
आज सारी रात परेशानी में गुजर रही थी,| दिन की घटना के बाद हमलोग चारों दोस्त मेरे घर पर ही रुक गए |
रात भर प्लानिंग (planning) चलती रही | …मकान मालिक का एजेंट (agent) जो यहाँ है, कल ही मकान खाली करने को ज़रूर कहेगा | अब समस्या थी कि दूसरा मकान देगा कौन ? ..बदनामी बड़ी ख़राब चीज़ होती है |
फिर कुछ सोच कर राजेश अपने दिमाग पर जोर देकर बताया कि शायद, भैरों सिंह जी का एक छोटा सा मकान है यहाँ, जो कृषि उपज मंडी के पास है |
और वो शायद खाली भी है | उसके लिए कोशिश की जा सकती है | , वैसे भी वो लोग शिवगंज में नहीं रहते है, पास के गाँव खिवान्दी में उनकी अच्छी खेती बारी है और वो लोग वही रहते है |
तय हुआ कि सुबह सुबह गाँव खिवान्दी जाया जाए और रमेश भी साथ चलेगा | किसी तरह रात बीती, हालाँकि दुसरे दिन रविवार (Sunday) थी , इसलिए बैंक जाने की चिंता नहीं थी |,
लेकिन Sunday को जो आराम और मनोरंजन का कार्यक्रम चलता था वो इस चिंता के कारण जाता रहा |

ठीक आठ बजे सुबह मैं और राजेश उसी की मोटर साइकिल पर बैठ, गाँव खिवान्दी की ओर रवाना हो गए और करीब आधे घंटे के बाद भैरों सिंह के फार्म हाउस (Farm House) में पहुँच गए |
भैरों सिंह जी अपने इस फार्म हाउस में ही खेतो में काम करते मिल गए, शायद गेहूं में पानी पटाया जा रहा था |
सुबह का समय और चारो तरफ हरियाली की छटा, बहुत ही मन भावन दृश्य लग रहा था, मेरी इच्छा हुई कि इसी गाँव में ही अपना ठिकाना बना ले |
लेकिन जैसे ही कल की घटना की याद आयी कि तुरंत ही हम ओरिजिनल मूड (original mood) में आ गए | ..
भैरों सिंह हमारे चेहरे की परेशानी शायद पढ़ लिए थे | वे बड़ा ही नेक इंसान लगे ,..उनकी राजेश से पुरानी जान पहचान थी | बिजली विभाग में काम करने वाला राजेश, कोई ना कोई काम तो किसानों को पड़ते ही रहता होगा | ,,
खैर, सिंह साहेब अपने खेतों के काम छोड़ कर हमलोगों के पास आए और एक चारपाई डाल दी और बैठने का इशारा किया |
हमलोग बैठे ही थे कि दो लोटे में तुरंत का निकाला हुआ गाय का दूध लेकर आए और पीने का आग्रह करने लगे |
.मैं भला शहर का छोरा, चाय पीने की आदत थी और यहाँ गाँव में उसकी जगह सुबह में दूध दिया जा रहा था | लेकिन, हमें उनसे अभी मतलब की बात करनी थी इसलिए उनका मन रखने के लिए लोटे को मुँह से लगाया और गटक लिया..|
लेकिन सच कहूँ तो इतना स्वादिस्ट और बिना चीनी के इतना मीठा दूध कभी नहीं पीया था ….सचमुच मज़ा आ गया |
अब हम और समय को जाया नहीं करते हुए सीधे (direct) मुद्दे पर आ गए….मुझे पता चला है कि आप का एक मकान शिवगंज में है और वो खाली है ?..
उन्होंने हमारी परेशानी को समझते हुए बोल पड़े ..अरे, शिवगंज में तो घने (बहुत) मकान खाली है ..किन साहेब को मकान चाहिए, मैं जैन बंधू से बोल कर दिला दूँगा |
मैं बीच में ही बात काट कर ..कल की सारी घटना बता दी | ..उस साले गली के कुत्ते ने चिकन की हड्डी से अपनी पार्टी तो कर ली परन्तु मेरे पार्टी की ऐसी की तैसी कर दी |

