने देखने लगी हूँ |
अनामिका के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई और वह अपने कुर्सी से उठी और कमरे में सोने चली गई |
इधर , आज सुबह जब अनामिका की बहन , रश्मि की नींद खुली तो देखी कि अभी सुबह के पांच ही बज रहे है | उसे शायद ख़ुशी के कारण रात में ठीक से नींद नहीं आ सकी |
एक अनजाना सा डर और दिल में ख़ुशी, दोनों का वह एक साथ अनुभव कर रही थी |
आज उसकी बरात आ रही थी …, उसका होने वाला जीवन साथी आ रहा था | सच, घबराहट में रात में ठीक से नींद ही नहीं आयी |
रश्मि कुछ सोचती हुई अपने बिस्तर से उठी और सामने अलमीरा खोल कर स्नान के बाद पहनने के लिए कपडे निकाल रही थी तभी उसकी नज़र अनामिका की लायी हुई गिफ्ट पर पड़ी |
वो ज़ल्दी से गिफ्ट को खोलकर उत्सुकता से देखने लगी | गिफ्ट का पैकेट खोलते ही गिफ्ट देख कर वह उछल पड़ी… उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा |
वो जिस गले की हार खरीदने के लिए पहले से तमन्ना की हुई थी ..वही हार आज अनामिका ने गिफ्ट किया था |
उसमे हीरे भी जड़ें हुए थे | वह उस हार को देख कर ख़ुशी से पागल हो गई और दौड़ कर अनामिका के कमरे में “थैंक यू” कहने पहुँची |
लेकिन अनामिका उसे देख कर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, क्योकि डायरी वाली बात से अभी भी वह गुस्से में थी | उसके रूखे व्यवहार से रश्मि को अजीब सा लगा | पहले तो कभी अनामिका उससे इस तरह पेश नहीं आयी थी |

तभी रश्मि की नज़र अपनी डायरी पर पड़ी जो अनामिका के तकिये के नीचे पड़ी थी |
रश्मि को यह समझते देर नहीं लगी कि उसकी डायरी को अनामिका पढ़ चुकी है और सारी हकीकत पता चल चूका है |
अचानक वह अनामिका के पैर पकड़ ली और क्षमा मांगते हुए कहा …मुझे माफ़ कर दो अनामिका | मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई है | मैं अपने प्यार में अंधी हो गई थी और अपने स्वार्थ के लिए तुम्हे बहुत दुःख पहुँचाया है |
अब बीती बातों को याद करने से क्या फायदा रश्मि | तुमने जैसा चाहा वैसा कर दिया | जिसका परिणाम आज यह हुआ कि इससे ना तुम्हे कुछ हासिल हुआ ना मुझे … .अनामिका ने दुखी स्वर में कहा |
ऐसा मत कहो अनामिका …, अगर मैंने तुम्हारा काम बिगाड़ा है तो मैं ही इसे सही करुँगी | अब मैं किसी भी हालत में राजीव और तुम्हारे बीच की ग़लतफ़हमी को दूर करुँगी |
अनामिका अपना पैर छुडा रही थी लेकिन रश्मि छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी ..बस एक ही बात कहे जा रही थी ….जब तक तुम मुझे माफ़ नहीं कर दोगी , मैं यहाँ से नहीं जाऊँगी |
सुबह सुबह घर के कुछ सदस्य भी जाग चुके थे, इसलिए अनामिका झमेला को आगे ना बढ़ाते हुए कहा …ठीक है रश्मि , मैं तुमको माफ़ करती हूँ और उसके माथे पर हाथ रख कर आशीर्वाद दी |
रश्मि के आँखों में आँसू छलक आये और अनामिका के गले लग कर कुछ देर यूँ ही रोती रही |
फिर दोनों अलग हुए तो रश्मि ने विनती भरे स्वर में कहा …..प्लीज अनामिका, इन सब बातों को राजीव को मत बताना , वर्ना मैं उसकी नज़रों में हमेशा के लिए गिर जाउंगी और मैं उसका सामना भी नहीं कर पाऊँगी |
तुम अपनी छोटी बहन की सभी गलतियों को माफ़ कर दो ….लड़की की बिदाई में तो सभी लोग आशीष देते है, तुम बस मुझे माफ़ कर दो |
रश्मि की भावपूर्ण बातें सुनकर अनामिका के आँखों में भी आँसू आ गए और उसकी सारी गलतियों को माफ़ कर उसे गले लगा लिया | सब कुछ सामान्य हो गया जैसे कुछ हुआ ही ना था |
घर में शादी का माहौल था | बहुत सारे सगे – सम्बन्धी एक जगह जमा हो तो मौज मस्ती अपने चरम सीमा पर होती है |
सुबह से ही बड़े – बुजुर्ग, औरत – मर्द विभिन्न तरह के रस्म निभाने में व्यस्त थे | तो वही जवान लड़के – लड़की अपने सबसे बेस्ट ड्रेस का चुनाव करने में बिजी थे ताकि आज बरात में वो सबसे सुन्दर दिख सके |

लेकिन इसके विपरीत अनामिका को अपने कपड़ो का चुनाव करने और शादी के दिन क्या पहनना है इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी बल्कि उसके दिमाग में तो राजीव ने कब्ज़ा कर रखा था |
अनामिका ने तो मन ही मन पूरा प्लान सोच रखा था कि राजीव से जैसे ही सामना होगा , सबसे पहले उसे उसकी नौकरी के लिए बधाई दूंगी और फिर रश्मि द्वारा पैदा की गई ग़लतफ़हमी को दूर करुँगी |
शाम ढल चुकी थी और चारो तरफ अँधियारा घिर गया था | तभी किसी ने आकर कहा …बाराती आ चुकी है, आप सभी लोग तैयार रहे …
राजीव अभी तक नहीं आया था और अनामिका की नज़रे राजीव को ही ढूंढ रही थी |
उसकी नज़रे दरवाजे पर गई और तभी उसके देखा …. बारातियों के स्वागत के लिए और “समधी – मिलन” के लिए हाथो में माला लिए मामा, पिता जी और कुछ अन्य लोग खड़े थे |
अचानक अनामिका चौक पड़ी जब उसकी नज़र राजीव पर पड़ी …जो हाथ में माला लिए सभी लोगो के साथ बारातियों के स्वागत के लिए खड़ा था |
उसे देख कर अनामिका की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | तभी राजीव की नज़र उस पर पड़ी और वह हाथ हिला कर इशारा किया |
चूँकि भीड़ ज्यादा थी और यह अवसर भी अलग था | इसलिए यहाँ राजीव से बात नहीं हो सकी |
तभी बाजे – गाजे की आवाज़ सुनाई दी और फिर थोड़ी देर में बारात आकर दरवाज़े पर लगी | पटाखों की गडगडाहट के बीच में समधी मिलन का कार्यक्रम शुरू हुआ |
उसके बाद घर की औरतों ने रस्म के तहत दुल्हे का “गाल – सिकाई” और “चुमावन” किया | फिर उसने देखा कि राजीव उस दुल्हे को उठा कर मंडप तक ले आया | सभी लोग इस रस्म को देख कर आनंदित हो रहे थे |
उसके बाद बारातियों के स्वागत के लिए नास्ता और कोल्ड ड्रिंक्स सर्व किया जाने लगा |
अनामिका भी बारातियों के लिए नास्ता का पैकेट देने में सहयोग करने लगी |
इसी क्रम में राजीव का सामना अनामिका से हुआ और आपसी अभिवादन के साथ बातचीत शुरू हुई |
राजीव को अचानक सामने पाकर वह नर्वस हो गई और उसने जो प्लान बनाया था वो सब गड़बड़ हो गया और वो राजीव को बधाई देना ही भूल गई |

तभी राजीव ने कहा …हेल्लो, कैसी हो अनामिका ?
मैं बिलकुल ठीक हूँ राजीव….. अनामिका खुश होते हुए ज़बाब दिया |
तुम्हारी पढाई लिखाई कैसा चल रही है ?…राजीव अनामिका से बातों के क्रम में पूछा |
मुझे उम्मीद है कि फाइनल की परीक्षा में तुमसे ज्यादा अंक ला पाऊँगी ….बोल कर अनामिका हँसने लगी |
वैरी गुड़, इंसान को ज़िन्दगी में तरक्की करने के लिए पढाई में स्पर्धा करना ज़रूरी है | मैं दुआ करता हूँ कि तुम जो चाहती हो वो सब तुमको मिले …राजीव ने कहा |
तुम बिलकुल गलत बोल रहे हो ? इसका मलतब मेरी इच्छा क्या है, तुम्हे पता ही नहीं है ? …अनामिका ने राजीव कि तरफ देखते हुए कहा |
मुझे सब पता है अनामिका , लेकिन मुझे यह मंज़ूर नहीं कि तुम अपने माँ बाप की इच्छा के विरूद्ध मेरी जीवन संगिनी बनो |
और अगर मैं अपने माता पिता को मना लूँ तो ? …अनामिका उसका मन टटोलने के लिए पूछा |
मैं तो पहले से ही तुम्हारा हूँ लेकिन शायद तुम्हे इसका अहसास नहीं है |
ऐसा मत बोलो राजीव | कुछ परिस्थिति के कारण हमारे बीच गलफहमी पैदा हो गई थी और मैं तुम्हे आज तक गलत समझती रही |
आज सभी बातों का खुलासा हो गया और हमारे मन में तुम्हारे प्रति जो कटुता थी वह समाप्त हो चुकी है |
थैंक यू अनामिका …राजीव खुश होते हुए कहा |
मन के सारे भ्रम और गिले – शिकवे अब दूर हो चुके थे |
आज शादी तो रश्मि की हो रही थी लेकिन सबसे ज्यादा खुश तो अनामिका थी |
ख़ुशी का कारण भी था …, जिसे वह अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझती थी, राजीव मेरे मेडिकल में दाखिला लेने पर आज ख़ुशी ज़ाहिर की और उसने एक सुन्दर सा ड्रेस भी मुझे गिफ्ट किया हैं …|
आज शादी के शुभ अवसर पर मैंने उसी ड्रेस को पहनने का फैसला किया है…..(.क्रमशः)
पलकों पे रूका है समंदर खुमार का
कितना अजीब नशा है तेरे इंतज़ार का

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तुम्हारा इंतज़ार है ….6
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
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Categories: story
The writer generally ties up all the loose ends at the end of the story. But you have tied up the loose end in this blog. Are there more twists and turns in the story or is the story is nearing its end? Waiting for the next episode..
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yes sir, There are many ups and downs in life. This story also tells the same.
thanks for your support and encourage me .stay connected sir..
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पैसों से मिली ख़ुशी कुछ समय के लिए रहती है …
लेकिन अपनों से मिली ख़ुशी जीवन भर साथ रहती है …
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