
आज बैंक में गहमा गहमी थी …क्योकि पता चला था कि नए मेनेजर साहेब की पोस्टिंग हो चुकी है और वो आज ही कार्यभार सँभालने वाले है, हमलोग आपस में यही बात कर रहे थे कि नए मेनेजर साहेब, कुम्हार साहेब जैसे तो नहीं हो सकते है..उनसे कभी किसी को समस्या नहीं हुई | लेकिन सुना था कि नए साहेब.. उनके जैसा स्वभाव के नहीं है ..अब तो आने के बाद ही पता चलेगा |
हमारे हेड केशियर चारण साहेब तो पहले भी उनके साथ “आबू रोड शाखा” में काम कर चुके थे , उन्होंने ही बताया था कि उनका स्वभाव थोड़ी शख्त है | शर्मा जी तुरंत ही बोल पड़े, जो होगा.. देखा जायेगा |..

हम सभी अपने काम में लग गए ..बैंक में आज भी बहुत भीड़ थी, सभी लोग अपने कामों में व्यस्त थे | तभी एक नया कस्टमर काउंटर पर आ कर खाता खोलने की दरख़ास्त करने लगा | तो कालू राम दौड़ कर उनके पास गया और उन्हें मेनेजर साहेब के चैम्बर में बैठने को कहा फिर एक फारम लाकर दे दिया ,जिसे भर कर खाता खुल सकता था |
उन्होंने फारम भर कर काउंटर पर शर्मा जी को थमाया | वहाँ के बाद जब मेरे पास आया तो फारम में नाम देख कर चौक पड़ा | अरे यह तो हमारे नए मेनेजर साहेब का नाम था | मैंने उनको अपने पास बुलाया और हाथ जोड़ कर अभिवादन किया तो वो हँसते हुए हमारी पीठ पर हाथ रख दिए और फिर अपना परिचय दिया |
मैं राम प्रवेश गुप्ता हूँ और बारी – बारी से हमलोगों का परिचय प्राप्त कर चैम्बर में स्थान ग्रहण किया,
कालू राम जी गिलास में पानी नए मेनेजर साहेब के लिए ले कर आये | तो गुप्ता साहेब पॉकेट से एक सौ रूपये का नोट निकाल कर कालू राम जी को पकड़ते हुए स्टाफ लोगों को मुँह मीठा कराने को कहा .और साथ ही अपनी नयी खाता के लिए भी पैसे दिए |.
लंच का टाइम था , सभी स्टाफ मेनेजर साहेब के चैम्बर में ही आकर कालू राम जी के द्वारा लाये गए नास्ता का मजा लेने लगे | वे केशियर चारण साहेब के बारे में पूंछने लगे तो हमने बताया कि वो आज छुट्टी पर है , कल ड्यूटी ज्वाइन करेंगे | बातचीत में तो ठीक ही दिख रहे थे | सभी स्टाफ ने आँखों आँखों में एक दुसरे को देख कर सहमती जताई |
उन्होंने अपने बारे में तो ज्यादा कुछ नहीं बताया ,लेकिन इतना ज़रूर कहा कि ब्रांच बहुत अच्छा है और कुम्हार साहेब बहुत अच्छी तरह मैनेज कर रहे थे | आइये हमलोग उनकी याद में दो मिनट का मौन रखे | और हम सभी लोग दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करने लगे |

