
दिल से बड़ी कोई कब्र नहीं होती
हर रोज़ कोई न कोई एहसास दफ़न होता है
पासा पलट गया
वकील साहब तैयार किया हुआ वकालतनामा राजेश्वर को देते हुए कहा… आप इस पर दस्तखत कर दें | इसे कल ही बड़े वकील साहब के पास पहुँचा दूंगा ताकि ज़ल्दी से हाई कोर्ट में अपील फाइल किया जा सके |
राजेश्वर ने बिना देर किये अपना हस्ताक्षर कर दिया और पूछा … क्या मुझे भी कोर्ट में आना होगा ?
नहीं, आप की कोई ज़रुरत नहीं होगी | आप के वकालतनामा के आधार पर बड़े वकील साहब अपील फाइल कर देंगे….. ..वकील साहब समझाते हुए बोले |
ठीक है वकील साहब, जितना जल्द हो सके मेरा काम करा दीजिये | क्योकि अपनों ने ही मुझे बेईमान साबित कर दिया है परन्तु मैं दुनिया को बताना चाहता हूँ कि सत्य की सदा विजय होती है | मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे न्याय ज़रूर मिलेगा ..राजेश्वर भावावेश में बोल रहा था |
आप तनिक धर्य रखिये, जब उन्होंने आप का केस अपने हाथ में ले लिया है तो हमें अब आशा रखनी चाहिए कि सब कुछ ठीक होगा ….वकील साहब राजेश्वर को धीरज बंधा रहे थे |
दुसरे दिन वकालतनामा लेकर वे हाई कोर्ट के वकील के पास पहुँच गए | उन्हें वकालतनामा देते हुए पूछा ..राजेश्वर जी को भी आना होगा क्या ?
नहीं नहीं, उनको परेशान होने की ज़रुरत नहीं है, मैं सब संभाल लूँगा …उन्होंने कहा |
लेकिन फर्जी हस्ताक्षर मिलान करने हेतु तो उन्हें आना ही होगा ..वकील साहब ने उत्सुकता से पूछ लिया |
अभी नहीं, वो सब बाद की बात है, अगर अवाश्क्यता पड़ी तो मैं इस वकालतनामा पर राजेश्वर जी के जो हस्ताक्षर है उसी को फोरेंसिक जांच के लिए भेजने हेतु जज से निवेदन करूँगा |

अब आप निश्चिन्त हो कर जाइए और अपनी सारी चिंता – फिकिर मुझ पर छोड़ दीजिये …इतना कह कर उन्होंने पेपर को अपने फाइल में रख लिया |
वकील साहब वापस लौट आये और एक सप्ताह बाद उनके पास बड़े वकील साहब का फ़ोन आया |
उन्होंने बताया कि अपील फाइल हो चूका है | रजिस्ट्रार ने उसे स्वीकार कर लिया है और सम्बंधित पार्टी को सम्मन भी जारी हो चूका है |
यह खुश खबरी वकील साहब ने जब राजेश्वर बाबु को बताई …तो राजेश्वर ने राहत की सांस ली |
छोटे भाई, सरपंच और खलीफा, को जब हाई कोर्ट से सम्मन मिला तो उनलोगों में हडकंप मच गया, और घबडा कर उनलोगों ने` सम्मन की कॉपी लेकर अपने वकील से मिलने पहुँचे |
उनके वकील ने सम्मन देख कर बताया कि आप को उस केस में जो डिग्री मिली है उसले खिलाफ राजेश्वर जी ने हाई कोर्ट में अपील किया है | हाई कोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार कर ली है और इसलिए आप सब लोगों को सम्मन जारी हुआ है |
आप सबो को भी एक अच्छे हाई कोर्ट के वकील की सेवा लेनी पड़ेगी ताकि अगले तारीख पर वो आप सबो का पक्ष रख सके |
वैसे आप सबो को मैं बताना चाहूँगा कि राजेश्वर जी ने जो वकील रखा है वह हालाँकि उम्र में बहुत छोटा है लेकिन है तेज़ और तर्रार | उसका दिमाग गजब का तेज़ है, आज तक कोई भी केस नहीं हारा है वो | मैं यह सब बाते इसलिए बता रहा हूँ कि आप भी कोई अच्छा सा वकील कीजिये |
एक महिना के बाद पहला तारीख पड़ा और पहले तारीख में ही राजेश्वर के वकील साहब ने अपने तर्कों से और उपलब्ध सबूतों के आधार पर जज साहब को इस बात के लिए राजी कर लिया कि यह फ्रॉड का मामला है और इसमें उसके मुवक्किल के जाली हस्ताक्षर से ज़मीन बेचीं गई है | अतः बिक्री की प्रक्रिया ही अवैध है |

जज साहब ने उसके तर्कों को सुनने के बाद हस्ताक्षर के मिलन हेतु फॉरेंसिक जांच का आर्डर कर दिया…और इस तरह अगला तारीख दो माह बाद का रखा गया |
दो महिना बाद जब अगली तारीख पड़ा तो राजेश्वर के वकील साहब ने फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट को जज साहब के सामने प्रस्तुत करते हुए यह बताया कि खेत बेचने के कागज़ पर जो हस्ताक्षर है वो मेरे मुवक्किल राजेश्वर जी के नहीं है.. यह फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट से साबित होता है |
उन्होंने जज साहब से यह भी आग्रह किया कि ..चूँकि फ्रॉड का मामला सिद्ध हो गया है अतः आप से निवेदन है कि लोवर कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए मेरे मुवक्किल के पक्ष में फैसला सुनाने का कष्ट करें |
इस पर विपक्ष के वकील साहब ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि उसके मुवक्किल को भी अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए अवसर मिलना चाहिए और यह तभी संभव है जब इस पर खुली बहस हो |
जज साहब ने विपक्षी वकील को लगभग डांटते हुए कहा कि जब धोखा धडी का मामला स्पस्ट रूप से नज़र आ रहा है तो इसमें और बहस क्या होगी ? मैं अगले महीने की पाँच तारीख को अपना फैसला सुनाऊंगा और यह कह कर उन्होंने कोर्ट को स्थगित कर दिया |

