# रिक्शावाला की अजीब कहानी #….6

आज अंजिला बहुत खुश थी, और खुश क्यों ना हो भला | आज उसके शोध के कुछ पेपर पब्लिश हुए थे और उसे काफी सराहना मिल रही थी | सचमुच उसने अपनी शोध पर बहुत मेहनत  की थी और उसकी मेहनत रंग लाई |  

उसके सारे दोस्त उसे फ़ोन कर रहे थे और बधाई दे रहे थे | अंजिला भी हँस हँस कर सब के बधाई को स्वीकार कर रही थी |

कुछ करीबी दोस्तों ने तो इस ख़ुशी के मौके पर पार्टी देने की मांग कर रहे थे | पहले तो अंजिला  ना -नुकुर करती रही, लेकिन फिर दोस्तों की जिद के आगे उसे पार्टी के लिए सहमत होना ही पड़ा |

तय यह हुआ कि बनारस के एक होटल “साकेत” के छोटे से हॉल में पार्टी रखी जाएगी जिसमे अंजिला और उसके कुछ करीबी दोस्त शामिल होंगे |

लेकिन अंजिला ने अपने दोस्तों के सामने एक शर्त रख दी….पार्टी में खाना शुद्ध शाकाहारी होगा,  यानी नो चिकन नो मीट |

इस पर दोस्तों ने आश्चर्य होकर प्रश्न किया…. ऐसा क्यों ?

अंजिला ने बड़ी शालीनता से समझाया कि यह बनारस की नगरी है, एक पवित्र नगरी  और अपने शोध के दौरान मैंने  यहाँ के रहन- सहन, खान- पान के बारे में अध्ययन किया है |

मुझे तो इतने दिनों में ही विधि- विधान और पूजा- अर्चना में आस्था हो गई है और मैं भी अब शुद्ध शाकाहारी हो गई हूँ |

और यह भी तय हुआ कि पार्टी सात बजे शाम से शुरू हो कर रात के १० बजे ख़त्म कर देंगे |

तभी दोस्तों ने एक साथ कहा … मेरी भी एक शर्त है, उसे मानना होगा |

कैसी शर्त …अंजिला ने सशंकित होते हुए पूछा |

मिस वाल्टर ने कहा .. यह ठीक है कि डिनर शुद्ध शाकाहारी होगा परन्तु पार्टी में वाइन पिने पर कोई रोक नहीं होगी,  यानी ड्रिंक्स और डांस से पार्टी को एन्जॉय करेंगे |

सभी दोस्तों के आम सहमती बन गई और आज शाम के पार्टी का कार्यक्रम फाइनल हो गया |

अंजिला मेरी ओर मुखातिब होते हुए बोली …राजू, तुम भी  सही समय पर होटल “साकेत” पहुँच जाना |

मैंने साफ़ मना  कर दिया और कहा…यह तो आप के दोस्तों और बड़े लोगों  के लिए पार्टी है, भला मैं एक गरीब आपका रिक्शावाला इस पार्टी में क्या करूँगा ? आप लोग पार्टी को एन्जॉय कीजिए |

तुम कैसी बाते कर रहे हो राजू ? क्या तुम मेरे दोस्त नहीं हो ?

तुम तो मेरे दोस्त ही नहीं मेरे खास हो, मेरा गाइड भी हो | तुमको तो पार्टी में आना ही होगा …यह मेरा हुक्म है … बोल कर अंजिला हँसते हुए मेरी ओर देखने लगी |

उसका इस तरह हँस  कर देखना अक्सर मुझे मजबूर कर देता है कि उसकी हर बात को मान  लूँ  और आज भी मना नहीं कर पाया |

मैंने उसकी ओर देखते हुए कहा ..जी मैडम, आप के हुक्म की तामिल होगी |

शाम के ठीक सात बजे मैं होटल “साकेत” पहुँचा | उस होटल के हॉल में मैडम नीले रंग की ख़ूबसूरत ड्रेस पहने दोस्तों के बीच बातें कर रही थी ..सचमुच आज तो मैडम बहुत ही ख़ूबसूरत लग रही थी | मुझे देखते ही अंजिला मेरे पास आयी और हाथ पकड़ कर अंदर ले आयी और अपने दोस्तों से भी परिचय कराई |

मुझे ना जाने क्यों उन अनजान लोगों के बीच  थोड़ी झिझक  हो रही थी | इसीलिए मैं एक कोना पकड़ कर चुप चाप बैठ गया और इनलोगों की हरकतों को देखता रहा | मैं महसूस करना चाहता था कि बड़े लोगों की पार्टी कैसी होती है |

सामने टेबल पर शराब की बोतलें पड़ी थी और लोग गिलास में जाम भर कर एक दुसरे को पिला रहे थे और देखते देखते पार्टी पुरे शबाब पर आ गई | म्यूजिक पर डांस वाली धुन बज रही थी और सभी एक  दुसरे की बाँहों में बाहें डाल कर थिरक रहे थे… झूम रहे थे | शायद शराब का नशा लोगों पर हावी हो रहा था |

कुछ तो ऐसी हरकत कर रहे थे कि मुझे देख कर शर्म महसूस हो रही थी | शराब के नशे में लोग एक दुसरे से  इस इस तरह चिपक रहे थे कि उन्हें अपने तन के कपड़ो का भी होश नहीं था |

मुझे आज महसूस हो रहा था कि पश्चिमी सभ्यता जो हमारी सभ्यता से कोई समानता नहीं रखती है |

मैं मन ही मन सोच रहा था  तभी अंजिला हाथ में ड्रिंक्स  लेकर आयी और कहा …राजू, तुम भी ड्रिंक्स लो ना |

मैंने साफ़ मना कर दिया और कहा …मैडम मैं कभी शराब नहीं पिया हूँ |

अच्छा ठीक है, हमारे साथ डिनर तो करो ..वो मेरा  हाथ पकड़ कर अपने पास ही बैठा लिया | मुझे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, यह देख कर कि अंजिला ने भी खूब पी रखी  थी |

उसके मुँह से शराब की गंध आ रही थी, परन्तु उसकी खूबसूरती को देख कर मैं मंत्रमुग्ध था और उस शराब की गंध का एहसास जाता रहा |

वो नशे में थी और तभी अचानक उसने मेरे हाथ को पकड़ कर कहा …राजू, आज मैं बहुत खुश हूँ और मैं अपने वह दिल की बात तुम्हे सुनाने जा रही हूँ जिसे आज तक मैंने दिल में छुपा रखी है |

मुझे महसूस हुआ कि अंजिला पर शायद शराब का नशा पूरी तरह हावी हो चूका था और नशे में लोग अपनी दिल की बात कह देते है | वो मेरा हाथ जोर से पकड़ रखा था और उसकी नशीली आँखों में प्यार का नशा भी दिख रहा था |

उसने भावुक होकर मेरी ओर देखा और कुछ कहने ही वाली थी कि तभी उसकी दोस्त मिस वाल्टर ने अचानक उसे पकड़ कर डांस करने को ले गई |

और सभी दोस्त उसे घेर कर डांस करने लगे | और अंजिला को उसके सफलता के लिए मुबारकबाद  देने लगे |

फिर क्या था वो भी पार्टी में उनलोगों के साथ डांस में शरीक हो गई और अंजिला जो दिल की बात बताने वाली थी वह उसके दिल में ही रह गई |

पार्टी काफी देर तक चली और उसकी दोस्त ने अंजिला से कहा …इतनी रात को अभी campas जाना उचित नहीं होगा, इसलिए रात में तुम्हारे साथ ही ठहर जाते है | अंजिला तुरंत ही अपनी सहमती दे दी |

अंजिला अपनी दोस्त के साथ उसकी टैक्सी मे बैठ कर अपने  होटल चली गई और मैं अपने ठिकाने जाने को रिक्शा में बैठ गया | 

चौक के घंटाघर में रात के 11 बजे का समय बता रहा था और मैं जल्दी अपना ठिकाना   “रैन- बसेरा” में पहुँचने के लिए छोटे  रास्तो से होता हुआ जा रहा था |

जैसे ही रघु काका की झोपडी के सामने से गुजरा तो देखा उनकी रिक्शा  घर के बाहर ही खड़ी  है | मुझे रिक्शा देख कर कुछ आश्चर्य भी हुआ,  कि काका अभी तक ड्यूटी पर नहीं निकल सके है | यही सोचता हुआ जल्द ही मैं अपने ठिकाने पर पहुँच गया |

सुबह उठा तो सिर कुछ भारी लग रहा था, रात में ठीक से नींद नहीं आ सकी थी | रात की पार्टी का दृश्य अभी तक मेरे मन में चल रहा था |

मैं किसी तरह  तैयार होकर अपनी रिक्शा पर बैठ  मैडम के पास जाने के लिए रवाना हो गया | संयोग से फिर रघु काका के घर के पास से ही गुज़र रहा था तभी उनकी रिक्शे पर मेरी  नज़र पड़ी और मैं चौक गया  |

मैंने  पाया कि  उनके रिक्शे का  सामने का भाग और चक्का बुरी तरह क्षतिग्रस्त है,  मुझे आशंका हुई कि शायद एक्सीडेंट हुआ होगा |

ऐसा सोच कर मैं  तुरंत रघु काका को आवाज़ लगा दी ..जब थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद भी काका बाहर नहीं आये तो मुझे कुछ शक हुआ और मैं अपने रिक्शे से उतर कर झोपडी के अंदर दाखिल हुआ | रघु काका एक खाट पर पड़े हुए थे और दर्द से कराह  रहे थे |

मैंने तुरंत उनसे पूछा …आप को चोट कैसे लगी ?

