
सुबह अचानक नींद खुली तो ऐसा महसूस हुआ कि दिन काफी चढ़ चुका था,|
घडी देखा तो दिन के सात बजे थे, लेकिन आज रविवार था तो चिंता जैसी कोई बात नहीं थी | लेकिन शरीर में काफी दर्द महसूस हो रहा था जो बीती रात की घटना की याद दिला रही थी |
कल का घटना चक्र दिमाग में अचानक घुमने लगा |
सुबह जब बैंक पहुँचा ही था कि मेनेजर साहब का फ़ोन आया कि वो थोड़ी देर से ब्रांच पहुंचेगे |
हमलोग ग्राहकों के बीच व्यस्त थे तभी एक लेडीज कस्टमर शाखा में आयी जो बुर्के में थी और आते ही शाखा प्रबंधक से मिलने की इच्छा जताई |
हमारे कालू राम जी तुरंत मैडम को मेनेजर चैम्बर में ले जा कर बैठाया और एक गिलास ठंडा पानी ऑफर किया |
उसके बाद कालू राम जी मेरे पास आये और धीरे से बताया कि मैडम जिनको चैम्बर में बैठाया है वो “बोहरा जाति” की है और ये लोग काफी पैसे वाले होते है | शायद डिपाजिट करने आयी हो |
मैं तुरन्त सीट से उठा और चैम्बर में पहुँच कर मैडम का अभिवादन किया | जबाब में मैडम ने एक पास बुक दिखलाते हुए कहा कि मैं इस बैंक की पुरानी कस्टमर हूँ और मुझे एक लॉकर “बड़ा साइज़” का चाहिए |
संयोगवश उस समय बड़े साइज़ का locker available था | इसलिए हमने हामी भर दी | बस क्या था, वो मैडम लॉकर पाकर बहुत खुश हो गई |
फॉर्मेलिटी करने के बाद मैडम लॉकर रूम में मेरे साथ ही गई | वहाँ पहुँच कर बड़ा अजीब सा सवाल उन्होंने पूछा |
साहेब जी, आप ने लॉकर डॉक्यूमेंट के फोटो से मेरे चेहरे का मिलान नही किया ?, क्योंकि मैं तो बुर्के में हूँ |

उनकी बातों का कोई जबाब दे पाता, उसके पहले ही मैडम चेहरे से नकाब हटा अपना चेहरा क्या दिखा दी… साक्षात् हीरोइन मीणा कुमारी की याद दिला दी,|
बला की ख़ूबसूरत थी वो | उन्होंने पहले से ही अपनी इतर की खुशबू से लॉकर रूम महका दिया था | वो मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोली …जी, आप तसल्ली कर ले |
मैं अकेला लाकर रूम में इस तरह की बातों से शरमा गया | उन्होंने मुझे शर्माता देख कर हँसते हुए बोली ..आप बहुत अच्छे इंसान हो |
आप ने मुझे लॉकर दे कर बहुत बड़ा एहसान किया है और अपने बैग से एक बड़ी सी मूर्ति (सोने की) निकाल कर लॉकर में रखते हुए बोली, — आप के बैंक को आज ५० लाख रुपए की डिपाजिट भी दे रही हूँ,|
उन्होंने अपने बैग से नोटों की गड्डी निकाल कर मेरे हाथ में रख दी | उस समय एक ग्रामीण शाखा के लिए इतनी डिपाजिट को अच्छा बिज़नस कहा जा सकता था |
परन्तु ,उन्होंने एक शर्त रख दी, जिसे सुन कर हम सब चौक पड़े |
उन्होंने कहा — इस डिपाजिट पर मुझे ब्याज नहीं चाहिए | , हमलोग के जाति में ब्याज के पैसे को “हराम” समझा जाता है | उनकी बात को मानते हुए उनके पैसे को मुझे करंट अकाउंट में रखना पड़ा, जिसमे ब्याज देने का प्रावधान नहीं है |
आज सभी स्टाफ खुश दिख रहे थे, तभी मेनेजर साहब ब्रांच में पधारे, |
कालू राम जी मैडम वाली सारी बात बताई |
मेनेजर साहब ख़ुशी से बोल पड़े — वाह, आज की पार्टी मेरे तरफ से होगी |
आज शनिवार का half day working भी है और मेरा ब्रांच जोइनिंग पार्टी भी बकाया है | ब्रांच से फ्री होकर इवनिंग पार्टी का जश्न मनाते है | उनकी बातों का सभी ब्रांच स्टाफ ने अपनी सहमती जताई |
फिर क्या था, सभी स्टाफ जोश में आकर जल्दी से बैंक का कार्य निपटा लिया | और हम सभी थोड़ी दूर स्थित ढाबा में पार्टी के लिए विराजमान थे |
हमारे स्टाफ गजेंदर सिंह बैठते ही बोले — हम तो व्हिस्की लेंगे और वो भी बिना पानी के | राजस्थान में तो पार्टी में दारू आवश्यक होता है /
अब तो .. दौर पे दौर चलने लगा, | कुछ समय पश्चात् मुझे महसूस हुआ कि शुरूर (नशा ) कुछ ज्यादा चढ चूका था, और रात के आठ बज चुके थे |
इसलिए उनलोगों से इजाजत लेकर किसी तरह लड़खड़ाते हुए मैं अपने घर पहुंचा |
दरवाज़ा खोल कर अंदर घुसा ही था कि मुझे उलटी महसूस होने लगी | मैं तुरंत bathroom में चला गया और फिर तो उल्टियां चालू हो गई | ,
मुझे बेहोशी सी महसूस होने लगी | ऐसे स्थिति में अपने को अकेला पाकर मैं थोड़ा घबरा गया था, तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, |
मैं पलट कर पीछे देखा तो एक धुंधला सा चेहरा दिखा, शायद पिंकी थी,|
वो गिलास में पानी लिए मुझे देते हुए बोली ..ठीक से मुँह – हाथ धो लो |
मैं पानी पीकर किसी तरह लड़खड़ाते हुए उठा | ,
नशे के कारण मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था | उसने मुझे सहारा देकर रूम तक लाई और बिस्तर पर लिटाया, |
उसने मेरे पैरों के जूते खोले और कुछ खाने को दिया, शायद कोई खट्टी सी चीज़ थी | मेरी आँखे बंद हो रही थी और मैं बेहाल सो गया |

कुछ समय बाद मेरी आँखे खुली,|
शायद नशा का असर समाप्त हो चूका था | मैं उठ कर कमरे का बल्ब जलाया और घडी की ओर देखा तो रात के दो बज रहे थे |
उसी समय सामने कुर्सी पर नज़र पड़ी तो मैं चौक गया | मैं उसे बाहों से पकड़ कर जगाया,| वो कुर्सी पर ही बैठे बैठे सो रही थी |
मैं घबरा कर पुछा — तुम इतनी रात यहाँ क्या कर रही हो ?
उसने जबाब में पूछा –..अब तुम्हारी तबियत कैसी है ?
मैं उसके आँखों में देखते हुआ गुस्से से बोला | तुम्हे इतनी रात हो यहाँ कोई देख लेगा तो क्या होगा, तुम्हे पता है ?..
जी, मुझे सब पता है | , लोग मुझे पत्थर मार मार कर समाप्त कर देंगे |
मैं आगे कुछ बोल नहीं सका और मेरा गुस्सा अचानक समाप्त हो गया |
और भावना वश मैं उसे गले से लगा लिया.,. तभी उसकी चीख निकल गई… शायद प्लास्टर वाली हाथ दबने से दर्द महसूस हुआ था |
वो उठी और मटके से एक गिलास पानी लाकर मुझे पीने को दिया |
मैं पानी पीते हुए बोला… तुम कितनी अच्छी हो | रात में तुम ना होती तो पता नहीं क्या होता , ..मुझे तो कुछ होश ही नहीं था |
वो मुस्कुराते हुए बोली –..और तुमने क्या क्या हरकत की, पता है ?
मैं एक टक उसकी ओर देखता रहा | , उसने अपने हाथो से मेरे चेहरे को छुआ और फिर गुड नाईट बोल कर बीच के दरवाजे से अपने घर में चली गई |
..और मैं खड़ा सोचता रहा कि यह बंद दरवाज़ा खुला कैसे….(क्रमश)….
आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link पर click करें.
क्या यह प्यार है….15

जैसे हो तुम वैसे ही रहो
तुम अच्छे लगते हो
मुस्कान तुम्हारी उन्मुक्त स्वछन्द
तुम सच्चे लगते हो
तुम्हारी सादगी में एक आकर्षण ,
तुम जादूगर लगते हो
गजब का आत्मविश्वास तुम्हारा
पी कर भी ना लडखडाना
तुम पक्के लगते हो…
गम लाखो सिने में छुपाना
और फिर .. यूँ तेरा मुस्कुराना
तुम एक्टर लगते हों..
बस, ..इतनी सी बात हो
सितारों भरी रात हो
और, तुम्हारा साथ हो ..
तेरा दिल भी मेरे पास हो ..
क्योंकि..,तुम अच्छे लगते हो ..
……तुम सच्चे लगते हो …
………विजय वर्मा …
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: मेरे संस्मरण, story
Bhut khub sir ji
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Thank you dear..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Don’t be stress over something in the past,
cause there is nothing you can do to change it
Focus on your present and create your future.
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