
नया सवेरा आएगा
फिर नया सवेरा आएगा ,फिर पेड़ों पर पंछी चहकेंगे
फिर से भँवरे भी गायेंगे ,फिर हर कली हर फुल महकेंगे
कष्ट के दिन गुजर जायेंगे ,फिर चंचल दिल बहकेंगे
फिर नया सवेरा आएगा , फिर पेड़ो पर पंछी चहकेंगे …
सुमन को हॉस्पिटल से अपने घर में आये हुए पुरे दस दिन हो गए थे और इन दस दिनों में रामवती दिन रात एक करके ऐसी सेवा कर रही थी, जैसे उसका अपना बच्चा बीमार हो ।
रिश्ते में तो वो उसकी सौतन है । लेकिन, सच तो यह है कि रामवती उसे दिल से अपनी छोटी बहन ही मानती है , उसकी छोटी से छोटी इच्छायों का ध्यान रखती है और सुबह शाम उसे सहारा देकर टहलाती है और उसके खान – पान का विशेष ध्यान रखती है | इसी का परिणाम है कि सुमन के स्वास्थ्य में बहुत तेज़ी से सुधार हो रहा है |
फिर भी कभी कभी सुमन अकेले में बैठ कर रोने लगती है | उसके मन की व्यथा को रामवती भली भांति समझती है | एक तो हमेशा बक – बक करने वाली सुमन को भगवान् ने उसकी आवाज़ ही छीन ली और इससे भी बुरा हुआ कि वो अब कभी माँ भी नहीं बन पायेगी | यहाँ माँ वाली उसकी ममता लाचार दिख रही है / हालाँकि राजू को अपने बच्चे से बढ़ कर मानती है और अपना सारा प्यार उस राजू पर लूटाती है और राजू भी उससे इतना घुल मिल गया है कि रात में उसी के साथ सोने लगा है | फिर भी कभी कभी सुमन का मन उदास हो जाना स्वाभाविक है |
आज दस दिनों के बाद डॉक्टर ने उसका टांका को काटने के लिए बुलाया है | सुमन सुबह आज जल्दी उठ कर तैयार हो रही है | ठीक दस बजे का टाइम दिया है डॉक्टर ने |
सुमन तैयार होकर रामवती के पास आयी और उसे भी तैयार होने को इशारे से कहने लगी | तभी रामवती ने उसे समझाया …तुम उनके साथ चली जाओ | मैं तब तक घर के सारे काम निपटा लुंगी और राजू को भी नहलाना और खाना खिलाना होगा | आज तो सिर्फ टांका ही कटना है | तुम बिलकुल भी मत घबराना | वो उसके साथ अपने न जा पाने की लाचारी बतला दी /
ड्राईवर भी ऑफिस का कार लेकर आ गया / आज इसी कार से हॉस्पिटल जाना था | सुमन फिर रघु को इशारे से बोली कि दीदी को भी ले चलो | लेकिन रघु बोला ..रामवती को सचमुच अभी घर के बहुत सारे काम निपटाने है और विकास को तो साथ लेकर चल ही रहे है | डॉक्टर साहब ज़ल्दी ही छोड़ देंगे | टांका कट जाने के बाद घर आकर तुम रामवती और राजू के साथ आराम से खेलती रहना |
सुमन को कार में बैठा कर रघु और विकास चल दिए | रास्ते में सुमन ने गाड़ी को रुकवाया, तो सभी चौक कर सुमन की ओर देखने लगे |
तभी सुमन ने रघु को देखा और सामने खड़े नारियल पानी के ठेले को देख कर नारियल पानी पिने की इच्छा जताई |
रघु सुमन को देख कर हंसने लगा और पूछा …डॉक्टर से इजाजत ली हो |
सुमन ना में अपना सिर हिलाई लेकिन बच्चो की तरह नारियल पानी पीने की जिद करने लगी |
विकास जल्दी से सब के लिए नारियल पानी ले कर आ गया और तीनो एक दुसरे को देख कर खुश हो रहे थे ।
रघु ने आज कितने दिनों के बाद सुमन को हँसते हुए देखा था | वो भगवान् से मन ही मन प्रार्थना करने लगा ..अब तो इसकी तकलीफ दूर कर दो प्रभु |

हॉस्पिटल पहुँच कर रघु डॉक्टर के पास पहुँचा और सुमन के आने की खबर उन्हें दी | डॉक्टर साहब खुद चल कर सुमन के पास आये और उसे पैर से चला कर अपने चैम्बर तक ले गए |
डॉक्टर साहब खुश होकर बोले .. .. वाह, सुमन | बहुत कम समय में अच्छी रिकवरी हुई है | आप सुमन को लेकर अंदर चलिए मैं इनका चेक -उप भी कर लूँ |
टांका कटने के बात सुमन ने राहत की साँस ली | और वो अब खुश दिखाई दे रही थी | वो रघु के कंधे को पकड़ कर खुद से खड़ा होने की कोशिश कर रही थी तभी रघु उसे सहारा देकर खड़ा किया और धीरे धीरे चलाने की कोशिश करने लगा | डॉक्टर साहब सुमन की स्थिति को देख कर संतुष्ट थे …और बोले ..आप लोगों ने इनकी अच्छी तरह सेवा की है तभी सुमन के स्वास्थ में इतनी तेज़ी से सुधार हो पाया है |.
