
किसी ने क्या खूब कही है….
मंजिल मिलेगी.. भटक कर ही सही,
मंजिल तक भी पहुँचिये और घर से भी निकालिए, लेकिन रास्ते में मिले उन छोटी छोटी लम्हों को एन्जॉय करना मत भूलिए, ….आइये उन लम्हों को जीने की कोशिश करें |
राजू अपने जीवन से बहुत ही दुखी और हतास था, क्योंकि उसके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं था | वह जो भी इच्छा करता वो उसे मिलता ही नहीं | वह हमेशा यही सोचता कि हमारे साथ ही ऐसा क्यूँ हो रहा है ?

आखिर एक दिन किसी की सलाह पर वो अपनी समस्या को लेकर एक महात्मा जी के पास आया | उनसे मिलकर राजू ने अपनी जीवन की सारी समस्या बताई |
उसने बताया कि मैंने सोचा था कि नौकरी लगेगी तो पिता जी को एक कार गिफ्ट करूँगा, लेकिन मेरी वो इच्छा पूरी नहीं हो पाई क्योंकि नौकरी तो मिली , लेकिन उससे पहले वे इस दुनिया को छोड़ कर चले गए |
फिर मैंने सोचा कि जब मेरा प्रमोशन होगा तो बच्चो को विदेश टूर पर लेकर जाऊंगा | लेकिन मेरा प्रमोशन ही नहीं हो रहा है |
ना जाने कितनी बार सोचा कि मेरी पत्नी मेरे लिए इतना कुछ करती है | चलो, कुछ पैसे बचत कर उसके लिए कोई अच्छी सी तोहफे भेंट करूँ | लेकिन हर महीने कोई ना कोई ऐसा खर्च आ जाता है कि बचत ही नहीं कर पाता हूँ |
मैं बिलकुल भी खुश नहीं हूँ अपनी ज़िन्दगी से | जो कुछ भी मैं चाहता हूँ वो हमें नहीं मिल पाता | मैं क्या करूँ ?…. राजू ने महात्मा जी से पूछा |
उसकी बात सुन लेने के बाद महात्मा जी ने राजू को एक फूलों से सुसज्जित बगान में ले गए, जहाँ लाइन से खुबसूरत फुल खिले हुए थे |
महात्मा जी ने राजू से कहा — . अब, मेरी बात अब -गौड़ से सुनो | यहाँ से जो फूलों की लम्बी कतार दिख रहे है, तुम्हे एक छोड़ से दुसरे छोर तक चल कर जाना है और तुन्हें जो सबसे ख़ूबसूरत फुल लगे उसे तोड़ कर मेरे पास लाना है |
परन्तु शर्त यह है कि एक बार आगे जाने के बाद, फिर पीछे नहीं आ सकते | मतलब यह कि जो फुल छोड़ कर तुम आगे बढ़ चुके हो उसे फिर वापस आकर तोड़ नहीं सकते और इन सबों में जो सबसे सुंदर फुल तुम्हे लगे, उसे लाना है |

राजू ने महात्मा जी के निर्देशानुसार एक छोर से चलना शुरू किया, लाइन से बहुत सारे खुबसूरत फुल खिले नज़र आ रहे थे |
राजू चलता गया लेकिन किसी भी फुल के पास रुका नहीं, इस आशा में कि शायद इससे भी खुबसूरत फुल आगे मिल जायेगा | इस तरह आगे बढ़ता गया और देखते देखते वो क्यारी के अंतिम छोर तक पहुँच गया, परन्तु उन फूलो को देख कर उसे महसूस हुआ कि पीछे जो फुल छोड़ कर आया था वो ज्यादा ख़ूबसूरत थे और अंतिम छोर में जो फुल थे वो कुछ मुरझाये से थे |
लेकिन शर्त के अनुसार वो अब पीछे के फुल नहीं ले सकता था, इसीलिए अंतिम के जो बचे फुल थे उन्ही में से जो सही लगा उसे तोड़ कर महात्मा जी के पास ले आया |
महात्मा जी लाये हुए मुरझाये फुल को देख कर पूछा — क्या यही उस क्यारी के सबसे अच्छे फुल थे ?
तब राजू ने बताया कि ऐसा नहीं है, वहाँ इससे भी बहुत अच्छे और खुबसूरत फुल थे | लेकिन आगे और अच्छे फुल मिलेंगे ,ऐसी आशा में चलते हुए वे फुल पीछे छुट गए | और क्यारी के अंतिम छोर पर सिर्फ ऐसी ही फुल मिले ,इसलिए इसे ही ले आया |
महात्मा जी राजू की बात सुनकर मुस्कुराये और फिर उसे बगान में लेकर आए और बोले — ये जो फूलो की क्यारी देख रहे हो .. यह तुम्हारी लाइफ है और लाइफ में भी इसी तरह तुम दौड़ते जाते हो कि आगे और अच्छी चीज़ मिलेगी और इस चक्कर में जो छोटी छोटी खुबसूरत पल आँखों के सामने से गुजरते है उसे छोड़ देते है |

यह बिलकुल सत्य है कि हम मंजिल पर पहुँचने की चाह में रास्ते में मिलने वाले इन छोटी छोटी ख़ूबसूरत लम्हों को छोड़ते चले जाते है, हम उसे एन्जॉय नहीं कर पाते है |
हम सब इसी फ़िराक में आगे बढ़ते रहते है कि कोई एक मंजिल है जिस पर पहुँच कर हमें आनंद और सुख की अनुभूति होगी | लेकिन यह भूल जाते है कि असली लाइफ वो है जो हर पल जी रहे है | हर पल में छोटी या बड़ी ख़ुशी शामिल रहती है उसे क्यों नहीं हम देख पाते है, …. क्यों एन्जॉय नहीं कर पाते है ?
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बच्चो को विदेश ले जाना ही सुख की अनुभूति नहीं देता, बल्कि उसके साथ quality time घर में ही बिताते है तो हम सभी को वो ख़ुशी की अनुभूति हो सकती है जो वर्ल्ड टूर में महसूस होती |
पिता जी को केवल कार गिफ्ट कर के ही ख़ुशी नहीं मिल सकती बल्कि पिता जी के साथ कुछ पल बैठ कर दिल की बात शेयर कीजिए तो शायद पिता जी को उससे ज्यादा ख़ुशी मिलती |
ज़िन्दगी के हर छोटे लम्हे का आनंद लेना शुरू कर दें | हमारे पास जितना उपलब्ध साधन है उसी के साथ एन्जॉय करना सिख लें तो फिर अपनी लाइफ भी हो जाए …झिंगालाला …
…क्या आप भी ऐसा मानते है ..ज़रूर अपनी राय दें…

कोशिश कर.. हल निकलेगा,
आज नहीं तो.. कल निकलेगा
अर्जुन के तीर सा सध
मरुस्थल में भी ..जल निकलेगा
मिहनत कर ,पौधों को पानी दे
बंज़र ज़मीन से भी फल निकलेगा
ताकत जुटा.. हिम्मत को आग दे
फौलाद का भी बल निकलेगा
जिंदा रख ..दिल में उम्मीदों को
गरज के समंदर से भी.. गंगाजल निकलेगा
कोशिश जारी रख.. कुछ कर गुजरने की
जो है आज थमा थमा सा ..कल चल निकलेगा .|
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: motivational
Bhut khub sir ji
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thank you dear..stay blessed and happy..
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Bhut sundr
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Thank you so much..
Stay connected and stay happy..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Never lose hope, even when you are at the
lowest point of your Life…
Life always finds a way ..Keep Believing !
Be happy….Be positive…,
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