तलाश अपने सपनों की …8

संदीप अचानक ही चिंतित हो गया,  जब कंपनी के डायरेक्टर ने घोषणा किया कि सभी सफल प्रतिभागी को कल ही  मुंबई के लिए रवाना होना होगा |

और सबसे बड़ी मुसीबत कि तीन महीने तक घर भी जाने की अनुमति नहीं मिलेगी |

मेरा तो घर के सभी लोगों को नौकरी का सरप्राइज देने का प्रोग्राम ही फेल  हो जायेगा और इतने दिनों तक यह बात घरवालों  से छिपा कर भी नहीं रख सकता |

माँ को तो मेरे लिए चिंता कर के  बुरा हाल हो जाएगा |

इन्ही सब बातों को सोचता हुआ, वह कंपनी के गेस्ट हाउस में डिनर कर कर रहा था |

सभी दोस्त लोग वहाँ बहुत खुश नज़र आ रहे थे सिर्फ संदीप ही डिनर टेबल पर एकदम शांत बैठा  किसी गहन सोच में डूबा हुआ था |

तभी उसने मन ही मन फैसला किया कि अपनी बहन रेनू को फ़ोन करके सारी बाते बता देता  हूँ और फिर उसी समय रेनू को फ़ोन लगा दिया |

इस बार रेनू का फ़ोन कनेक्ट हो गया और उधर से आवाज़ आयी….हेल्लो भाई, तुम कैसे हो ?

रेनू, मैं तुम्हें एक खुशख़बरी देना चाहता हूँ …उसने कहा |

कैसी खुशख़बरी भैया …रेनू  जिज्ञासा से पूछी |

तुम्हारे भाई को एक कंपनी में नौकरी लग गई है …संदीप खुश होता हुआ बोला |

क्या ? सच भैया ? यह तो बहुत बड़ी  ख़ुशी की बात है | मैं अभी माँ को बताती हूँ …रेनू ने माँ को आवाज़ लगा दी |

माँ बिस्तर पर सो रही थी,  अचानक रेनू की चिल्लाहट भरी  आवाज़ सुन कर  अपने बिस्तर पर उठ बैठी और कहा …इतनी रात को क्यों शोर मचा रही हो |

शोर मचाने वाली बात ही है माँ, और रेनू  माँ के पास मोबाइल लेकर दौड़ते हुए पहुँच गयी |

माँ ने रेनू के चहरे के भाव देख कर समझ गयी कि संदीप के बारे में ही बात कर रही है | इसलिए रेनू की तरफ देखते हुए कहा …क्या संदीप की नौकरी लग गयी ?

माँ की बात सुन कर रेनू चौक पड़ी औए आश्चर्य से उसको देखते हुए पूछी …..तुम्हे कैसे पता चली माँ ?

अरे, मैं उसकी माँ हूँ,  पुरे नौ महीने पेट में रखा है उसे | मैं तो उसकी आँखे देख कर बता सकती हूँ कि उसके मन में क्या चल रहा है |

मुझे तो कल ही पता चल गया था कि  दोस्त के घर जाने का वह बहाना बना रहा है | चलो यह बहुत अच्छी खबर है | भगवान् उसे सुखी रखे  …माँ ने  खुश होते हुए कहा |

फ़ोन पर माँ की बातें संदीप सुन रहा था और मन ही मन मुस्कुरा रहा था |

फिर उसने रेनू से बात करते हुए कहा ….तुम यह खबर अभी राधिका को मत बताना | मैं वहाँ आकर उसे सरप्राइज (surprise) देना चाहता हूँ |

ठीक है भैया, मैं यह खबर को गुप्त रखूंगी … रेनू ने कहा |

ठीक है रेनू …अब मैं फ़ोन disconnect करता हूँ , गुड नाइट …और बोल कर फ़ोन बंद कर दिया |

फ़ोन से बात करके संदीप का मिज़ाज ठीक हो गया और ख़ुशी ख़ुशी अपने कमरे में सोने चला गया |

लेकिन उसे  गेस्ट हाउस के इस मुलायम बिस्तर  पर नींद नहीं आ रही थी , शायद इतने आरामदायक बिस्तर और air condition वाली रूम में सोने की आदत जो नहीं थी  | वह बिस्तर पर पड़ा भविष्य की कल्पनाओं में खो गया |

राधिका को ना जाने कितनी ज़िल्लत मेरे कारण अपने घर में उठानी पड़  रही है | एक तो जातिवाद और दूसरा मेरी दयनीय आर्थिक स्थिति,  इन कारणों से ही मुझ को राधिका के  घर में कोई पसंद नहीं करता है |

हालाँकि इस बात की मुझे सांत्वना थी कि राधिका की  माँ खुली विचारों वाली अच्छी औरत थी जो अपनी बेटी के मनःस्थिति को अच्छी तरह महसूस करती थी | इन्ही सब बातों को सोचते सोचते उसे नींद आ गयी |

सुबह में हल्ला हंगामा सुन कर संदीप की आँखे खुली और उसने देखा कि उसका रूम पार्टनर जाग चूका है और सामने कुर्सी पर बैठ कर चाय का चुस्की ले रहा है |

उसने संदीप को देख कर गुड मोर्निंग कहा और चाय का एक प्याला उसकी ओर भी बढाया |

संदीप आश्चर्य से बोल पड़ा …इतनी सुबह चाय कहाँ से आ गई ?

रूम पार्टनर संदीप को देख कर मुस्कुराते हुए बोला …प्रिय मित्र, तुम्हे अब महसूस होना चाहिए कि  तुम एक शानदार कंपनी के एम्प्लाई (employee ) हो  |

इन  सब सुविधाओं की चिंता कंपनी तो करेगी ही न |

और फिर उस के पार्टनर ने चाय समाप्त कर बोला …. अब मैं स्नान करके जल्दी से आता हूँ , फिर तुम भी स्नान कर  तैयार हो जाना | 

एक घंटे के अंदर हमलोगों को  तैयार रहने को कहा गया है | उसके बाद ऑफिस की गाड़ी आएगी और हम सभों को एअरपोर्ट ले जा कर छोड़ेगी |

मुंबई  की यात्रा हम सब को हवाई जहाज से करनी है , इसलिए दो घंटे पहले ही एअरपोर्ट पहुँचना  पड़ता है | 

हालाँकि संदीप के लिए तो हवाई जहाज से यात्रा करने का यह पहला अनुभव होगा, वह तो  यह  सोच कर ही रोमांचित  हो गया कि आज पहली बार हवा में तैरता हुआ मुंबई पहुँच जाएगा |

हवाई जहाज़ की यात्रा के बारे में जो दूसरों से सुन रखा है, आज उसका अनुभव वह खुद करेगा |

ऐसा सोच कर वह मन ही मन ख़ुशी से झूम  उठा और  संदीप  तुरंत बिस्तर को छोड़, जल्दी जल्दी तैयारी करने लगा | 

 कुछ देर में ही सभी लोग तैयार हो कर डाइनिंग हॉल में जमा हो चुके थे |

संदीप भी डाइनिंग हॉल में आकर वहाँ रखे ब्रेकफास्ट की सामग्री को उत्सुकता से मुआयना करने  लगा |

वाह, नास्ता करने का  मज़ा आ जायेगा …यहाँ तो ब्रेकफास्ट में इतनी सारी वैरायटी है,  देशी और कॉन्टिनेंटल दोनों तरह की व्यवस्था थी |

इसके अलावा फ्रूट्स , जूस और कॉर्नफ्लेक्स और ना जाने कितने तरह के डिश बड़े से डाइनिंग टेबल पर दिख रहे थे |

संदीप इस सब चीज़ों को ध्यान से देख रहा था तभी उसका रूम पार्टर पास आया और धीरे से कहा….अरे संदीप, सिर्फ देखते रहोगे कि ब्रेकफास्ट शुरू भी करोगे |

हाँ – हाँ , अभी शुरू करता हूँ…संदीप बोला  और इतनी खाने की वैरायटी देख कर वह मन ही मन खुश हो रहा था |

चूँकि बुफे (buffet )सिस्टम था,  संदीप असंजस में पड़  गया कि कहाँ से शुरुवात करे | उसे अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा था, क्योकि उसके लिए किसी बड़े होटल में नास्ता करने का यह पहला अनुभव था |

उसे बहुत मज़ा आ रहा था और दुसरो को देखते हुए खुद भी वैसा ही आचरण करने की कोशिश करने  लगा ताकि वहाँ उपस्थित लोग उसे गंवार नहीं समझे |

उसने ब्रेकफास्ट की शुरुआत अपनी पसंदीदा गुलाब जामुन से की और घूम घूम कर अपने पसंदीदा आइटम को चुन चुन कर मजे से खाया और उसके बाद उसने चाय लिया और इत्मीनान से सोफे पर बैठ कर सिप करने लगा |

तभी यह घोषणा की गई कि एयरपोर्ट पर जाने के लिए गाड़ी तैयार है | आप सभी लोग चल कर गाड़ी में बैठ जाएँ ताकि समय पर एयरपोर्ट पहुँच सके |