इधर रामवती घर का सभी कार्य जल्दी जल्दी निपटा रही थी | घर को बिलकुल सलीके से सजा दी ,ताकि सुमन जब वापस आये हो हर चीज़ उसे अपनी जगह पर मिल सके | .राजू को भी नहला धुला कर तैयार कर दी थी और खुद भी नहा धो कर तैयार हो गई थी |
हरिया राजू को लेकर एक कमरे में खिलौना से खेला रहा था, तभी डोर- बेल की घंटी बजी और हरिया दरवाज़ा खोला तो सुमन और रघु सामने खड़े थे | अंदर आते ही सुमन रामवती को इधर उधर खोजने लगी, लेकिन वो कही दिखाई नहीं दे रही थी |
तब सुमन ने रघु की तरफ आशंका भरी नज़रों से देखा | उसकी बात को समझते हुए रघु ने हरिया से पूछा ….रामवती कहाँ है ?
हरिया बोला …कुछ देर पहले तक तो वो यही थी और अपने काम में व्यस्त थी | लगता है मैडम के लिए बाज़ार से कोई सामान लाने गई होगी | रघु भी उसकी बातों से सहमती जताई और सुमन से बोला..अभी थोड़ी देर में वो आ जाएगी |
तभी राजू सुमन को देख कर दौड़ कर उसके पास आया और सुमन ने उसे गले से लगा लिया | राजू सुमन को देख के खुश हो रहा था और सुमन राजू को देख कर / तभी राजू के पॉकेट में एक कागज़ का टुकड़ा दिखा तो सुमन ने सोचा कही कागज़ खा न ले, इसलिए उसके पॉकेट से निकाल कर देखने लगी …अचानक उसके हाँथ कांपने लगे और उसके आँखों से आँसू बहने लगे और जोर जोर से रोने लगी |
रघु को कुछ समझ नहीं आया | वो सुमन की तरफ देख कर कुछ जानने की कोशिश करने लगा, तभी सुमन ने रामवती द्वारा टूटी फूटी हिंदी में लिखी गई चिट्ठी रघु के हाथ में दे दी

रघु उस चिट्ठी को ध्यान से पढने लगा ………..टूटी फूटी हिंदी लिखा था …
मेरी छोई बहन सुमन.. .
मैं तुम्हे हमेशा खुश देखना चाहती हूँ | चाहे भगवान् की जो भी मर्जी रही हो लेकिन मेरे तरफ से अपना पति और अपना बच्चा तुम्हे सौप कर जा रही हूँ | तुम ने अब तक बहुत दुःख सहे है |
अब मैं चाहती हूँ कि तुम खुशहाल ज़िन्दगी जिओ और उन खुशियों का सामान तुम्हारे हवाले कर के जा रही हूँ | तुम मुझे खोजने की कोशिश मत करना |
रामवती की चिट्ठी को देख कर सभी लोग सकते में आ गए | किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अचानक यह क्या हो गया और अब क्या किया जाए ?
तभी हरिया बोला ..रघु भैया, ऐसे घबराने से काम नहीं चलेगा | सब लोग मिल कर सोचिये कि रामवती को कैसे ढूँढा जाये | अभी ज्यादा समय भी नहीं हुआ है उनके गए हुए |
तभी विकास बोला ..हमलोग यहाँ पास के रेलवे स्टेशन “कुर्ला” में चलते है, शायद गाँव जाना चाह रही हो |
ठीक दो बजे एक ट्रेन है जो पटना, बिहार के लिए जाती है | उस में चल कर देखना चाहिए, शायद वहाँ मिल जाएँ..