मेरी बात सुनकर वो हँसते हुए बोले –..ये मारवारी भी ऐसे ही होते है ….मैं क्या खाता हूँ.. क्या नहीं, उससे उनको क्या मतलब ?
लेकिन यह सच है कि एक ने मारवारी ने मना किया तो कोई भी मकान नहीं देता |
मेरी तो एक छोटी सी मकान है और खाली भी है ..लेकिन एक समस्या है | ..मैं उनकी ओर आशंका भरी नजरो से देखा |
उन्होंने आगे कहा — उस मकान में “शौचालय” नहीं है, .बाकी सारी सुख सुविधा है |, लेकिन शौच के लिए आप को वहाँ पास के खेतों में जाना पड़ेगा | वैसे, वहाँ बहुत लोग खेतों में ही जाते है |,
मैं बड़ा असमंजस में पड़ गया कि बिना शौचालय वाला मकान में कैसे शिफ्ट (shift) किया जाए | अगर रात को ज़रूरी हुई तब क्या होगा ? ,
इन्ही बातों में उलझा हम दोनो वापस आ रहे थे कि राजेश ने कहा कि अभी फिलहाल तो शिफ्ट (shift ) कर लिया जाए… फिर बाद में देखा जायेगा |
दुसरे दिन पुराने मकान का एजेंट (in charge) ने दो दिनों का अल्टीमेटम (ultimatum) दे डाला और हम भी दुसरे दिन ही धड़कते दिलों से प्रभु का नाम लेकर भैरों सिंह के मकान में शिफ्ट (shift) हो गए |
नयी जगह होने से रात को नींद भी ठीक से नहीं आयी, और सुबह जल्दी ही उठना पड़ा |.
.क्योकि शौच के लिए भोर में ही खेत में जाना होगा ताकि कोई देख ना ले | …मैं हाथ में लोटा लिए मुँह पर गमछा रख कर चल पड़ा खेत की ओर |..
शिवगंज छोटी जगह होने के कारण सभी लोग मुझे जानते थे, सो इतनी सुबह भी बहुत सारे जान पह्चान वाले लोग रास्ते में मिलने लगे |
..और मेरे हाथ में लोटा देख कर आश्चर्य से मेरी ओर देखा और आँखे मिलते ही प्रणाम पाती भी करने लगे | मैं किसी तरह उन सब लोगो से नज़रें बचाता हुआ तेज़ी से आगे निकलना चाहता था | ..
क्यों कि …….अब आगे क्या कहूँ || खैर, खेत में किसी तरह निपट लिए |

मैं जब बैंक शाखा पहुँचा तो हमारे चाहने वालों ने आश्चर्य से पूछा कि आप भैरों सिंह के मकान में चले गए ? और सुना है कि उसमे शौचालय भी नहीं है | …
मैं ने हाँ में सिर हिलाया तो वो लोग हँसते हुए मजाक में कहा –. पता है ? ..खेतों में बिच्छू भी मिलते है, जरा संभल कर ……|
मैं उनकी बातें समझ गया, मुझे यह भी पता था कि इन खेतों में राजस्थानी साँप भी मिलते है | मैं काफी परेशान हो गया और बैंक का काम समाप्त कर शाम में सीधा राजेश के घर गया और अपने आशंकाओ से उसे अवगत कराया .|
.मैं तो साफ़ साफ़ उसे बता दिया कि इस घर में रहना मेरे लिए संभव नहीं है |… फिर उसने जो बोला…खैर, आगे कि बात अगले ब्लॉग में… हहाहाहा |
इससेआगे की घटना के लिए नीचे दिए link पर click करें …..
खुशियों के आँसू …3

दिल को जब भी उदास पाता हूँ
आँखे बंद कर निचोड़ लेता हूँ
उन सारे बिताये लम्हों को
जो भींगे है आज तक तेरी यादों में
बूंद बूंद टपकती वो मधुर लम्हे
मीठे सपनो की दुनिया में खो जाता हूँ…
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: मेरे संस्मरण, story
Nice
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thank you
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
The biggest suspense of Life is that…
You don’t know who is Praying for you ..
and who is Playing with you…
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