
तेरा साथ है तो
सिलसिला ये चाहत का दोनों तरफ से था ,
वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे….
सुमन खाना खा कर बिस्तर पर लेट गई लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी |
वह सोच रही थी …आज का दिन बहुत अच्छा था, पहली बात तो यह कि मुझको स्वतंत्र रूप से एक फैक्ट्री का मैनेजर बना दिया गया था, जिसमे मैं खुद के सभी फैसले ले सकती हूँ और अपने क़ाबलियत को दिखाने का मौका मिल सकता है |
और दूसरी, इससे भी अच्छी बात यह कि अब रघु मेरी आँखों के सामने ही रहेगा जिसके लिए मेरा दिल पागल रहता है |
मेरी इच्छा है कि उसे एक अच्छा मॉडल बना कर दुनिया के सामने पेश कर करूँ | यह सत्य है कि मनुष्य अपने कर्मो से ही बड़ा बनता है | मैं रघु को एक सफल और काबिल इंसान बना कर उस मैनेजर को ज़बाब देना चाहती हूँ ,जिसने एक दिन रघु को अपने चैम्बर में बुला कर मेरे सामने ही उसकी बेइज्जती की थी |
इन्ही सब बातों को सोचते और करवट बदलते जाने कब नींद आ गई |
इधर मेरा भी यही हाल था, मुझे भी नींद नहीं आ रही थी, क्योकि ख़ुशी तो थी कि अब सुमन हमारे पास ही रहेगी, लेकिन उससे ज्यादा चिंता इस बात की सता रही थी कि … रामवती आज ही मोबाइल पर धमकी दे रही थी ..कि वह भी मुंबई आ जाएगी राजू को लेकर |
अगर ऐसा हुआ तो मैं मुसीबत में पड़ जाऊंगा | वो सुमन की बेइज्जत करेगी, झगडा करेगी जिसे मैं बर्दास्त नहीं कर पाउँगा | फिर क्या होगा, भगवान् ही जाने |
मैं बस करवट बदलता रहा और पंछियों की आवाज़ ने आभास दिलाया कि सुबह हो चली है |
मैं बिस्तर से उठ बैठा लेकिन सिर भारी लग रहा था | तभी हरिया भी मुँह में दातुन दबाये आ गया और बोला ..रघु भैया …राम राम | आप से एक बात करनी थी |
बात तुम बाद में करना, पहले एक कप चाय पिलाओ | मेरा सिर दर्द के मारे फटा जा रहा है |
मुझे पता है .. आप फिर रात भर चिंता-फिकिर किये होंगे और नींद पूरी नहीं हो पाई होगी …..हरिया बोला और दौड़ कर चाय लाने चला गया |
मैं सुबह के नित्य-कर्म से निबट कर बैठा ही था कि विकास और हरिया दोनों चाय लेकर आ गए और हम तीनो चाय पिने लगे |
तभी विकास बोल पड़ा …रघु भैया, हम सुने है कि मैडम धारावी वाला फैक्ट्री में मेनेजर बन कर आ गई है |
हमने कहा ..हाँ तो ?
हमलोग को भी उसी फैक्ट्री में रखवा दीजिये ना | हम तो गारमेंट का काम भी जानते है |

तुम ही बात कर लो …मैडम तुम को तो हमसे ज्यादा मानती है ..मैंने ने हँसते हुए कहा |
यह भी कोई कहने की बात है …विकास बोला |
तब तक हरिया बोल पड़ा ….तो हमको क्यों छोड़ रहे हो |. मैं भी तुम सब के साथ काम करूँगा और मैडम बॉस रहेगी तो क्या कहना | कभी कभी पार्टी भी चलते रहेगा |
अच्छा जल्दी करो ..नहीं तो ड्यूटी जाने में देर हो जाएगी |
हम सब जल्दी जल्दी खाना खाया और तैयार होकर अपने अपने काम पर निकल पड़े |
मैं ऑफिस पहुँचा और देख कर चौक गया ….मैडम पहले से ही आकर ऑफिस में बैठी काम कर रही है |
मैं जल्दी से सुमन के चैम्बर में गया और कहा …गुड मोर्निंग, मैडम |
सुमन हँसते हुए बोली….”सुमन” ही कहो ..अच्छा लगता है और हाँ चाय मिल जाती तो…
हाँ – हाँ , अभी लाया ,..मैं उसकी बात पूरी होने से पहले ही बोल पड़ा |
मैं ने देखा कि काम के समय सुमन कितनी शांत और गंभीर हो जाती है | लगता ही नहीं कि वही सुमन है जो कल चौपाटी में बच्चो की तरह दौड़ रही थी, गोलगप्पे खा रही थी, फोटो खिचवा रही थी | मैं सुमन के सामने खड़ा इन्ही बातों में खोया था कि सुमन की आवाज़ ने चौका दिया |
रघु, मैं धारावी में एक सर्वे करना चाहती हूँ कि यहाँ किस तरह के लोग रहते है और कैसा पहनावा पसंद करते है, ताकि उसी के अनुसार अपने गारमेंट का डिजाईन तैयार कर सकूँ | उसके लिए आठ –दस लोगों की ज़रुरत पड़ेगी |
मैं विश्वास के साथ बोला…हो जायगा सुमन ..मैं और हमारे साथी लोग मिल कर यह काम कर सकते है |
लेकिन हरिया और विकास तो दूसरी जगह काम करते है ..सुमन शंका करते हुए बोली |
नहीं ..वो लोग वहाँ की नौकरी छोड़ कर यहाँ आना चाहते है….मैंने उसकी शंका दूर कर दी |
वाह, यह तो अच्छी बात है |लेकिन इसके अलावा इस गारमेंट क्षेत्र से जुड़े बीस लोगों की ज़रुरत पड़ेगी ..सुमन ने कहा |
चलो, यह भी हो जाएगा | ….मैंने कहा |
ठीक है, कल ही उनलोगों को इंटरव्यू के लिए तैयार करो .. ..सुमन ने कहा |
मैं जल्द ही फैक्ट्री को चालू करना चाहती हूँ |
तुम काम के समय इतनी गंभीर क्यूँ हो जाती हो ..मैंने सुमन से पूंछ लिया |
जब तुम्हे बड़ी जिम्मेवारी मिलेगी तब समझ जाओगे | अच्छा चलो…लंच का टाइम हो गया ..सुमन ने कहा |
मैं कैंटीन में बैठ कर सुमन के टिफिन का इंतज़ार कर रहा था कि वो मेरे पास आते हुए बोली.. आज मैं टिफिन नहीं लायी हूँ | रात को देर से सोई और सुबह खाना बनाने का मन ही नही किया |
सुमन तुम बेकार की चिंता करते रहती हो…मैंने कहा |
देखो मैं तुम्हारे लिए टिफिन में क्या लाया हूँ ..मैंने खुश होते हुए कहा |
अरे वाह, ..”लिट्टी – चोखा”.. ..सुमन खुश होते हुए बोली और लेकर खाने लगी |
वाह, क्या स्वादिस्ट बना है | ..कौन बनाया है लिट्टी ?…सुमन हँसते हुए पूछी |
मैंने बनाया है… हँसते हुए गर्व से कहा |
चलो अच्छा है ..आगे इस काम के लिए मैं इस्तेमाल करुँगी तुम्हे…वो तिरछी नजरो से देखते हुए बोली |
तभी रमेश बाबु एक बड़ा सा कार्टून का पैकेट लेकर आये और बोले…सेठ जी ने भेजा है |

आइये रमेश बाबू.. ,आप भी लिट्टी खाइए ..मैंने कहा |
वो भी साथ बैठ कर लिट्टी खाने लगे | और बातों बातों में मैडम से निवेदन किया …मुझे भी यहाँ ट्रान्सफर करा दीजिये तो मेरे लिए अच्छा होगा |
क्यों, वहाँ तो इससे बड़ी फैक्ट्री है और सभी आप के दोस्त तो वही है….मैंने जिज्ञासा से पूछा |
वो तो है, लेकिन वहाँ का माहौल ख़राब हो गया है, मैनेजर साहेब के कारण |
अच्छा मैं सेठ जी से बात करुँगी ..सुमन बोल पड़ी |
रमेश बाबु के जाने के बाद कार्टून खोल कर देखा तो कुछ गारमेंट्स और ड्रेस मटेरियल थे |
सुमन उसमे से कुछ ड्रेस छांट कर मुझे दिया और उसे पहन कर आने को कहा |
मैं कुछ समझा नहीं, लेकिन चुप चाप पहन कर सुमन के सामने हाज़िर हो गया |
मुझे देखते ही ख़ुशी से उछल पड़ी और बोली …मेरा काम हो गया |
मैं उत्सुकतावश पूछ बैठा …क्या मतलब |
अभी तुम नहीं समझोगे ..सुमन बोल रही थी …
जेंट्स और लेडीज गारमेंट्स की पब्लिसिटी के लिए मॉडल की ज़रुरत पड़ती है | मैं लेडीज के लिए और तुम जेंट्स के लिए सेलेक्ट हो जाओगे |
तुम्हे कल स्टूडियो मेरे साथ चलना होगा | वहाँ स्क्रीन टेस्ट के बाद ही सिलेक्शन फाइनल होगा |
और हाँ , हमारे फैक्ट्री के लिए मशीन और इंटीरियर का आर्डर सेठ जी दे चुके है |
इसी सिलसिले में अहमदाबाद से एक एक्सपर्ट मुआइना करने आने वाला है | उनके आने से पहले ही हमलोग को स्टाफ का सिलेक्शन और सर्वे का काम जल्दी ही पूरा करना होगा |
ठीक है सुमन…कल ही सिलेक्शन के लिए सब लोगों को लेकर आता हूँ |
तभी फ़ोन की घंटी बज उठी …मैं देखा तो रामवती का फ़ोन था .|
हेल्लो रामवती …,अभी मैं काम में व्यस्त हूँ, बाद में तुमको फ़ोन करता हूँ | इतना बोल कर फ़ोन काट दिया |
रामवती का मुझ पर शक और गहरा होने लगा था कि मैं पराई औरत के साथ रहता हूँ | और वह इधर काफी परेशान रहने लगी थी, उसे लग रहा था मैं कोई गलत धंधे में हूँ और हमारी ज़िन्दगी खतरे में है |
रामवती शाम को जब गाँव के कुआँ पर पानी भरने गई तो वहाँ उसकी सहेली कालिंदी मिल गई |
रामवती ने अपनी आशंकाओं को कालिंदी के सामने ज़ाहिर कर दी | और बातों बातों में कालिंदी ने तो उसे यह कह कर डरा दिया, कि मुंबई मैं औरत तो जादूगरनी होती है, वह आराम से किसी मरद को अपने जाल में फांस लेती है | हमको तो रघु के बारे में भी शक लगता है |
तुम वहाँ चली क्यों नहीं जाती और खुद सामने रहोगी तो मरद अपने वश में रहेगा…कालिंदी ने कहा |
रामवती ने पूछा..लेकिन कालिंदी, मुंबई पहुंचेगे कैसे ? मेरे पास तो वहाँ का पता भी नहीं है |
कालिंदी ने उपाय सुझाए . ..तुम्हारे पास जो मनी आर्डर आया था उसमे उस औरत का तो पता होगा ही ,और रघु का फ़ोन नंबर भी लिख कर रख लेना |
रामवती को उसकी बात सही लगी और मन ही मन विचार करने लगी | पति की रक्षा करना पत्नी का धर्म होता है
आज धारावी की ऑफिस में सुमन का पहला दिन और काम करते हुए ध्यान ही नहीं रहा कि रात हो चुकी है |
घडी देखा तो आठ बज चुके थे | वो ज़ल्दी से उठी और मुझ से बोली कि अब चलना चाहिए |

मैंने कहा… रात हो गई है. चलो तुम्हे घर छोड़ देता हूँ |
सुमन बोली …एक शर्त पर साथ ले चलूँगी तुम्हे |
क्या शर्त है तुम्हारी …मैंने उसकी ओर मुस्कुराते हुए देखा |
ऐसा कोई कठिन नहीं है , सिर्फ मेरे साथ डिनर करना होगा |
लेकिन मेरी भी एक शर्त है ..मैंने शरारत से बोला |
तुम आजकल ज्यादा ही शरारत करने लगे हो |
चलो टैक्सी में ज़ल्दी बैठो | मुझे भूख लग रही है |
पुरे एक घंटे टैक्सी में रहे लेकिन फिर भी रास्ता कैसे कटा पता ही नहीं चला |
घर पहुँच कर सुमन ने मुझे पहनने के लिए नए कपडे दिए |
मैं आश्चर्य से उसकी ओर देखा औए बोल पड़ा …अरे वाह, मेरे लिए ?
तुम क्या समझते हो …सिर्फ तुम ही मेरा ख्याल रखोगे |
मैंने सुमन को सीने से लगा कर ..धन्यवाद दिया और हम दोनों मिल कर खाना बनाने में जुट गए |
खाना जल्द ही तैयार हो गया और हमलोग खाने के टेबल पर बैठ कर भविष्य की प्लानिंग कर रहे थे |
मैंने ने कहा …मुझे अब ज्यादा मेहनत करना होगा और कल से ही सर्वे का काम शुरू कर देना होगा |
घर पर ऑफिस की बातें नहीं …सुमन टोकते हुए बोली, यहाँ सिर्फ प्यार की बातें करो |
खाना खाने के बाद मुझे आलस लगने लगा था, इसीलिए मैं बोल पड़ा … तो ,मैं यहीं सो जाऊँ ?
नहीं. हुजुर | यह सोसाइटी का फ्लैट है.. ,लोग क्या कहेंगे | और तुम्हारा दोस्त लोग भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा |… (क्रमशः)
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Very nice
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thank you
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Bhahut hi achha laga ..aur iske baad ki kahani??
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बहुत बहुत धन्यवाद /इसके बाद की कहानी के लिए बने रहे …कल ज़रूर पढ़े /
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
कभी आशा की “ख़ुशी” ,
कभी निराशा का “गम”
कभी कुछ खो कर
कभी कुछ पाने की आशा
शायद यही है ज़िन्दगी की “परिभाषा”
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Great story , Sir.
Read the translated version
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Thank you so much..
Please read all the episode.
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