
भला हो उस इंसान का जिसने ना सिर्फ संदीप के ट्रेन का टिकट कटा दिया, बल्कि इतनी भीड़ – भाड़ वाली बोगी में बैठने के लिए जगह भी दिया | उसी के साथ बात करते हुए दो दिनों का सफ़र कैसे बीत गया ,पता ही नहीं चला |
सुबह के सात बज रहे थे और ट्रेन बिलकुल सही समय पर अपने गंतव्य स्टेशन पर पहुँच गया |
संदीप ने सफ़र के उस साथी को धन्यवाद दिया और अपना बैग लेकर प्लार्फोर्म नम्बर एक पर उतर गया |
प्लेटफार्म के बाहर ज्योंही निकला सामने बजरंग बाली के मंदिर पर उसकी नज़र पड़ी | वह भगवान् के मंदिर में माथा टेकने पहुँच गया |
उसी समय उसके मोबाइल पर रिंग टोन सुनाई पड़ा | शायद कोई मेसेज आया होगा …ऐसा सोच कर संदीप मोबाइल के मेसेज को चेक किया तो चौक गया |
जिसका डर था वही हुआ …सच, संदीप की नौकरी चली गयी | बिना छुट्टी स्वीकृति के ऑफिस छोड़ने के कारण उसके विरूद्ध कार्यवाही के तहत उसे बर्खास्त कर दिया गया था |
वह मंदिर परिसर में ही सिर पकड़ कर बैठ गया और आँखों में आँसू लिए भगवान् की तरफ देखा |
वह भगवान् के समक्ष हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और मन ही मन कहा …और कितने परीक्षा लोगे प्रभु | अब तो अपनी कृपा दिखाओ |
वह मंदिर से निकल कर दुखी मन से सोफ़िया के घर की ओर चल दिया | उसे पता था कि घर के सभी लोग उसी के पास है |
सोफ़िया का घर स्टेशन से कुछ ही दूर पर था , इसलिए रिक्शा से तुरंत ही पहुँच गया |
सबसे पहले संदीप की नज़र अपनी माँ पर पड़ी और उसने माँ पैर छू लिए | माँ ने आशीर्वाद दिया और साथ ही पूछ लिया….तू उदास क्यों है बेटा ? घर आकर तो लोग खुश होते है |
हाँ माँ, अभी अभी कंपनी से मेसेज आया है | उन्होंने मुझे नौकरी से निकाल दिया है …संदीप दुखी स्वर में बोला |

लेकिन क्यों?….माँ ने आश्चर्य से पूछा |
प्रोबेशन में छुट्टी का नियम नहीं है और मैं बिना छुट्टी के ही घर आ गया |
बातें हो ही रही थी कि सभी लोग वहाँ इकट्ठा हो गए और इस समाचार को सुन कर दुखी हो गए |
थोड़ी देर के लिए बिलकुल सन्नाटा छा गया | एक और दुःख का पहाड़ टूट पड़ा था |
कितनी मुश्किल से यह नौकरी मिली थी और मेरे कारण तुम्हारी वो नौकरी चली गई…राधिका ने दुखी होते हुए कहा |
नहीं राधिका, इसमें तुम्हारा क्या दोष है ? वक़्त के आगे सभी लोग मजबूर होते है | अभी बुरा वक़्त चल रहा है तो क्या हुआ | फिर अच्छा वक़्त भी आएगा ….संदीप ने राधिका की ओर देख कर कहा |
चलो भैया ,पहले नहा – धो कर कुछ खा लो | इस कठिन यात्रा से थकान हो गई होगी ….रेनू तौलिया देते हुए संदीप से बोली |
संदीप कपडे लेकर बाथरूम में चला गया तभी घर का कॉल बेल बज उठा | सभी कोई आशंका से एक दुसरे को देखने लगे | जब बुरा वक़्त चल रहा होता है ना ..तो दिमाग में सारे नकारात्मक और उल्टे ख्याल ही आते है |
खैर , सोफ़िया ने जाकर दरवाज़ा खोला तो वकील साहब सामने खड़े थे | उनको देख कर सोफ़िया ने राहत की सांस ली और कहा….अच्छा हुआ आप भी आ गए | मैं आप को ही फ़ोन करने वाली थी |
