# नमक हराम #…4

हल्की सी आहत भी होती है तो जाग जाता हूँ मैं शायद अभी भी कायम है दिल में उम्मीद तेरे लौट आने की पत्थरों का शहर उस चाय वाले को समझते देर नहीं लगी कि भाइयों में झगडा हुआ है … Continue reading # नमक हराम #…4