# मुझे भी प्यार है #…16

source: Google.com

 

किसी ने सच कहा है,  दोस्ती और  मुहब्बत उससे करो जो निभाना जानते हो | नफरत उनसे करो जो भुलाना जानते हो ओर गुस्सा उससे करो जो मनाना जानते हो |

अच्छे दोस्त खुबसूरत फूलों कि तरह होते है अगर हम अपनी मुहब्बत रुपी पोधे को पानी देते रहे तो ये पौधे हमारे जीवन को महकाते रहते है |

जो शख्स हमारा  गुस्सा बर्दास्त कर ले और साबित कदम रहे तो वही हमारा  सच्चा दोस्त होता है |

अगर दोस्ती का रिश्ता ना बना होता तो इंसान कभी यकीन नहीं करता कि अजनबी लोग अपनों से भी ज्यादा प्यारे हो सकते है |

एक दोस्त ने दोस्त से पूछा — दोस्त का मतलब क्या होता है तो दोस्त ने मुस्कुरा कर कहा –.पागल, एक दोस्त ही तो है जिसमे कोई मतलब नहीं होता, जहाँ मतलब हो वहाँ दोस्ती नहीं हो सकती |.

आज सुबह जब नींद से उठा तो सिर बहुत भारी लग रहा था,  शायद रात ठीक से नींद नहीं आई थी | मैं बिस्तर से उठा और कपडे बदल कर “नन्हकू चाय” की दूकान पर चला गया | वहाँ शर्मा जी और सिंह जी पहले से विराजमान थे | .. फिर एक चाय का दौड़ चला तो मन थोडा हल्का हुआ |

नहा धोकर और तैयार होकर बैंक तो पहुँच गया, परन्तु मेरा  आज काम करने में मन बिलकुल नहीं लग रहा था |

मेरा मन बहुत व्याकुल था |..बैंक में बैठा बार बार बस एक  ही सवाल मेरे मन में उठ रहा था  कि मैंने पिंकी पर हाथ क्यों उठाया |

उसने हमारे जीवन की रक्षा के लिए समाज के बनाये सारे नियम तोड़ने और सीमा को भी पार करने में भी संकोच नहीं करती है | ऐसे देवी पर मुझे हाथ नहीं उठाना चाहिए थे |

लेकिन एक सच्चाई यह भी थी  कि  मैं अपने कारण  उसे बदनाम भी नहीं होने देना चाहता था | मुझे पता था  बदनामी सिर पर लेकर जीना बहुत कठिन होता है |

source:Google.com

लंच का टाइम होते ही मैं घर की तरफ भागा |  मुझे जोर की भूख लगी थी | मेरा अनुमान था कि शायद मनका छोरी तो खाना बना कर रखी  होगी | हालाँकि सुबह वो नहीं आयी थी और ना कोई उसकी कोई खबर थी |

मैं दरवाज़ा खोल कर घर में घुसा ही था कि मुझे अपनी बेवकूफी पर जोर से हँसी आयी | अरे, घर की चाभी तो मेरे पास थी तो मनका छोरी खाना कैसे बना के रखती ?

इतनी सी बात  मेरे भेजे में पहले क्यों नहीं आयी | शायद व्याकुल मन का असर था |

मैं घड़े से पानी  निकाला और पीकर भूख मिटने की कोशिश करने लगा | लेकिन भूख  कम होने के बजाये और बढ़ गई /|

मैं कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा कि पहले जब कभी ऐसी परिस्थिति आती थी  तो पिंकी तुरंत ही खाना लेकर हाज़िर हो जाती थी, लेकिन, आज ऐसी कोई सम्भावना नज़र नहीं आ रही थी |

और यह सही भी है …एक तरफ उसकी बेइज्जती करूँ और मार पीट करूँ और दूसरी तरफ उससे सेवा की अपेक्षा रखूं |

 उसके घर से पिंकी की आवाज़ भी आवाज़ भी सुनाई नहीं पड़ रही थी |  मेरे मन में पता नहीं क्या बचपना सवार हुआ कि ..मैं जल्दी से किचन में गया और थाली को चम्मच से जोर – जोर से पीटने लगा | ..