मैं तो यह बताने आया था कि सारे कागजात थानेदार को दे आया हूँ और वो किसी भी समय तहकीकात करने के लिए यहाँ आ सकते है … वकील साहब ने सोफे पर बैठते हुए कहा |
ठीक है वकील साहब, मैं चाय लेकर आती हूँ….बोल कर सोफ़िया किचन में चली गई |
थोड़ी देर के बाद सोफ़िया चाय लेकर आई और तब तक संदीप और बाकि लोग भी आकर वकील साहब के सामने बैठ गए |
थाना में जमा किये गए कागजात की कॉपी सोफ़िया को देते हुए वकील साहब ने कहा …आप लोग इसे ध्यान से पढ़ कर समझ लीजिये | जब थानेदार साहब तहकीकात के समय कुछ पूछे तो वैसा ही ज़बाब देना है |
संदीप कागज लेकर ध्यान से देखने लगा और फिर बोला…यह तो ज़बाब सही दिया गया है , लेकिन राधिका के पिता अगर पुलिस को पैसे खिला कर हमलोगों को परेशान करने की कोशिश करेंगे तब हमें क्या करना होगा ?

इस बार सोफ़िया ने कहा …इन सब बातों का बस एक ही जबाब है , तुम जितनी जल्द हो सके मैरिज ब्यूरो में अपना मैरिज रजिस्टर्ड करवा लो |
बिलकुल ठीक कह रही है सोफ़िया जी …वकील साहब संदीप की ओर देखते हुए कहा |
संदीप बोला ….मैं तो चाहता हूँ कि राधिका को लेकर उसके पिता के पास एक बार जाऊँ और उनसे ही राधिका का हाँथ मांग लूँ | शायद उनका गुस्सा शांत हो जाए और वो तैयार हो जाएँ |
नहीं नहीं, ऐसा मत करना, वह इस रिश्ते को कभी नहीं मानेंगे …माँ ने तो साफ़ मना कर दिया |
काफी माथा पच्ची करने के बाद अंत में सब लोग इसी नतीजे पर पहुँचे कि रजिस्टर्ड – मैरिज करना ही इस समस्या का समाधान है |
लेकिन अभी तो मैं बेरोजगार हूँ , राधिका हमसे शादी क्यों करेगी …संदीप ने मज़ाक से कहा |
अभी मजाक करने का समय नहीं हैं संदीप ….राधिका नाराज़ होते हुए बोली |
तभी कॉल बेल की आवाज़ सुनाई दी और सभी लोग शांत हो कर उस ओर देखने लगे |
सोफ़िया ने जाकर दरवाज़ा खोला तो देखा, सामने थानेदार साहब खड़े है |
वकील साहेब को वहाँ देख कर थानेदार साहब बोल पड़े …..आप भी यहाँ मौजूद है ?
जी थानेदार साहब , हमने तो पुरे पेपर थाना में ज़मा करवा दिए थे …वकील साहब ने कहा |
इसलिए तो तहकीकात करने आये है …थानेदार साहब ने जबाब दिया |
थानेदार भला आदमी लग रहा था, उन्होंने बारी बारी से सब लोगों के बयान को कलमबद्ध किया |
तभी चाय आ गई और सभी लोग चाय पिने लगे |
चाय पिने के बाद संदीप के बयान की बारी आई | संदीप ने कहा …मुझ पर राधिका के अपहरण का इल्जाम तो बिलकुल झूठा है | मैं तो आज ही मुंबई से आया हूँ और सबूत के तौर पर ट्रेन का टिकट और कंपनी द्वारा भेजे गए अपने मोबाइल पर मेसेज को भी दिखाया |
आप इसका भी प्रिंट निकाल कर अपने बयान के साथ मुझे दीजिये | मुझे अब पूरा मामला समझ में आ चूका है | राधिका के पिता ने आप सब लोगों को परेशान करने के लिए यह झूठी शिकायत दर्ज कराई है |
सभी का बयान लेने के बाद थानेदार साहब उठ कर चलने लगे | तभी संदीप ने उनसे पूछा …अब मुझे अपने घर में रहने में कोई परेशानी तो नहीं होगी ?
