
तुझे इस दुनियां में लाई है माँ, …तू रोया तो दूध पिलाई है माँ..
ममता का आँचल ओढ़ाई है माँ, …उँगली पकड़ कर चलाई है माँ
बचपन के दिन वो अपने भूल ना जाना,
कभी अपनी माँ का दिल ना दुखाना
…………….दिल ना दुखाना.. …
डॉ साहब की सलाह पर दशरथ ने उसी समय अपने इकलौते बेटे अभिराम को फ़ोन लगाया और उसकी माँ की बीमारी के बारे में सारी बातें बताई |
और उससे निवेदन किया …..बेटा, अगर तू माँ से मिलने आ जाता है तो तेरी माँ ठीक हो सकती है |
परन्तु अभिराम का दिल नहीं पसीजा और बहुत मनाने पर भी आने से मना कर दिया |
उसका बस एक ही रट था कि आप पहले पटना वाला मकान बेचने के लिए राज़ी हो जाइये तभी हम माँ को देखने आ सकते है | इतना बोल कर वह फ़ोन बंद कर दिया |
फ़ोन पर हो रही वार्तालाप को डॉ साहब सुन रहे थे | उन्हें भी अभिराम के ऐसे व्यवहार पर बड़ा दुःख हुआ |
अभिराम के द्वारा फ़ोन काट दिए जाने के बाद भी दशरथ अपने मोबाइल को हाथ में लेकर बैठा रहा | उन्हें आशा थी कि जब अभिराम का गुस्सा ठंढा हो जायेगा तो वह फिर उन्हें फ़ोन करेगा |
कुछ देर यूँ ही हाथ में फ़ोन पकडे बीत गए, लेकिन अभिराम का फ़ोन नहीं आया |
तब डॉ साहब ने कहा …वह तो निहायत घटिया आदमी है, उससे और कुछ उम्मीद करना बेकार है | अब हमलोग को कुछ और उपाय सोचना पड़ेगा |
कुछ देर तक तो डॉ साहेब खामोश बैठे रहे, ऐसा लग रहा था कि वे गहन चिंतन में डूबे हुए है |
फिर एकाएक उन्होंने दशरथ जी से पूछा….. क्या आप के फ़ोन में विडिओ रिकॉर्डिंग की सुविधा है ?
इस पर दशरथ ने कहा …हाँ, सुविधा तो है | लेकिन ऐसा आप क्यों पूछ रहे है ?
इस पर उन्होंने कहा …,मेरे दिमाग में एक प्लान आया है | आप एक बार और उससे बात करने की कोशिश कीजिये और इस बार जो भी बात करे उसका विडिओ रिकॉर्डिंग भी होना चाहिए |

दशरथ ने दुखी होते हुए कहा …डॉ साहब, वो तो अभी गुस्से में होगा | अगर मैं अभी फ़ोन करूँगा तो वो गुस्से में चिल्लाने लगेगा और गाली -गलौज शुरू कर देगा | उसका व्यवहार बहुत ही ख़राब हो गया है |
इस पर डॉ साहब ने कहा …हम यही तो चाहते है कि वो गुस्से में चिल्लाये और गाली-गलौज भी करे | लेकिन इन सब घटनाओं को अच्छी तरह रिकॉर्डिंग होनी चाहिए |
बस फिर क्या था, योजना के अनुसार दशरथ ने विडिओ कालिंग करके अभिराम से बात करने की कोशिश करने लगा | और जैसा कि आशंका थी, अभिराम फ़ोन पर ही चिल्लाने लगा और गाली – गलौज करने लगा |
चूँकि यह विडिओ कॉल था इसलिए उसका चेहरा भी नज़र आ रहा था | दशरथ ने देखा कि उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया है | उसकी आँखे भी लाल थी, लगता था कि उसने शराब पी रखी थी |
दशरथ चुप चाप उसकी बकवास सुनते रहे और रिकॉर्ड करते रहे |
कुछ देर तक वह यूँ ही गाली -गलौज करता रहा और जब इधर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिला तो थक कर उसने फ़ोन बंद कर दिया | सारी घटना की विडियो रिकॉर्डिंग हो चुकी थी |
उसके बाद डॉ साहब ने दशरथ के हाथो से मोबाइल लिया और डाटा को अपने मोबाइल में ट्रान्सफर कर उसे सुरक्षित कर लिया |
दशरथ ने जिज्ञासा से पूछा …. इस विडियो का क्या उपयोग करेंगे ?
इस पर डॉ साहब ने बताया कि पहले मैं डॉ प्रसन्ना से इस विषय में चर्चा करूँगा | एक प्लान मेरे दिमाग में है | अगर डॉ प्रसन्ना की स्वीकृति मिली तो हमलोग इस विडिओ का उपयोग कर के माँ जी की याददास्त वापस लाने की कोशिश करेंगे |
दुसरे दिन डॉ प्रसन्ना आये और उनके साथ एक गहन मीटिंग हुई |

प्लान के अनुसार माँ जो के बेड के सामने एक LED TV लगाया गया और उस रूम को चारो तरफ से साउंड प्रूफ किया गया | ऐसी व्यवस्था की गई कि माँ जी टीवी स्क्रीन को साफ़ -साफ़ देख सके और सुन सके |
यह भी व्यवस्था की गई कि जो अभिराम का विडिओ बनाया गया है उसे अपनी ज़रुरत के अनुसार टीवी पर दिखाया जा सके |
उसके बाद कमरे के सारे खिड़की बंद कर परदे लगा दिए गए | और टीवी चालू कर दिया गया तो कौशल्या की नज़रे टीवी पर गई और वो ध्यान से टीवी देखने लगी | कमरे में पूरी शांति और पूरा अँधेरा था मानो सिनेमा हाल में कोई फिल्म चल रहा हो |
करीब १५ मिनट तक यूँ ही टीवी पर एक फिल्म चलता रहा और कौशल्या की नज़रे टीवी पर ही लगी हुई थी |
तभी परदे के पीछे खड़े डॉ प्रसन्ना ने इशारा किया और अपने डॉ साहब ने जो विडिओ अभिराम का रिकॉर्ड कर रखा था उसे चला दिया | अब टीवी पर अभिराम दिखाई पड़ने लगा और उसकी गली गलौज की आवाज़ गूंजने लगा और उसका गुस्से से लाल चेहरा दिख रहा था |
ऐसा कुछ देर तक चला, तभी डॉ साहब ने महसूस किया कि कौशल्या अभिराम को सामने स्क्रीन पर देख कर और गाली गलौज को सुन कर गुस्से से थर- थर कांपने लगी |
कुछ देर गुस्से से कांपने के बाद वो जोर से चिल्लाई और अचानक बेहोश हो गई |
उसके बेहोश होते ही दोनों डॉ ज़ल्दी से उसके बेड के पास आये | पहले टीवी बंद करके लाइट ऑन किया गया और खिड़की के परदे हटा दिए गए |
उसके बाद कौशल्या की जांच की गई, तो जांच में पाया गया कि उनकी धड़कन और बीपी सभी कुछ नार्मल है | , तब डॉ साहब ने इत्मीनान की सांस ली | कौशल्या को कुछ आवश्यक दवा दी गई |
फिर डॉ प्रसन्ना बोले …अभी इनको थोड़ी देर यूँ ही छोड़ दिया जाये और हमलोग इनके होश में आने का इंतज़ार करेंगे |
इनको होश में आने में करीब आधा घंटा लग सकता है, तब तक हमलोग अपने चैम्बर में बैठ कर इंतज़ार करते है |
जब इन्हें होश आने लगे तो हमें खबर कीजिये …उन्होंने दशरथ जी से कहा |
दशरथ अपने पत्नी के सामने बैठा तो था लेकिन उसका दिल जोर -जोर से धड़क रहा था | पता नहीं क्या होगा वो ऐसा सोच रहा था |
वह मन ही मन भगवान् से हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रहा था … हे भगवान्.. कौशल्या की याददाश्त वापस ला दो | उसके आँखों से आँसू बह रहे थे |
जैसा कि उम्मीद थी, लगभग आधे घंटे के बाद कौशल्या के शरीर में कुछ हरकत हुई तो दशरथ दौड़ कर डॉ साहब के चैम्बर में पहुँचा और उन्हें बताया कि कौशल्या को होश आ रहा है |

दोनों डॉक्टर तेज़ी से चलते हुए दशरथ के साथ कौशल्या के पास पहुंचे | कौशल्या के शरीर में हरकत तो हो रही थी , लेकिन उसकी आँखे अभी भी बंद थी |
कुछ देर के बाद , कौशल्या ने अपनी आँखे धीरे से खोली और छत को घूरने लगी |
फिर उसने अपनी आँखे बंद कर ली | कुछ देर तक कौशल्या की आँखे बंद ही रही | दशरथ ने डॉ साहब की तरफ देखा, उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था |
तब डॉ साहब ने दशरथ को कुछ इशारा किया और दशरथ ने अपनी दायें हथेली को कौशल्या के सिर पर धीरे से रखा |
कुछ देर तक तो कौशल्या की आँखे बंद रही, फिर उसकी आँखे खुली और उसने कुछ देर तक तो ऊपर छत की तरफ देखती रहा | ,
फिर उसने अपनी नज़रे घुमा कर अपने सिर पर हाथ रखने वाले को देखने का प्रयास किया |
उसकी नज़रे दशरथ पर टिकी हुई थी | लगा वह कुछ पहचानने का प्रयास कर रही हो | एक – दो मिनट इसी तरह से गुज़रा |
फिर उसके होठ कपकपानें लगे और उसके आँखों से आँसू बहने लगे | वो कुछ बोलना चाह रही थी पर मुँह से आवाज़ नहीं निकल पा रही थी |
सहसा उसकी मुँह से एक चीख निकली और दशरथ के हाथ को पकड़ कर जोर – जोर से रोने लगी, जैसे उसकी याददाश्त वापस आ गई हो |
वह फिर से दशरथ को पहचान रही थी |
हाँ, अब उसकी याददाश्त वापस आ चुकी थी |
दशरथ ने सहारा देकर कौशल्या को बिस्तर पर बैठाया और खुद भी उसके बगल में बैठ गया | दोनों एक दुसरे को पकड़ कर रो रहे थे |
दोनों डॉ के आँखों में भी यह दृश्य देख कर आँसू आ गए | वहाँ उपस्थित सभी लोग रो रहे थे, …उन सभी के आँखों में ख़ुशी के आँसू थे ….(क्रमशः )….

इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link को click करें..
कलयुग का दशरथ ….6
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Categories: story
At last she could remember
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Yes dear, that is the Best part of this story..stay connected stay happy…
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Happy ending or is there more to the story Verma ji? I enjoy your style and content. Keep going.
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yes sir, story is still going on ,,one more incidence is there..guess what is that …??
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Nice story But it’s true in our life .
Y story read karneye k baad hameye ek friend k mata pita ki yaadeyeaa gayee. Ab to wo is duniya mai nahi hai , lakin unki badaloot unka pota aaj engineer coal mines mai hai. Prabhu unki atma ko shanti daye.
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well said Anuj..This is a real story and very heart touching …
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Ability of a person is not how he has planned,,
but how he STANDS & FACE the challenge
when everything he planned has gone WRONG..
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