तभी चमत्कार हुआ | ..उसके घर से भी थाली पीटने की आवाज़ आयी | मैं फिर दुबारा थाली को पीटा  तो फिर वहाँ से भी थाली पीटने की आवाज़ आयी |

मैं फिर कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा कि  उधर से थाली पीटने वाली कौन थी …उसकी छोटी बहने या वो खुद थाली बजा रही थी | कभी – कभी दिल भी कैसी कैसी हरकत करने लगता है |

मैं ऐसा सोच ही रहा था कि तभी धड़ाम की आवाज़ के साथ बीच  का दरवाज़ा खुला और एक हाथ से ही किसी तरह थाली में खाना सजाये पिंकी अंदर आ कर सीधे रसोई घर में चली गई |

दुसरे हाथ में प्लास्टर होने के कारण उसे इन कामो में काफी तकलीफ होती थी, | फिर भी चेहरे पर तनिक भी सिकन नहीं दिखाई देती, बल्कि जब देखती, मुस्करा कर ही देखती थी |

मैं खामोश कुर्सी पर बैठा सब अपनी आँखों से देख रहा था | आज भी पापड़ की सब्जी बनी  थी | ,  गरम गरम रोटी और दाल के साथ टेबल पर पिंकी थाली परोस दी |

और धीरे से बोली –..खाना खा लो , इतना बोल कर वो वापस  जाने को मुड़ी |

मैं आगे बढ़ कर उसका रास्ता रोक लिया, | पिंकी ने सिर्फ इतना कहा — मुझे जाने दो |

फिर पता नहीं मुझे क्या हुआ ,,मैं उसे जोर से बाहों को पकड़ कर पास खीच लिया और बस इतना कहा –..मुझे माफ़ कर दो | , मैं कभी – कभी पागलपन कर बैठता हूँ |

वो सीने से लग कर रोने लगी | पहली बार उसे इस तरह आँसू से रोते देखा था | ..मेरे आँखों में भी आँसू आ गए | हम दोनो इसी तरह कुछ पल खड़े रहे, शायद मन कुछ हल्का हो जाये | ,,

तभी बीच  का दरवाजा जोर की आवाज़ के साथ खुला तो हमलोग ने  उस ओर देखा | गुड्डी आ रही थी |..हम दोनों अलग हो कर गुड्डी को देखने लगे |

वो गिलास में छांछ लिए मेरे पास आयी और पिंकी से बोली कि  छांछ घर पर ही छुट गई थी | उसकी भोली बातों पर हम दोनों को हँसी आ गई |

मैं किचन के डब्बे से एक चाकलेट निकाल  कर उसे देते हुए कहा …थैंक यू , छांछ के लिए और बैठ कर उसका लाया खाना खाने लगा |

पिंकी को  पता था कि  मुझे पापड की सब्जी बहुत पसंद है | एक गिलास पानी रख कर वो दोनों भी पास में ही बैठ गई |

गुड्डी  बोल रही थी मुझे आप आज मेरा होम वर्क करा देना | मैं कल से आप से ही पढूंगी | मैंने भी उसकी बातों पर सहमती जताई | ..वो दोनों के चेहरे पर ख़ुशी के भाव थे …(क्रमशः..).    

इसके आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link को click करें….

आप जैसा कोई नहीं….17

source:Google.com

यादो के पन्ने कुछ पलट गए

तो कुछ दोस्त याद आने लगे

गुजरे ज़माने की थी बात

वो दोस्त याद आने लगे

अब जाने कौन सी नगरी

ठिकाना है उनका

देर तक जागूं तब भी

वो दोस्त याद आने लगे

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,

If you enjoyed this post don’t forget to like, follow, share and comments.

Please follow me on social media..and visit..

http://www.retiredkalam.com



Categories: मेरे संस्मरण, story

9 replies

  1. Gd morning have a nice day sir ji

    Liked by 1 person

  2. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Life is a game of chess. You cannot undo the move
    but you can make the next step better..

    Like

Trackbacks

  1. आप जैसा कोई नहीं – Retiredकलम
  2. क्या यह प्यार है….15 – Retiredकलम

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: