
ज़िन्दगी में कभी कभी ऐसे लम्हे आते है जब जो हम अपने आप को तरो ताज़ा महसूस करते है | उन पलों में हम अपने सभी तरह की परेशानी भूल जाते है |
सच्चा दोस्त और सच्चा प्यार में बहुत ताकत होती है | वो हर समस्याओं का मुकाबला कर सकती है कुछ घटनायें हो जाती है जिससे ग़लतफ़हमी भी पैदा हो जाती है जिससे मन खिन्न रहने लगता है . हमें लगता था कि पिंकी के साथ भी ऐसा हो रहा था |
लेकिन कल रात की घटना ने वो सारी गलतफमी दूर कर दी थी | यह सच है कि यहाँ इस जगह मेरे लिए अकेले रहना और ज़िन्दगी में रोजमर्रा की समस्याओं से जूझते रहना कठिन हो रहा था और अगर कोई अपना बनकर आप का ख्याल रखे और आपको अकेलापन का भी एहसास ना होने दे तो मन को ख़ुशी तो मिलती ही है |
साथ ही आप को उसके प्रति एक अलग तरह का आकर्षण हो जाता है |
मैं बिस्तर पर बैठा यह सब सोच ही रहा था कि सुबह सुबह पिंकी अचानक छत पर आयी और जब बिस्तर पर बैठे बैठे उससे मेरी नज़र मिली तो मैंने महसूस किया कि वो कुछ कहना चाहती थी ..मैं इशारे से रात के खाने का धन्यवाद किया |
मैं कुछ बोलना चाह रहा था कि उससे पहले ही एक कागज़ का टुकड़ा मेरे आँगन में फेक कर जल्दी से सीढिया उतरती हुई अपने घर के अंदर चली गई |

मैंने घडी में देखा तो सुबह के सात बजने वाले थे | मैं जल्दी से बिस्तर से उठा और उस कागज़ के टुकड़े को उठा कर पढ़ा जिसमे लिखा था कि आज शाम पांच बजे नदी पर मिलना चाहती हूँ |
कुछ दूर पर एक नदी है जहाँ कभी कभी घुमने जाया करता था .. शायद हमारे दिमाग में चल रहे सभी प्रश्नों का ज़बाब देना चाहती थी ,या वो अपने मन की बात कहना चाहती थी |
मैं उसके पत्र को जेब में रखा ही था, तभी मनका छोरी आंधी तूफ़ान की तरह घर में प्रवेश की और जल्दी से बोली कि ..पैसे दो, दही और सब्जी लानी है | तभी खाना बन पायेगा |
मैं जबाब में बोला कि तू पहले किचन में जाकर देख, मैं रात में ही सब्जी लेता आया था और हाँ, तेरे लिए ड्रेस भी ले आया हूँ |
उसने जल्दी से पैकेट को खोल कर देखा तो उसमे बहुत सुंदर “घाघरा – चोली” थी | अपनी ड्रेस देख कर वह तो जैसे ख़ुशी से पागल ही हो गई |
शायद पहली बार किसी ने इस तरह का तोहफा दिया था | वह कपड़े का पैकेट ले कर तुरंत झुकी और मेरे पैर छू लिए | और वो बहुत ही भावुक हो गयी | उसके आँखों में आँसू देख मैं भी भावुक हो गया | शायद ख़ुशी के आँसू थे |
पैसो से ज्यादा रिश्तों की अहमियत होती है | कोई किसी चीज़ की चाहत करे और वह तुरंत उसे पूरी कर दे तो उसकी नज़र में वह भगवान् का दर्ज़ा पा लेता है | उसके चेहरे की ख़ुशी को देख कर महसूस हुआ कि छोटी छोटी लम्हों को ऐसे ही सेलिब्रेट करना चाहिए |
वह जल्दी जल्दी अपने काम में लग गई और सबसे पहले चाय बनाकर रोज़ की तरह दो गिलास में ले कर आयी ..एक मुझे देते हुए मेरे सामने ही ज़मीन पर बैठ कर खुद भी पिने लगी | उसकी चेहरे की ख़ुशी को देख मुझे भी खुश रहने की प्रेरणा मिलती थी , क्योंकि इतनी गरीबी में रहते हुए भी उसके चेहरे पर कभी उदासी नहीं देखी |
आज शाम को पिंकी से भी मुलाकात का समय तय हो चूका था | आज उसके दिल की बात सुनूंगा और कुछ अपने दिल की बात भी करूँगा | आज मैं थोडा ज्यादा ही भावुक हो गया था |