फिर सब लोग चाय पीकर काम पर लग गए | उसी समय “गुड्डी” भागी -भागी बैंक में आयी और घबराई सी मुझसे बोली कि दीदी फिसल कर गिर पड़ी है और बहुत रो रही है | मैं मेनेजर साहेब से तुरंत इज़ाज़त लेकर तेज़ क़दमों से चलता हुआ घर पहुँच कर सीधे उसके बेड – रूम में चला गया | वो बेड पर पड़ी थी और उसके चेहरे पर दर्द के भाव थे और आँखों में आँसू भी ,|
मुझे उसकी फूल चुकी बांह को देख कर अनुमान हो गया था कि fracture है | मैंने उसके हाथ को धीरे से अपने हाथ में लेकर उसके माथे को सहलाया, और कहा ..सब ठीक हो जायेगा, हिम्मत रखो | मैं जल्दी से बाहर आकर एक जीप भाड़े पर लिया और पिंकी को बाँहों के सहारे से जीप पर बैठाया | और सिर्फ गुड्डी को साथ लेकर आबू रोड जाने का फैसला किया, यहाँ लोकल में हड्डी का डॉक्टर था ही नहीं |
सभी बच्चो को घर में रहने की हिदायत दी और कहा कि शाम तक लौट आऊंगा |
जीप गली से निकल कर रोड पर दौड़ने लगी | पिंकी मेरे बगल में ही बैठी मेरी बांह को कस कर पकडे हुए थी, शायद गाडी के झटके से दर्द बढ़ जाता था ..मैं उसके सिर पर हाथ रखे हिम्मत दिला रहा था | मेरे मन में विचार आया कि इसके पिता को भी गाँव से लेता चलूँ, गाँव तो रास्ते में ही पड़ेगा और ज्यादा समय भी बर्बाद नहीं होगा |
ड्राईवर को वैसा ही निर्देश दे दिया और उसके गाँव आने का इंतज़ार करने लगा | करीब आधा घंटे के बाद उसके दरवाजे पर था |
अचानक से ऐसी हालत देख कर पिता जी घबरा गए, तो मैंने कहा कि घबराने की बात नहीं है ,बस थोडा fracture लगता है, डॉक्टर को दिखला कर हाथ पर प्लास्टर देना होगा | आप इसकी मम्मी को साथ भेज दें, तो काम आसान हो जायेगा | मांगी लाल जी कुछ देर रुक कर बोले …वो तो स्वर्गवासी हो गई | और खुद जीप में आकर बैठ गए |
थोड़ी देर में ही हमलोग डॉक्टर के क्लिनिक में थे | हाथ में प्लास्टर चढ़ा दिया गया और कुछ खाने की दवा लेकर वापस चल दिए | रास्ते भर मांगी लाल जी मुझे धन्यवाद देते रहे और अपने घर की बहुत सारी बातें बता रहे थे | रात के करीब आठ बजे तक घर वापस पहुँच सके |
जीप का पेमेंट कर ,पिंकी को कंधे के सहारे से उसके रूम तक लाकर मैं वापस अपने घर चलने को मुड़ा ही था कि पिंकी की आवाज़ आई …. आप का भी खाना यहाँ बना है | क्यूंकि मनका को खाना बनाने में काफी समय लग जायेगा और मुझे भूख भी लग गई थी| इसलिए उसकी बात को मना नहीं कर सका | बस इतना कहा कि कपडे change कर के आता हूँ |
मैं बाहर जाने को हुआ तो मांगी लाल जी बीच के दरवाजे से जाने को निर्देश दिया तो पिंकी बोल पड़ी कि चाचा जी ने ताला लगा दिया और चाभी साथ लेते गए | सुन कर मांगी लाल जी को थोडा आश्चर्य हुआ, लेकिन बोले कुछ नहीं |
मैंने जैसे ही घर का दरवाज़ा खोला, मनका छोरी दौड़ कर आ गई और किचन में जाकर खाना बनाने की तैयारी करने लगी | उसे पता था कि आज देर हो गई थी और मुझे भूख लगी होगी |
मैंने उसे मना करते हुए कहा कि आज पिंकी के घर खाना है | मनका छोरी को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ और तिरछी आँखों से मुझे घूरते हुए बोली कि लगता है अब मेरी नौकरी खतरे में है …क्रमश ..
इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link को click करें…

कितना खुदगर्ज हो गया है
वो मेरी बात भी नहीं करता
वादे भूल गया अब सारे
वो मुलाकात भी नहीं करता
नाराज़ हो गया था मुझसे शायद
कोई शिकायत भी नहीं की
ज़बाब क्या दूँ उसे,
वो कोई सवालात भी नहीं करता….
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Gd morning have a nice day sir ji
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thank you dear ..stay connected and send your views also..
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Your narration of story has gone to different level
I’m very happy cum proud.
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Thank you dear.
Your words and comments give me immense strength..Stay connected and stay safe..
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