
मानवता जिंदा है
आज मैं एक और ख़ुशी के समाचार से अवगत हुआ, वैसे आज कल मैं कोरोना के कारण किसी भी न्यूज़ चैनल या न्यूज़ पेपर से दूर रहता हूँ, क्योंकि इन सबों में डराने वाले समाचार ही ज्यादा होते | लेकिन कभी कभी कुछ अच्छे समाचार भी दिख जाते है, आज कुछ ऐसा ही मन को सुकून देने वाला समाचार पढने को मिला |
इस समाचार को पढ़कर यह महसूस हुआ कि मानवता की सच्ची सेवा कर असीम आनंद का स्वाद चखा जा सकता है |
करोना की इस महामारी के दौरान यह तो समझ आ गया कि पैसे की बहुत ज्यादा अहमियत ज़िन्दगी में नहीं है, जितना कि आप कितने स्वस्थ है और कितना खुश है |
इन दिनों यह महसूस किया गया है कि पैसा रहते हुए भी कैरोना मरीज़ को हॉस्पिटल में जगह नहीं मिल पा रही है | कारण की रोगियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है और उतनी सुविधाएँ हमारे पास उपलब्ध नहीं है | पैसा होते हुए भी ज़िन्दगी के सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है |
आज मैंने पढ़ा …कुछ मजदूर लोग अपने परिवार के साथ दिल्ली से पटना तक का सफ़र हवाई जहाज से कर रहे हैं |

वो बेचारे मजदूर जिन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि हवाई जहाज पर बैठेंगे, वो आज हवाई जहाज़ से सफ़र कर रहे है |
सचमुच ये तो बस ख्वाब के पूरा होने के जैसा था जो कभी उन्होंने आकाश में उड़ते जहाज हो देख कर सोचा होगा कि वो भी कभी आकाश की उचाईयों से धरती के हरे भरे खेतो और नदी नालों को देखेंगे | और मन ही मन शायद यह भी सोचता होगा कि कितना आनंद आता होगा जब बादलों के ऊपर यह जहाज़ तैरता होगा |
घटना कुछ यूँ हुआ कि लॉक डाउन में कुछ मजदूर परिवार जो दिल्ली में काम करते थे, वे वहाँ फंस गए | वे सब बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले थे |
वो उत्तरी दिल्ली के तिगिपुर गाँव में एक बड़े किसान के पास पुरे परिवार के साथ मशरुम फार्म में मजदूरी करता था और साल में एक बार घर जाने की उसे छुट्टी मिलती थी |
लेकिन इस बार छुट्टियों के समय घर नहीं जा पा रहे थे | क्योंकि वे सब लॉक डाउन के कारण वहाँ फंस गए थे |

पहले तो उन सबो का मालिक जो एक बड़ा किसान था और मशरूम की खेती करता था, उनसबों को रेल से बिहार भेजने के लिए श्रमिक एक्सप्रेस में टिकट की बुकिंग कराने की कोशिश की | लेकिन दुर्भाग्यवश बात नहीं बन पाई , क्योंकि वो ट्रेन ही कैंसिल हो गयी |
वो किसान जिसका नाम श्री पप्पन सिंह गहलोत था एक दरियादिल इंसान था और उसने दरिअदिली दिखाते हुए, ट्रेन का आवागमन बंद होने के बाबजूद अपने १० मजदूर भाई और उसके परिवार को पटना भेजने के फैसले पर दृढ था |
और जब और कोई सुरक्षित साधन नहीं दिखा तो उसने अंततः अपने जेब से ६०,००० रूपये खर्च कर सबों के लिए हवाई टिकट खरीद डाले | ताकि वे लोग सुरक्षित अपने घर जा सके |
उनका कहना था कि आज कल समाचारों में आये दिन देखता हूँ कि बहुत सारी घटनाएँ घट रही है | प्रवासी श्रमिक लोग घर पलायन करते हुए रास्ते में ही मौत का शिकार हो रहे है | ये जो हमारे मजदूर है हमारे परिवार के सदस्य जैसे है और इनकी सुरक्षा मेरी जिम्मेवारी है |
काश ऐसी सोच सभी लोग रखे तो हमारे समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आ जायेगा और मानवता एक बार फिर सिर उठा कर कहेगी …मैं अभी जिंदा हूँ |
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Categories: motivational
A great humanitarian act. Not only did he sent his 10 migrant labourers by air during lockdown in May but he also paid air fares to bring back 20 workers back to Delhi in August.
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very true sir, we all read this news and there is again a message .
We must not forget that humanity is still alive….thank you sir,..Stay safe stay happy..
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रिश्ते निभाने का हुनर मैंने उस ताले से सिखा ,
जो फ़ना हो गया , मगर चाबी नहीं बदली |
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