खैर, खाना खा कर बैंक रवाना हो गया | रोज़ की तरह आज भी बैंक में काफी भीड़ थी और तुरंत ही हमलोग अपने काम में व्यस्त हो गए |
तभी मेनेजर साहेब के चैम्बर में फ़ोन की घंटी बजी |
मेनेजर साहेब अभी तक बैंक नहीं आये थे, इसीलिए चपरासी, कालू राम दौड़ कर फ़ोन अटेंड करने गया ..और फ़ोन पर वार्तालाप करते करते अचानक जोर जोर से रोने लगा |
चूँकि बैंक में काफी भीड़ थी और हमलोग काम में काफी व्यस्त थे तो उसकी रोने की आवाज़ सुनकर हम सब चौक गए और मैं तुरंत उसके पास पहुंचा और प्रश्न भरी नज़रों से उसे देखा ..तो फ़ोन रखते हुए उसके बताया कि हमारे मेनेजर साहेब अब नहीं रहे |
एक बार तो उसकी बातों पर हमलोग तो बिश्वास ही नहीं हुआ | मैं दुबारा उससे प्रश्न किया तो पूरी बात बताई कि मेनेजर साहेब के बड़े भाई का फ़ोन था और उन्होंने बताया कि मैनेजर साहब गाँव से मोटर साइकिल पर बैंक आ रहे थे तो रास्ते में उनकी मोटर साइकिल ट्रक से टकरा गई और उनकी spot death हो गई |
हमलोग सुन कर हक्का – बक्का हो गए और कुछ देर के लिए बैंक का काम ही बंद कर दिया और जो पुराने ग्राहक थे वो भी सुनते ही अफ़सोस जताने लगे |
मैं सर पकड़ कर अपने सीट पर बैठ कर सोचने लगा… मेनेजर साहब कितना भला इंसान थे जो हर दम सभी को मदद के लिए तैयार रहते थे | यहाँ तक कि मुझे भी यहाँ मकान दिलाने में उनका ही योगदान था | कल तक सभी कुछ सामान्य गति से चल रहा था और अचानक सब कुछ समाप्त | मैं यही सोचता रहा कि ज़िन्दगी की हकीकत बस यही है ….

हमलोगों ने जल्दी से बैंक का काम समाप्त कर करीब चार बजे दिन में आबू रोड के पास स्थित उनके गाँव “अम्बा” के लिए रवाना हो गया | वहाँ पहुँचा तो देखा …. पूरा गाँव ही उनके घर पर इकट्ठा हो गया है और सभी के चेहरे पर दुःख के भाव थे |
मैंने भी वहाँ रखे उनके फोटो को प्रणाम किया और मन ही मन सोचने लगा कि कल जिस इंसान को हँसता मुस्कुराता देखा था आज अचानक इस दुनिया को अलविदा कह दिया | सच, यही ज़िन्दगी की हकीकत है |
हमलोगों भावभीनी श्रद्धांजलि देकर वहाँ से वापस लौट रहे थे और घडी देखा तो रात के आठ बज चुके थे |
घर पहुँचा तो रात के दस बज चुके था / मैं हाथ मुँह धो कर बैठा ही था कि किसी ने दरवाज़ा पर किसी ने दस्तक दी |..खोल कर देखा तो पिंकी दरवाजे पर खड़ी थी …वो शिकायत भरे लहजे में मुझे देखने लगी ..
मैं ने आज की सारी घटना को उसे बता दिया ..मैनेजर साहब की मृत्यु के बारे में जान कर उसके चेहरे पर भी दुःख के भाव उभर आये |
फिर वो बोली …..खाना लाती हूँ |
मैंने उसे मना करते हुए कहा…… मुझे भूख नहीं है ..|
मन भी इस घटना के कारण दुखी था , इसलिए मैंने कहा …अभी तुम जाओ …कल बात करेंगे …
ज़िन्दगी भी क्या चीज़ है …कब हंसाएगी कब रुलाएगी पता नहीं ,
भगवान् तुम भी ग्रेट हो …अच्छे लोगों को जल्दी बुला लेते हो…
खैर ज़िन्दगी के इस सच को स्वीकार करने के अलावा और कोई रास्ता भी तो नहीं ….. ….

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: मेरे संस्मरण
I remember having read this post. Anyhow good reading.
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Yes sir, this was the repetition . Actually I was missing my old manager sahib.
thank you sir for your cooperation and support. Stay happy..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
व्यक्ति का चेहरा नहीं ,
उसकी सोच उसे सुन्दर बनाती है ..
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