सुमन चुपचाप सब लोगों की बातें सुन रही थी और रोये जा रही थी |
रघु उसे चुप कराते हुए बोला ..सुमन, तुम चिता मत करो, मैं जल्द ही उसे ढूंढ कर लाता हूँ |
हरिया बोला …मैं यहाँ राजू को संभालता हूँ, आप और विकास जल्दी स्टेशन जाकर ढूंढे | बैठ कर समय नष्ट करने से कोई फायदा नहीं होगा |
तुम ठीक कह रहे हो हरिया ..रघु बोलते हुए उठा और विकास को लेकर निकल गया |
स्टेशन पर काफी भीड़ थी और पटना की गाड़ी प्लेटफार्म नंबर एक पर जाने को तैयार थी | रघु बोला ..देखो विकास . ट्रेन चलने में सिर्फ पांच मिनट शेष रह गया है ,उतने समय में ही उसे ढूंढना होगा |

तुम ईंज़न की तरफ से और मैं पीछे से देखता हूँ…..रघु ने विकास को समझाया |
ठीक है रघु भैया ..विकास बोला और दौड़ पड़ा रामवती को ढूंढने | दोनों के दिल की धड़कने तेज़ हो गई थी और चारो तरफ पागलों की भांति रामवती को ढूँढने के लिए एक एक डब्बा छानने लगे | लेकिन रामवती कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी | तभी ईंज़न ने सिटी बजाई और ट्रेन धीरे धीरे सरकते हुए तेज़ गति से भागने लगी |
रघु अपना माथा पकड़ कर प्लत्फोर्म पर ही बैठ गया | अब मैं सुमन को क्या ज़बाब दूंगा, .रघु के आँखों में आँसू आ गए | तभी ट्रेन थोड़ी दूर चलने के बाद अचानक रुक गई / लेकिन क्यों रुकी पता नहीं चला और रघु आँखे उठा कर ट्रेन की ओर देख रहा था तभी सामने ही ट्रेन के अंतिम डिब्बे में खिड़की के पास रामवती बैठी दिखी | उसे देख कर अचानक रघु के शरीर में फुर्ती आ गई और वो दौड़ कर रामवती के पास पहुँच गया |
रामवती, तुम अभी घर चलो …रघु निवेदन पूर्वक बोला |
देखो जी, बात ऐसी है कि हमारे वहाँ रहने से सुमन खुल कर अपनी खुशहाल ज़िन्दगी नहीं जी सकती और मैं चाहती हूँ कि उसे वो सब खुशियाँ मिले जो एक औरत को अपने ज़िन्दगी में चाहिए | इसलिए तुम लोगों से दूर जाना चाहती हूँ …रामवती रघु को समझाते हुए बोली |
लेकिन मैं तुम्हारे बिना भी नहीं रह सकता हूँ, रामवती | अगर ऐसा है तो मुझे भी साथ ले चलो …रघु रामवती को हाथ पकड़ कर बोला |
देखो जी, तुम बच्चो जैसी बातें मत करो .. सुमन मेरी छोटी बहन है और उसकी कोई भी तकलीफ मुझसे देखी नहीं जाएगी…..तुम बस बोल देना कि रामवती को बहुत ढूँढने पर भी नहीं मिली |
तभी रघु के फ़ोन की घंटी बज उठी …हरिया बहुत ही घबराया हुआ लग रहा था और वो हेल्लो हेल्लो किये जा रहा था | रघु स्पीकर ऑन कर बात करने लगा और पूछा ..क्या बात है हरिया ?
रघु भैया, मैडम अचानक बेहोश हो गई है और उनके मुँह से झाग निकल रहा है | लगता है शायद ज़हर खा ली है | समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूँ | यहाँ राजू भी अकेले है इसलिए उसको छोड़ कर बाहर भी नहीं जा सकता ..बोल कर वो रोने लगा |
रामवती जल्दी से रघु से फ़ोन लेकर हरिया से बोली …तुम हिम्मत से काम लो हरिया ..और उसको पानी पिलाने की कोशिश करो, मैं डॉक्टर को फोन कर देती हूँ वो तुरंत पहुँच जायेंगे |
ट्रेन फिर से स्टार्ट हो चुकी थी और गति पकड़ने वाली थी, तभी रामवती फ़ोन बंद की और रघु को लेकर ट्रेन से नीचे कूद पड़ी |
रघु आश्चर्य से रामवती को देखे जा रहा था, तो रामवती बोली…क्या देख रहे हो जी | मैं सुमन के लिए तो भगवान् से भी लड़ सकती हूँ | मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगी | तुम जल्दी से टैक्सी ठीक करो, मुझे जल्द ही सुमन के पास पहुँचना होगा |
रामवती जल्दी से घर में दाखिल होकर सीधे सुमन के पास पहुँची तो देखा वो बेहोश बिस्तर पर पड़ी है | सबसे पहले रामवती पानी से उसके मुँह को धोई और पानी पिलाने की कोशिष करने लगी, तभो डॉक्टर साहब को ड्राईवर लेकर आ गया |
डाक्टर साहब चेक अप करने के बाद कहा …आई ऍम सॉरी | इनकी दिल की धड़कन रुक गई है | रामवती डॉक्टर को लगभग धक्का देते हुए सुमन के नजदीक पहुँची और उसने उसे सीने से जोर से चिपका कर बोली…मेरी छोटी बहन,…. तुम्हे इतनी आसानी से जाने नहीं दूंगी | अभी तो तुम्हे मेरे साथ ज़िन्दगी बितानी है और वो दहाड़ मार कर रोने लगी |

तभी सुमन के शरीर में थोड़ी हरकत हुई और अचानक उसकी आँखे खुल गयी |
रामवती को देखते ही सुमन जोर से चिल्लाने की कोशिश की …. दीदी…..दीदी .और उसके मुँह से अचानक आवाज़ आयी ..दीदी |
आवाज़ सुनकर लोग हैरान भी थे और खुश भी ….
रामवती ने कहा …, एक बार फिर बोलो सुमन |
दीदी…सुमन साफ आवाज़ में बोली और रामवती से लिपट गई |
मुझे छोड़ कर क्यों चली गयी थी दीदी…अगर मुझे छोड़ना ही था तो क्यों बचाया मुझे ? मुझे मर जाने दिया होता |
रिश्ते और परिवार दोनों मेरे लिए हमेशा ही एक पहेली रहे है और जब आज परिवार और रिश्ते दोनों मिलने का एहसास हो रहा है तो मुझे छोड़ कर जा रही हो ….. यह जानते हुए भी कि आज मुझे तुमलोगों के मदद की ज़रुरत है |
आज जो भी परिस्थिति उत्पन्न हुई है इसके लिए हमलोगों में से कोई भी जिम्मेवार नहीं है | यह सब तो भाग्य और परिस्थिति का दोष है | इसके लिए अपने को दोषी मानना या फिर भावना में बह कर अपनी कुर्बानी देना, कहाँ तक उचित है दीदी ?
और दीदी, …रिश्ते क्या केवल शादी ब्याह से ही बनाये जाते है .. अरे, कुछ रिश्ते तो अपने आप भी बन जाते है …..क्यों और कैसे .. पता ही नहीं चलता |
अगर इन रिश्तों को कुछ लेने या कुछ देने की नज़रों से देखा जाए तो ये स्वार्थी और गंदे हो जाते है |
दीदी, क्या मैं तुम्हारी छोटी बहन बन कर नहीं रह सकती हूँ ? क्या राजू को अपना नहीं कह सकती ? बताओ न दीदी …. क्यों मुझे छोड़ कर जा रही थी |
रामवती स्नेह पूर्वक उसे सीने से लगा लिया और बोली… बस कर पगली, और कुछ मत बोल | …
सभी के आँखों में आँसू बह रहे थे | लग रहा था कि आँसुओं में धुल कर सभी के मन का मैल साफ़ हो गया हो और यह इशारा भी था कि नया सवेरा हो चूका है और अब सबको एक नई ज़िन्दगी की शुरुवात करनी है… (समाप्त)

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Categories: story
Gd af nn sir ji
Bhut khub sir ji
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धन्यवाद् डिअर ,हौसलाअफजाई के लिए ..आप हमसे जुड़े रहे और हमारी लेखनी को पढ़े |
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Very good story
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thank you sir for your compliment…stay connected..
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Beautiful story
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thank you dear..your words mean a lot for me..stay connected and stay happy…
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Beautiful story
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thank you dear , your words mean a lot ..
stay connected ,stay happy..
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Very well written Sir.
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thank you dear ..finally i got your views …
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Begin each day with optimism and end each day with
Forgiveness. Happiness in life begins and ends within your
HEART…
Be happy….Be healthy….Be alive…
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Good evening.
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