नहीं नहीं , आप आराम से अपने घर में जाकर रहिये …थानेदार साहब ने आश्वासन दिया |
ठीक है थानेदार साहब , हम कल ही संदीप के मोबाइल का प्रिंट और ज़रूरी कागजात आप के पास जमा करा देंगे….सोफ़िया ने कहा और थानेदार को गेट तक छोड़ने आई | थान्रेदार जब जाने लगा तो सोफ़िया ने एक पैकेट थानेदार के हाथो में चुपके से थमाई और कहा ….यह चाय पानी के लिए है | इसे आप रख लीजिये |

थानेदार ख़ुशी ख़ुशी चला गया और सोफ़िया ने राहत की सांस ली |
अन्दर आते ही सोफ़िया अपने वकील से बोली…राधिका मेरी बहन है ,इसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए | आप ज़रूरी कागजात बना कर थाना और कोर्ट जहाँ भी ज़रुरत पड़े आप प्रस्तुत कीजिये ताकि हमलोगों किसी भी तरह से क़ानूनी झंझट से दूर रह सकें |
एक बात और , अब संदीप भी आ ही चूका है तो कल ही मैरिज ब्यूरो में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन भी जमा करवा दीजिये |
लेकिन सोफ़िया जी, कोर्ट, थाना और मैरिज के चक्कर में तो काफी पैसो की ज़रुरत पड़ेगी और अब तो मेरी नौकरी भी नहीं रही |
देखो संदीप, अब मैं भी अपने को तुम्हारे घर का ही सदस्य समझती हूँ | इसलिए इन सब बातों की चिंता तुम मत करो | मैं तुम लोगों से बड़ी हूँ , इसलिए बड़ी बहन का फ़र्ज़ अदा करने दो …सोफ़िया ने भावुक हो कर कहा |
मैंने तो बेकार में ही तुम पर शक किया था …राधिका ने प्यार से सोफ़िया को देख कर कहा |
चलो अच्छा है, तुम्हारी वहम तो दूर हो गई | और हाँ एक प्लान और है मेरे पास ..सोफ़िया ने संदीप की ओर देखते हुए कहा |
संदीप आश्चर्य से सोफ़िया की ओर देख कर पूछा… कैसा प्लान ?
मैंने अपने बेटे के स्कूल के प्रिसिपल से तुम्हारी नौकरी की बात पक्की कर ली है | तुम चाहो तो कल से ही वहाँ ज्वाइन कर सकते हो …सोफ़िया खुश हो कर बोली |
कल से मुझे भी अंकल पढ़ाना शुरू करेंगे क्या ?……..सोफ़िया का बेटा बीच में बोल पड़ा |
हाँ हाँ, क्यों नहीं….मैं तो आज से ही तुम्हे पढ़ाना शुरू कर देता हूँ …संदीप उसके सिर पर प्यार से हाथ रख कर कहा |
आज तो तुम खुद ही यात्रा से काफी थक चुके हो, मेरा राजा बेटा कल से पढ़ेगा ….सोफ़िया बेटे को समझाते हुए बोली |
संदीप सोफ़िया से कहा ….सच, आप ने तो हर कदम पर मुझे मदद किया है चाहे मेरी समस्या हो या मेरे परिवार की | आप का यह उपकार हमेशा याद रखूँगा |
और संदीप अपने परिवार को लेकर अपने घर जाने को तैयार हो गया |
सोफ़िया की इच्छा नहीं थी कि संदीप परिवार को लेकर अपने घर चला जाये, लेकिन सामाजिक बदनामी के कारण उनलोगों को रोक नहीं सकी …(क्रमशः) |

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Interesting though sometimes the story seems dragging a bit. Nevertheless enjoyable reading.
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yes, sometimes it drags but it is expected from new writer .
thanks for your compliment . stay connected and continue to write your feelings..
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thanks you sir ,tell something about my drawing and paintings also..//
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