संदीप तो ब्रेकफास्ट समाप्त कर एयरपोर्ट जाने के लिए  तैयार ही बैठा था इसलिए  घोषणा होते ही लगेज के नाम पर सिर्फ एक बैग था, जिसे लेकर धड़कते दिल से  कंपनी की गाडी में आकर बैठ गया |

गाड़ी में बैठे सभी दोस्त खुश नज़र आ रहे थे …संदीप भी अपने अच्छे भविष्य के बारे में सोच कर खुश हो रहा था |

इधर सोफ़िया काफी परेशान थी कि दो दिनों से संदीप पढ़ाने के लिए उसके घर क्यों नहीं  आ रहा था | उसे समझ में नहीं आ रहा था कि संदीप बिना किसी सुचना के कहाँ गायब हो गया |

उसके मन में तरह तरह के विचार आने लगे | फिर उसने अनुमान लगाया कि शायद बीमार  पड़ गया हो |

अब तो सोफ़िया को उसे देखे बिना चैन ही नहीं आता है | संदीप के अचानक अनुपस्थित होने से उसके बारे में कुछ बुरा ख्याल आने से परेशान हो रही थी. |

इसलिए वह  अपने को रोक नहीं सकी और अपनी गाड़ी गराज से निकल कर संदीप के घर की ओर चल दिया |

छोटी जगह होने के कारण उसके घर को ढूंढने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई और वह उसके घर दरवाज़े पर पहुँच कर दस्तक दी |

वह मन ही मन सोच रही थी कि संदीप आकर दरवाज़ा खोलेगा और अपने साथ लायी फल  और मिठाई उसे देकर , “गेट वेल सून” बोलेगी |

दरवाज़ा तो खुला पर सामने एक लड़की को देख कर समझ गयी कि यह उसकी बहन रेनू है | क्योंकि बातों बातों में कितनी ही बार संदीप उसकी चर्चा कर चूका था |

सोफ़िया अपने को सँभालते हुए बोली …तुम रेनू हो ना ?

हाँ, पर आप कौन है ? और मेरा नाम कैसे जानती है ?..रेनू आश्चर्य से पूछी |

मैं सोफ़िया  हूँ…उसने अपना परिचय दिया |

तभी रेनू हाथ जोड़ कर उसे प्रणाम किया और घर के अन्दर आने को कहा |

संदीप कहाँ है ?…उसने दरवाज़े पर खड़े खड़े ही रेनू की तरफ देखते हुए पूछ लिया |

अचानक सोफ़िया के इस प्रश्न पर रेनू घबरा गई और मन ही मन सोचा कि भैया तो अपनी नौकरी वाली बात गुप्त रखने को कहा है |

इसलिए अपने को अनभिज्ञ दिखाते हुए बोली…मुझे पता नहीं वो कहाँ गए और कब तक वापस घर लौटेंगे |

ना जाने क्यों सोफ़िया को रेनू की बात सुनकर शक हो गया | उसे यकीन ही नहीं हुआ कि संदीप घर में बिना बताये इस तरह गायब हो सकता है |

लेकिन वो कुछ बोली नहीं बल्कि अपने साथ लाये मिठाई को रेनू के हवाले किया और कहा …जब  संदीप आ जाये तो उसे मेरे बारे में बता देना |

और वह वहाँ से आकर  वापस अपनी गाड़ी में बैठ कर सोचने लगी कि आखिर इस बात को गुप्त रखने का कारण क्या है |

अब सोफ़िया का मन संदीप के लिए व्याकुल होने लगा और तुरंत ही उसके मन में आया कि क्यों न राधिका के पास से संदीप के बारे में सही -सही जानकारी ली जाए और वह उसके पास जाने के लिए जैसे ही अपनी गाडी स्टार्ट किया , उसका बेटा प्रणव बोल पड़ा …मम्मी, मुझे बहुत भूख लगी है , घर चलो ना |

बच्चे की जिद के कारण सोफ़िया ने अपनी गाड़ी को अपने घर की ओर मोड़ दिया लेकिन मन ही मन राधिका से मिलने का प्लान बना लिया था …. (क्रमशः)

इससे बाद की घटना जानने के लिए नीचे दिए link को click करें….

तलाश अपने सपनों की …9

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Categories: story

9 replies

  1. Is the story now heading towards happy ending Vermaji? Keep writing.

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  2. Good evening sir, the ending of this story is not yet finalized. Keep on guessing …
    thank you . stay connected..

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  3. The story seems to be wandering from its core plot like a TV serial. Hope it now moves towards the conclusion. Anyhow good read.

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  4. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    रिश्ते को दौलत के निगाहों से मत देखो ,क्योंकि
    अक्सर साथ निभाने वाला इंसान गरीब ही होता है …

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