आज सुबह सुबह घर में हल्ला गुल्ला सुन कर अचानक मेरी नींद खुल गई ..बिस्तर पर ही सोए सोए ही माँ जी को आवाज़ लगाई ….क्या हुआ माँ जी |
जबाब में माँ जी घबराहट में बोली ….. जल्दी उठो.! . अपना शेरू गेट खुला होने के कारण बाहर भाग गया है | बड़ा ही शैतान हो गया है | डर लगा रहता है किसी को काट ना खाय, वर्ना लेने के देने पड़ जाएंगे |
मैं तो कितनी बार कहा कि इस कुत्ते को घर में रखना आप के वश की बात नहीं है | आप का बुढापा का शरीर इस खूंखार जानवर को नहीं संभाल पायेगा | माँ जी , बस चुप – चाप मेरी बात सुन लेती पर जबाब कुछ नहीं देती |
दुसरे कमरे में दाढ़ी बनाते हुए बाबा इतना सुनते ही बोल पड़े…अरे बेटे , उसे कुत्ता मत कहो, तुम्हारी माँ जी नाराज़ हो जाएगी | शेरू तो इनका लाडला बेटा है | इस घर में पहले उसको भोजन मिलता है फिर बाद में हम सब को |
तो इसका मतलब है कि घर में हमलोग तीन नहीं बल्कि चार सदस्य है ..इतना बोल कर हम दोनों जोर से हँस पड़े. | .
माँ जी थोड़ी नाराजगी दिखाते हुए बोली..अरे, तुम जल्दी बाहर जाओ और शेरू को पकड़ कर लाओ |
और हाँ, तुम्हारे बाबा का तो आज जन्मदिन है तुमने उन्हें विश नहीं किया ? इतना सुनना था कि हम दोनो एक साथ बोल पड़े …happy birthday to you.. बाबा भी हँस कर बोले … thank you my child ..
मैं जल्दी से अपना चाय समाप्त किया और कुत्ते की चैन लेकर शेरू को पकड़ने के लिए बाहर निकल गया |
थोड़ी देर के बाद मैं हांफता हुआ कुत्ते को चैन से घसीटना हुआ किसी तरह ला कर बाँध दिया और बाबा की तरफ मुखातिब होकर बोला …बाबा, आज तो आप का Birthday है, तो शाम को जब बैंक से वापस आऊंगा तो something स्पेशल होना चाहिए |
और हाँ.. मैं बैंक से लौटते वक़्त बर्थ डे केक लेता आऊंगा |
मैं बैंक का काम जल्दी – जल्दी निपटा रहा था और दिमाग में एक प्लानिंग भी चल रही थी | इसीलिए जल्दी घर जाना था |
बिरजू शाम की चाय लेकर मेरे पास आया तो मैं मना कर दिया और मेनेजर साहेब से इजाजत लेकर तुरुन्त ही बैंक से निकल गया | केक की दुकान में ना जाने क्यों आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी, लेकिन दूकानदार पवन अग्रवाल अपना तो जाना पहचाना था |
फिर क्या था .. एक केक का आर्डर देकर पैक करने को कहा और मैं वहाँ से सीधे “विनोद वस्त्रालय” में घुस गया |
विनोद जी सामने ही बैठे मिल गए | नमस्कार पाती के बाद उन्होंने पूछा — कैसे आना हुआ ?
मैंने बताया कि एक कुर्ता – पायजम का सेट और एक साड़ी चाहिए | इस पर बिनोद जी आश्चर्य से पूछ बैठा — आपकी family आई हुई है क्या ?
दरअसल, बिनोद जी की रिटेल कपडे की दूकान है जिसका account हमारे बैंक में ही था , इसलिए पुरानी जान पहचान थी |
मैंने ज़बाब देते हुए कहा … नहीं नहीं , ऐसी बात नहीं है | दरअसल किसी को गिफ्ट करना है |
कुर्ता इसलिए कि मैंने देखा था बाबा को फटी कालर वाली पुराने कुर्ता पहने हुए और माँ जी के वो साड़ी के आँचल जिसमे चाभी के गुच्छे बंधे रहते थे , जगह जगह से फट चली थी |
विनोद जी ने पूछा.–. कुर्ता की साइज़ क्या दूँ ?.. मैंने जबाब में पास खड़े एक आदमी की तरफ इशारा किया ताकि सही साइज़ का कुर्ता मिल सके | और हाँ साड़ी तो तांत वाली ही देना | माँ जी को ताँत की साड़ी बहुत पसंद थी जैसा की उनकी इकलौती बेटी से सूना था |
जल्दी जल्दी सभी सामान लेकर घर पहुँचा तो माँ जी और बाबा , दोनों शायद हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे |
मैंने घर में घुसते ही पूछा ……अभी तक baloon वगैरह नहीं लगाया ?
तो मेरी बात सुन कर बाबा ने हँसते हुए कहा — वो सब तो उस दिन करेंगे , .. जब हमलोग तुम्हारा बर्थ डे celebrate करेंगे |
मैं उनके बात से असहमति जताते हुए कहा कि तब की तब देखा जायेगा | हमें तो आज की पार्टी को यादगार बनाना है |
वैसे birthday decoration की सभी सामग्री अपने साथ ही लेता आया था क्योकि मुझे पता था के ये लोग इतने simple है कि इन सब बातो से इनका कोई लेना देना नहीं था |
पहले तो मैं रूम को अच्छी तरह डेकोरेट किया और लाये हुए gift pack को दोनों के हवाले किया तो वे दोनों अचानक गिफ्ट पाकर चौक से गए |
शायद उन्हें आशा नहीं थी कि उनके मकान में एक भाड़े में रहने वाला किरायेदार इतना स्नेह और प्यार जताएगा |
मैंने तुरंत कहा ….जल्दी से आप लोग इन कपड़ो में मेरे सामने आइये | मैं तब तक केक काटने की तैयारी करता हूँ |
गिफ्ट उन दोनों के हाथों में थे और आँसू उनके आँखों में | , शायद बहुत सालो के बाद आज फिर कोई celebration इस घर में हो रहा था | इस मौके पर उनको अपने महरूम बेटे की याद आ गई थी शायद , जो पांच साल पहले बीमारी के कारण चल बसा था | और तब से इस घर में कभी कोई उत्सव नहीं मनाया जाता है |
मैं उन दोनों के पैर छुए, तो दोनों के आँखों से झर – झर आँसू निकल रहे थे | उनको इस तरह रोता देख कर मैं भी अपनी आँसू को रोक नहीं पाया. |..
आए है तो काटेगें एक रात तुम्हारी बस्ती में
चाहोगे तो कर लेगें दो बात तुम्हारी बस्ती में
और मन के सुने आँगन में अगर एक घटा बन जाओगे
कर देगें हम गीतों की बरसात तुम्हारी बस्ती में …
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: मेरे संस्मरण
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
सब्र और सहनशीलता किसी की कमजोरी नहीं होती ,
बल्कि ये वो ताकत है जो हर किसी के पास नहीं होती है |
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