उन्होंने कहा …रिक्शे का ब्रेक फेल हो गया था और ढलान  रास्ता होने के कारण संभाल नहीं सका और एक पेड़ में टक्कर मार दी |

मैं देख कर हैरान था कि उनके पैर और कमर में सुजन हो गई थी और काफी दर्द था |      और पास में पड़े ब्रेड के पैकेट से अनुमान लगाया कि काका शायद दर्द के कारण खाना भी नहीं बना सके थे और ब्रेड खा कर गुज़ारा कर रहे थे |

मुझे उनकी हालत को देख कर बहुत दुःख हुआ और मैंने कहा अभी आप को हॉस्पिटल लिए चलता हूँ |

इस पर उन्होंने कहा …वहाँ बहुत पैसे खर्च करने पड़ेंगे और अभी मेरे पास नहीं है | यह यूँ ही दो दिनों में ठीक हो जायेगा |

आप कैसी  बातें करते है काका , अगर fracture हुआ तो ?..मैंने उनको समझाते हुए कहा |

आप पैसो की चिंता मत कीजिये, आप मेरे पिता तुल्य है और कोई अपने पिता को तकलीफ में कैसे देख सकता है |

इतना कह कर मैंने उनको सहारे से उठा कर अपने रिक्शे में बैठाया और साथ ही साथ मैडम को  भी फ़ोन से सारी जानकारी दे दी और कहा कि अभी मैं नहीं आ सकता हूँ |

मैंने थोड़ी दूर स्थित “कबीर चौड़ा हॉस्पिटल” में काका को लेकर गया | वहाँ पता चला कि सरकारी डॉक्टर से दिखलाने हेतु २० रूपये की पर्ची कटवानी पड़ेगी |

मैं काका को स्ट्रेचर पर छोड़ कर जल्दी से पर्ची कटवाने वाली लाइन में लग गया | वहाँ काफी भीड़ थी और आधा घंटे के बाद  मेरा नम्बर आया |

मैंने  काउंटर पर २० रूपये जमा करा कर पर्ची कटवाई | बीमारी पूछने के बाद उन्होंने पर्ची पर डॉ का नाम और चैम्बर नम्बर डाल दिया , जिससे काका को जांच कराना था |

मैं जल्दी से वापस काका के पास आया तो वहाँ ना काका थे और ना उनका स्ट्रेचर ही थी |   मैं  घबड़ा  कर इधर उधर देखा लेकिन कही भी पता नहीं चला |

मैं परेशान हो कर वहाँ खड़े स्टाफ से काका के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया  कि उन्हें प्राइवेट डॉक्टर से दिखलाने हेतु उधर प्राइवेट क्लिनिक में कोई औरत लेकर गई है |

मुझे पहले किसी ने बताया था कि प्राइवेट डॉ से दिखाने  का फीस ५०० रूपये है, इसीलिए तो मैं  सरकारी पर्ची कटवाने गया था |

मैं भागते हुए प्राइवेट क्लिनिक को ओर गया तो मुझे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा |

अंजिला, रघु  काका के पास खड़ी थी और डॉक्टर उनकी जांच कर रहे थे |

डॉक्टर ने जब xray कराया तो पता चला कि उनके पैर में fracture है | इसलिए  डॉ ने प्लास्टर करने की सलाह दी |

इसके बाद अंजिला ने प्लास्टर करने की सहमती दे दी |  डॉ साहब प्लास्टर करने की तैयारी करने लगे और हमलोगों को क्लिनिक के बाहर  इंतज़ार करने का इशारा किया |

थोड़ी देर में उनके पैर में प्लास्टर लग गया | डॉक्टर ने पर्ची पर कुछ दवाइयों के नाम लिखते हुए कहा ….इसे आप समय पर इन्हें देते रहिएगा और पंद्रह दिनों बाद चेक करा कर प्लास्टर कटवा लीजियेगा |

अंजिला ने डॉ साहब के  बिलों का भगतान किया और उनके द्वारा बताई दवा भी लेती आई |

उसके बाद सावधानी से सहारा देकर उसने  काका को स्ट्रेचर पर बिठाकर रिक्शा तक लाई |   वो फ़टाफ़ट सब काम कर रही थी |

उसे देख कर ऐसा  नहीं लग रहा था कि यह वही अंजिला है जिसने रात की पार्टी में शराब में डूबी हुई थी |

मैं खामोश खड़ा बस अपनी आँखों से उसे देख रहा था …..(क्रमशः)..

Pic source: Google.com

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10 replies

  1. Story is moving towards where ? Though it is a Love Story, end point should be realistic. Mere Love and penultimate Sex should be avoided……….Dost केवल Khwab hi Zindagi nahin hai ……..kuch hakikat bhi honi chahiye.
    OK …….Proceed……..

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  2. Very interesting

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  3. Story moving forward in an interesting manner. Well written even if it is somewhat predictable. Good going.

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  4. Story not ended and still suspense.

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    • Yes dear,
      I hope you are enjoying this story..
      This story is based on true incidence during corona pandemic
      last year ..
      Please go through the story any comments thereon..
      Thank you for your appreciation ..

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  5. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    वक़्त, दोस्त ,और रिश्ते ऐसी चीज़ है जो मिलती तो मुफ्त में है..
    मगर इसकी कीमत का पता तब चलता है , जब ये कहीं खो जाते है |

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