# एक बदनाम शहर #…18

मैं सभी दोस्तों का शुक्रगुजार हूँ कि  हमारे इस ब्लॉग की “प्रेम कहानी” आप लोगों को पसंद आ रही  है ..जैसा कि आप सब लोगों की प्रतिक्रिया से पता चलता है |

कुछ मित्रों ने तो कमेंट में कहा है कि अभी यह कहानी आगे भी जारी रहनी चाहिए | ..

लेकिन यह तो हमारे वश में नहीं है ..फिर भी कोशिश जारी है कि इमानदारी से  अपनी इस कहानी  को रख सकूँ | मैं आशा करता हूँ कि इस लम्बी lockdown से परेशान ज़िन्दगी में  आपके चेहरे पर थोड़ी मुस्कान लाने में सफल हो पाया हूँ |

पिछली बातों का सिलसिला  जारी रखते हुए, आगे की एक और कड़ी –..

आज की सुबह  मैं कुछ अजीब महसूस कर रहा था | हालाँकि आज जल्दी ही सुबह नींद खुल गई थी लेकिन सिर भारी  लग रहा था |

शायद रात में नींद ठीक से नहीं आने के कारण ऐसा हो रहा था |..

मैं बिस्तर  से उठा ,..चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था | ,,कहीं से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी |

हाँ, सिर्फ नुक्कड़ की सरकारी नल से लोगों के पानी भरने की कोलाहल को छोड़कर |

मैं कपडे बदलकर “नन्हकू चाय” की दूकान जाने ही वाला था, तभी मनका छोरी आ गई और मुझे देखते हुए बोली कि  अभी इतना सुबह कहाँ जा रहे हो ?

चाय  पीने … मैंने कहा |

हमसे अच्छा  “नन्हकू” चाय नहीं बना सकता |, बस मुझे थोड़ी वक़्त दो ताकि  पहले नलका से पानी भर लूँ | वर्ना आज भी  तुम्हे ही पानी भरना पड़ेगा | अब तो पिंकी लोग भी नहीं है कि तुम्हारी मदद कर सके |

अचानक उसके मुँह से पिंकी के बारे में सुन कर मेरे मुँह  से निकल गया ….वो सब के सब कहाँ चले गए ?

जैसे कि तुम्हे कुछ मालूम ही नहीं है –..मनका बड़े भोलेपन से बोली |

मैं तुरंत बोला –..अच्छा बताओ, क्या बात हुई थी रात को ? …मैंने मनका से पूछ लिया |

तुम तो रात में खाना खा कर शर्मा जी के यहाँ चले गए थे | उसी समय उसके चाचा  पिंकी को खूब भला बुरा बोल रहे थे और पिंकी बहुत रो रही थी |.

.मैं दरवाजे से लग कर सब सुन रही थी और रात में ही वो लोग जीप पर बैठ कर गाँव चले गए | लगता है  पिंकी अब यहाँ नहीं आ पायेगी |

मैं खामोश बन उसकी बातें सुनता रहा |

मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं पाकर ..वो फिर बोली –..तुम्हारा नाम भी बार बार उसके चाचा ले रहे थे | ..तुम दोनों का सब बात उनको पता चल चूका था |

कौन सी बात ? …मैंने पूछा ..

 कुछ देर खामोश रहने के बाद वो फिर बोली …मैं तो बहुत पहले से यह सब जानती थी | ..पिंकी तुमसे प्रेम करने लगी थी |

नहीं, ऐसा कुछ नहीं था …मैं तुरंत उसका विरोध किया |

लेकिन यहाँ गाँव – घर में जो चर्चा हो रही है ,  तुम किसका – किसका मुँह बंद कर सकोगे |..

मैं निरुत्तर मनका को देख रहा था | उसने चाय का गिलास पकड़ाते  हुए बोली …चाय पी लो | अब चिंता करने से क्या होगा ?   

सचमुच, कल की घटना ने मुझे टेंशन में डाल रखा था, क्योकि इस सारी घटना का जिम्मेवार मैं ही था | मेरे कारण  ही पिंकी को इतनी बेइज्जती झेलनी पड़ रही थी |

ऐसे समय में उसकी कोई मदद भी नहीं कर पा रहा था |

मैं मनका छोरी को खाना तैयार करने को बोल नहाने चला गया और फिर थोड़ी देर में भोजन कर  बैंक के लिए बाहर निकला तो  पिंकी के घर के दरवाज़े पर ताला लटका हुआ दिखा |

मैं धीरे धीरे दुखी मन से चलता हुआ बैंक पहुँच गया | लेकिन काम में बिलकुल मन नहीं लग रहा था |तो चाय पीने  के बाद,  फील्ड – विजिट में गाँव – करेली  निकल गया|

.. गाँव का सफ़र और वो सिर्फ दो किलोमीटर की दूरी थी , इसलिए पैदल ही चल पड़ा |

लेकिन गर्मी काफी थी इसलिए गाँव में दाखिल होते हुए थकान महसूस होने लगा |..

