फेसबुक वाली फ्रेंड
रिटायरमेंट के पहले दैनिक जीवन में बहुत सारे मित्र हुआ करते थे, चाहे वे सहकर्मी हो या और दुसरे लोग | दोस्तों का एक समूह होता है, जो हमारे जीवन में टॉनिक का काम करता है | चाहे जब भी मन उदास हो बस दोस्तों के पास चले जाने से या मोबाइल पर उनसे बात कर लेने से ही मन ठीक हो जाता है |
लोग ठीक ही कहते है दोस्तों की महफ़िल में हर बीमारी का इलाज है | दोस्त दवा देकर इलाज़ नहीं करते है बल्कि उनके अलफ़ाज़ ही दवा का काम करते है |
लेकिन रिटायरमेंट के बाद बहुत सारे परिवर्तन होते है हरेक की ज़िन्दगी में | वो दोस्तों का समूह छुट जाता है और उनसे मिलना – जुलना शायद ही हो पाता है |
मैं भी रिटायरमेंट के बाद ऐसे ही दौर से गुज़र चूका हूँ | ऐसी अवस्था में दोस्तों और उसके समूह की कमी बहुत खलने लगती है |
लोगों ने कहा, सोशल मीडिया… ख़ास कर फेसबुक पर दोस्त बनाने की असीमित संभावनाएं है |
मुझे उनका सलाह भी ठीक लगा और फिर क्या था | फेसबुक पर फ्रेंड्स बनाना शुरू कर दिया | विभिन्न तरह के फ्रेंड्स बनाने के मौके मिल रहे थे | मैं जब भी, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता तो तुरंत उनका ज़बाब आता …,, फ्रेंडशिप एक्सेप्टेड |
लेकिन यह इन्टरनेट और सोशल मिडिया तो एक तरह का “काला जादू” है, मुझे तो खास कर तरह तरह के अनुभव हो रहे है |
एक विदेशी औरत का मेसेज आया …आई लव यू | मैं मेसेज पढ़ कर चौका |
सुबह का समय था और मैं उस समय एक पार्क में टहल रहा था | संयोग से वहाँ मेरे एक मित्र साथ ही टहल रहे थे | मैं उनसे इस बात को शेयर किया |
उन्होंने हँसते हुए मेरी ओर देखा और कहा …आप अपनी शक्ल आईना में ज़रूर देखते होगे |
मैंने कहा …हां ज़रूर देखता हूँ |
तो भी आप कुछ नहीं समझे …उन्होंने पूंछा |
मैं उनकी ओर देख कर कहा …क्या मैं अब handsome नहीं लगता हूँ ?
इतना सुनना था कि इस पर उन्होंने जोर से ठहाका लगाया और फिर एक वाक्या सुनाया |
उनका कोई मित्र फेसबुक में इस तरह के फ्रेंड के जाल में फंस गया | उसे भी एक सुन्दर सी स्मार्ट सी दिखने वाली हसीन फ्रेंड ने भी “आई लव यू बोला” था, और वो बेचारे बुढ़ापे में इश्क के शिकार हो गए | इस छोटी सी मेसेज ने मानो उनकी ज़िन्दगी ही बदल दी |
अब वे बन -ठन कर रहने लगे, अच्छे -अच्छे कपडे और बालों में डाई और आँखों पर सोने के फ्रेम वाला चश्मा ….मानो उनकी जवानी फिर से लौट आई हो |
अब वो दिन रात मोबाइल पर अकेले में चैट करने लगे | जब बातों का सिलसिला शुरू होता तो ख़तम होने का नाम ही नहीं होता. …खूब मेसेज का आदान प्रदान होता रहा और उनको इसमें काफी मज़ा आने लगा |
और तो और वे इस बात को औरों से राज़ ही रखते थे और जब भी मौका मिलता बात करते और अपने को भाग्यशाली समझते कि इस उम्र में भी कोई इतनी सुन्दर कन्या उनसे इतनी देर तक बातें करती है और कभी कभी …”आई लव यू” भी बोल देती है |
कुछ दिनों तक यह सिलसिला यूँही चला फिर अचानक एक दिन उस हसीन दोस्त की घबराई हुई आवाज़ आई |
उन्होंने पूछा…. क्या बात है ? इतनी घबराई हुई क्यों हो ?
तो उधर से आवाज़ आई …डिअर, मुझे थोड़ी परेशानी हो गई है | क्या तुम मेरी मदद करोगे ?
उस पर उन्होंने रोमांटिक आवाज़ में कहा …यार तुम्हारे लिए तो जान भी हाज़िर है | बोलो मैं तुम्हारी क्या मदद करूँ. ?
उस पर उस हसीन दोस्त ने कहा …नहीं –नहीं, जान देने की ज़रुरत नहीं है, बस मेरा फ़ोन का बैलेंस ख़तम हो गया है उसे रिचार्ज करवा दो |
इस पर इन्होने कहा …अरे बस, इतनी सी बात पर परेशान हो रही हो | मैं अभी अपने खाते से रिचार्ज करवा दे रहा हूँ |
इतना कह कर उन्होंने खाते का डिटेल share कर दिया ..और उसकी मदद करके उसका विश्वास जितने की ख़ुशी में अपनी पीठ खुद थपथपाने लगे |
उनकी ख़ुशी थोड़ी देर में ही काफूर हो गई, जब उन्हें यह मेसेज मिला कि उनके बैंक खाते से मिहनत से कमाई सारी जमा पूंजी निकल चुकी है |
उन्हें यह मेसेज पढ़ कर विश्वास नहीं हो रहा था | इतना बड़ा धोखा खा के वह स्तब्ध थे |
यह बात शर्म के मारे ना तो किसी को बता सकते थे और ना ही किसी विभाग में शिकायत ही कर सकते थे ..क्योकि अपने खाते का सारा डिटेल खुद ने शेयर किया था |
जो भी सुनता उनका ही मज़ाक उडाता, अतः कडवी घूट पी कर चुप रह जाना ही उचित समझा |
कहावत चरितार्थ हो रही थी कि “अब पछताए होत क्या.. जब चिडिया चुग गई खेत ” |
वाक्या तो मजेदार था और मेरा एक मन कर रहा था कि मैं भी इस खेल में थोडा आगे बढ़ू और “ आई लव यू “ बोल कर देखू कि क्या होता है | लेकिन तुरंत ही अपने कान को हाथ लगाया और मन ही मन बोला ….तौबा तौबा और तौबा |
अब तो आप समझ ही गए होंगे ….. मेरी ओर देख कर उन्होंने कहा और फिर भ्रामरी प्राणायाम करने लगे |
और मैं चुप चाप उनके पास ही बैठ कर वो सभी कनेक्शन डिलीट करने में मशगुल हो गया |
इससे पहले की घटना जानने के लिए नीचे दिए link को click करें…
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Categories: मेरे संस्मरण
I love you
कितना आसान शब्दो को कहना
कोन गहराई जाने कभी यहा
कोंन जाने कितना छुपा है
कितना सत्य शब्दो मे छुपा यहा।।
किसके अंदर कितने घुसे
घुसे शब्द जो लिखे यहां
किसने कहा और किया पालन
जो शब्द दिल से निकले कभी यहा।।
सब धोखा है स्वार्थ छुपा है
मानव बना है स्वार्थी धरा यहा
मतलब निकला जान पहचान भुला
ऐसे भी देखे हैं हमने लोग यहां।।
I love you
How easy to say
Who knows ever deeper here
Who knows how hidden
How much truth is hidden here in words.
Who got inside
Enter words that are written here
Who said and followed
Words that came out of the heart sometime here.
All deception is selfish
Man has become selfish here
Meaning lost my life
We have also seen such people here.
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thank you so much sir, your poem is beautiful .I also appreciate giving your valuable time for my Blog and
your word of appreciation motivate me to express my thought in a better way..
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वेलकम सर
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Stay connected…Stay happy…
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send link of your Blog as it is not opening..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Don’t depend too much on anyone in this world ,
because even your own shadow leaves you …
when you are in darkness… Stay happy…Stay blessed…
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