जब राजेश्वर अपने वकील से मिलने गया तो वकील साहब ने पूरी जानकारी दी और बताया कि अगली तारीख में फैसला हो जाएगा और उस तारीख में आप को कोर्ट में हाज़िर रहना है | अब आप निश्चिंत होकर घर जाइये ..भगवान् ने चाहा तो सब भला होगा |
और वो फैसले का दिन भी आ गया | आज हाई कोर्ट में राजेश्वर के साथ दिनेश, सरपंच और खलीफा भी उपस्थित थे |
राजेश्वर मन ही मन भगवान् को याद कर रहा था और विनती कर रहा था कि फैसला उसके पक्ष में आये | उसने थोड़ी दूर पर खड़े दिनेश और उसके अन्य साथी को देखा और महसूस किया कि वो लोग काफी चिंतित है |
उसके छोटे भाई को आज पहली बार न्याय की गरिमा का एहसास हुआ और लगा कि न्याय को पैसो से ख़रीदा नहीं जा सकता है |
कोर्ट के अंदर अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था तभी थोड़ी सी हलचल हुई तो राजेश्वर ने देखा कि जज साहब आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गए है | उनके बैठने के बाद एक स्मार्ट और नौजवान वकील बोलने के लिए खड़ा हुआ | राजेश्वर के वकील ने इशारों से राजेश्वर को बताया कि यही आप के बड़े वकील साहब है |
बड़े वकील साहब ने झुक कर जज का अभिवादन किया | तभी जज साहब ने पूछा कि दोनों पक्ष के लोग उपस्थित है या नहीं ?

तभी विपक्ष के वकील ने भी खड़े होकर अभिवादन किया और फैसला सुनाने के लिए आग्रह किया |
फैसला सुनाने के पहले दिनेश और उसके साथी कटघरे में खड़े हो गए |
जज साहब ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा ….सारे तथ्यों के छानबीन और जानकारी इकट्ठी करने के बाद कोर्ट इस निर्णय पर पहुँचा है कि फर्जी हस्ताक्षर करके दिनेश जी ने राजेश्वर के खेत को बेच दिया है | सरपंच और खलीफा भी इस फर्जीवाड़े में बराबर के जिम्मेवार पाए गए है, इसलिए अदालत खेत की रजिस्ट्री को निरस्त करती है |
दिनेश बाबु फर्जी हस्ताक्षर कर गलत तरीके से रजिस्ट्री करने के दोषी पाए गए है, इसलिए अदालत उन्हें पाँच साल की सश्रम कैद की सजा मुक़र्रर करती है | साथ में इस जुर्म में सहयोग देने के लिए सरपंच और खलीफा को भी दो-दो वर्ष के सश्रम कैद की सजा देती है |
फैसला सुनाने के बाद जज साहब इजलास (कोर्ट) से उठ कर अपने चैम्बर में चले गए |
फैसला सुनते ही, एक तरफ राजेश्वर ख़ुशी से उछल पड़ा | ख़ुशी के कारण उसके मुहँ से आवाज़ नहीं निकल पा रही थी और आँखों से ख़ुशी के आँसू बह रहे थे | दूसरी तरफ दिनेश, सरपंच और खलीफा का बुरा हाल था | फैसले के बाद तीनो को पुलिस ने कटघरे से निकाल कर अपने हिरासत में ले लिया |
राजेश्वर के वकील ने राजेश्वर को कोर्ट से बाहर निकलने का इशारा किया और दोनों मिल कर बड़े वकील साहब के चैम्बर में पहुँचे |
राजेश्वर ज्योही चैम्बर में घुसा उसने बड़े वकील साहब के सामने अपने हाथ जोड़ लिए | और उसके आँखों में आँसू बह रहे थे और मुहँ से कोई आवाज़ नहीं निकल पा रही थी, बस वह अपना सिर झुका कर खड़ा था |
तभी बड़े वकील साहब अपने कुर्सी से उठ कर राजेश्वर के पास आये और उनके पैर छू कर प्रणाम किया |
राजेश्वर भौचक रह गया, उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था, कि ऐसा भी हो सकता है…| …क्रमशः

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Categories: story
Very nice
The end was perfect which is not so often these days.
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yes dear, but end is still to come..stay connected..
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Good morning. Nice story. Hope the ending is just as good. Carry on Verma ji.
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thank you sir… I hope you will the end part of this story..stay connected sir..
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Good
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thank you
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
दूरियाँ कभी किसी रिश्ते को नहीं तोड़ सकती है,
और, नजदीकियाँ कभी किसी रिश्ते को नहीं बना सकती है…
अगर भावनाएं सच्चे ह्रदय से हो तो दोस्त दोसर ही रहते है ,
फिर चाहे वे मीलों दूर क्यों न हों ….
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