कुछ दूर पर ही हमारे बैंक के कस्टमर श्री सोहन लाल जी का फार्म हाउस था | , मैं पैदल चलते हुए उनके पास पहुँचा तो देखा कि वो ट्रेक्टर से अपने खेतों की जुताई कर रहे थे |…

मुझे देखते ही ट्रेक्टर से उतर कर  मेरे पास आये और खाट  बिछा कर बैठने का इशारा किया | और घड़े का ठंडा पानी गिलास में लेकर आये | हम दोनो ने पानी पीकर प्यास बुझाई |

बातों  बातों में जिज्ञासा वश उन्होंने पूछ लिया कि पैदल ही यहाँ आने का कारण क्या था | ..मैं  खाट  पर आराम से बैठते हुए कहा — आज फार्म हाउस का सुख प्राप्त की इच्छा हुई |

वो खुश होते हुए बोले कि  यह तो हमारा सौभाग्य है…लेकिन पहले लंच कर लिया जाये फिर बैठ कर बातें करेंगे | इतना कह कर अपने नौकर को इशारा कर भोजन मंगवा लिया |..

गरम गरम बाजरे की रोटी और ग्वारफली की सब्जी थाली में देख कर भूख बढ़ गई | चारो तरफ खेतों की हरियाली और घने पेड़ के नीचे बैठना गर्मी में काफी आराम दायक लग रही थी |

हमने  तो जल्दी से अपना भोजन समाप्त किया और एक गिलास छांछ पीकर मज़ा आ गया | सोहन लाल जी दूसरी खाट  पर बैठ कर अपनी खेती के बारे में बतलाने लगे |

..लेकिन रात को नींद पूरी नहीं होने के कारण,   मेरी तो तुरंत ही खाट पर नींद लग गई | मैं खर्राटे लेने लगा |

करीब पांच बजे शाम को नींद खुली तो मन थोडा हल्का हुआ | मैंने सोहन लाल  जी से माफ़ी माँगा कि उनकी बातों को सुने वगैर सो गया था |

अब वापस बैंक जाने का समय हो गया था | उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा ..आप हमारे यहाँ पधारे  और मेरा सम्मान बढाया , इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद साहेब जी | मैंने  भी राम – राम जी कहा और अपने बैंक की ओर रवाना हो गया |.

शाम का वक़्त और गाँव का माहौल.. और रास्ते के दोनों तरफ सौफ के हरे भरे फसल,  बहुत मनोरम दृश्य लग रहा था |

सौफ की खुशबू से चेहरे की उदासी भी जाती रही | मैं पैदल ही मस्ती में चला जा रहा था | तभी रास्ते में राजेश जी मिल गए |

राम सलाम होने के बाद वो थोडा सीरियस हो कर मेरी ओर देखा और पूछा — . आप का कोई लफड़ा हुआ है क्या ?

उसकी अचानक इस तरह की प्रश्न से मैं हडबडा गया | मैं उसे लेकर पास के एक चाय दुकान पर पहुँचा और चाय की इच्छा जताई | ..

बात को  आगे बढ़ाते हुए,  मैंने  उससे पूछा –..तुम्हे क्या पता है.. राजेश जी ? …

मुझे सब कुछ पता चल चूका है.–.उसने हँसते हुए कहा |

पुरे गाँव में अब तो चर्चा का विषय बन गए है आप | लेकिन  चाय की दूकान पर सार्वजानिक रूप से इस तरह की बातें करना  मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था |

राजेश भी शायद यह महसूस कर रहा था..इसलिए वो तुरंत बोला — .मुझे  भी अभी कुछ ज़रूरी काम से जाना है | इसलिए कल रविवार है और आप मेरे घर पधारो ..हमलोग दारू की पार्टी करेंगे, |

 बहुत दिन हो भी  गया है ..और उसी समय इस गंभीर मुद्दे पर बात भी करेंगे |

राजेश से विदा लेकर मैं वापस बैंक पहुँचा, सारे स्टाफ जा चुके थे, सिर्फ मेनेजर साहेब और कालू राम जी मिले |

देखते ही कालू राम जी मुझे लेकर सीधे लॉकर रूम में ले गए और कहा …साहेब जी, कल कोई लफड़ा हुआ था  क्या ? मैं उसकी ओर आश्चर्य से देखने लगा |

फिर उन्होंने आगे कहा .–. आप के मकान  मालिक आये थे, शायद कुछ  गुस्से में थे और आप के बारे में पूछ रहे थे |

मैंने जिज्ञासावश पूछ बैठा –. मांगी लाल जैन आये थे ?

नही,  उनका छोटा भाई मोहन लाल जी आये थे, लेकिन आप को ना पाकर यहाँ से चले गए | .

मैं खड़ा खड़ा आने वाले मुसीबत का अनुमान लगा रहा था …(क्रमशः )         

आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link पर click करें …

आप की खातिर….19

 BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,

If you enjoyed this post don’t forget to like, follow, share and comments.

Please follow me on social media..and visit …

Iwww.retiredkalam.com



Categories: मेरे संस्मरण, story

7 replies

  1. Gd morning have a nice day sir ji

    Liked by 1 person

  2. comment on blog also ..good night dear..

    Like

  3. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    ये जो जिंदा दिली की रसूख हमने पाई है,
    इतनी आली शख्सियत यूँ ही नहीं आई है
    कई मर्तबा टूटे है कई मर्तबा लुटे है हम
    कई दफा हमने हम होने की कीमत चुकी है ..

    Liked by 1 person

Trackbacks

  1. आप की खातिर – Retiredकलम
  2. आप जैसा कोई नहीं….17 – Retiredकलम

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: