# संतान – सुख #

आज किराये के इस नए घर में मेरा सातवां  दिन था और  मैं सोच रहा था कि माँ जी (मकान मालकिन ) रोज ही रात का खाना खिला देती है जिससे मुझे होटल का खाना से छुटकारा भी मिल गया क्योकि लंच तो बैंक में ही हो जाता |

अच्छी कैंटीन थी बैंक की , और  बिरजू बहुत ही अच्छा खाना बनाता था | वो काफी मिहनत करता था, क्योकि उसे आशा थी कि एक ना एक दिन इसी बैंक में वो परमानेंट (Permanent) हो जायेगा |

लेकिन आज तो sunday था और हमारा बैंक बंद | मैं ने मन ही मन भगवान  से कहा कि यदि आज दिन का खाना (lunch) भी  माँ जी खिला दे, तो आज भी होटल जाने से बच जाएँ |

लेकिन लंच के बारे में उन्होंने मुझसे कुछ कहा नहीं है | अभी सुबह के नौ बज चुके थे और  सुबह का चाय नास्ता हो चुका था | मैं ने कुछ सोचा और  तुरंत अपने कपडे बदले और  घर से बाहर  निकल गया |

करीब एक घंटे के बाद वापस आया | मेरे हाथ में एक थैला था और  हरी सब्जियों के अलावा मछली भी लेता आया था |

मेरे हाथ में सब्जी से भरे थैले देख कर माँ जी आश्चर्य से मेरी तरफ देखा तो मैं उनकी जिज्ञासा समाप्त करते हुए बोल  पड़ा …… सैलून (saloon) गया था, तो रास्ते में ताज़ा मछली दिख गई, इसीलिए लेता आया हूँ |

उन्होंने शिकायत भरे लहजे में कहा …..अगर मछली खाने का मन था तो बोल दिया होता |

मैं मन ही मन सोच रहा था कि इतनी तकलीफ से ये बेचारे लोग जीवन जी रहे है और  मैं फरमाईस कर उन्हें परेशान करूँ ?

मैं ने अपनी सफाई में सिर्फ इतना ही कहा ……. मेरा भी तो कुछ अधिकार हो गया है इस घर में |

इस बार बूढ़े बाबा बोल पड़े … ..ठीक ही तो कहा है विजय ने, .. ,

हमलोग आज fish पार्टी करेंगे | बाबा हमारे इस कार्य से बहुत खुश थे क्योकि उन्होंने जीवन की  गाड़ी खीचने में हमारी मदद की  भी आशा लगाये बैठे थे |

मैं उनकी गरीबी को करीब से देख रहा था, लेकिन उस lady का स्नेह और उनका बड़ा दिल देख कर मेरी आखों में आँसू आ गए | इतना स्नेह  और  हमारी देख भाल कोई अपना ही कर सकता था,… वर्ना आज के समय में कोई फ्री में चाय भी नहीं पिलाता |

इस घर से रह कर दुनियादारी की  बहुत सी बातें रोज सीखता था | आज शायद बहुत दिनों के बाद घर में मछली बन रहा था  इसलिए बाबा बहुत खुश थे |

मैं ने भी मन ही मन इस घर के लिए सब्जी की  जिम्मेवारी ले ली थी , क्योंकि हमारे खाने की  समस्या का समाधान इन लोगों ने कर दिया था | इसीलिए हमारा भी कुछ फ़र्ज़ था इस घर के प्रति |

source: google.com

आज का दिन तो बहुत अच्छा बीता | खाना खाने के बाद अपने एक दोस्त के यहाँ चला गया |

शाम में जब वापस लौटा तो  पता चला कि अचानक उनकी “बेटी” और  “नातिन” कोलकाता से यहाँ पहुँच गई है | मुझे लगा कि अब मुझे  मिलने वाली सारी सहूलियतें बंद कर दी जाएँगी | क्योकि उनकी बेटी नहीं चाहेगी कि उसकी माँ इस बुढ़ापे की उम्र  में एक और  आदमी के खाने की  जिम्मेवारी उठाये |

लेकिन जब उनकी बेटी से सामना हुआ तो उसका  व्यवहार देख कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ | उनकी छोटी सी “नातिन” ने तो मुझे मामा कह कर संबोधन किया और  मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उनकी बेटी की हमसे पहले से जान पहेचान हो |

हमलोग साथ में डिनर कर  रहे थे तो उस समय उनकी बेटी बोल पड़ी …..तुम्हारे यहाँ रहने से मैं बहुत खुश हूँ | तुम्हारे बारे में माँ से सब सुन चुकी हूँ | तुम मेरे छोटे भाई हो अब |

तुम्हारे यहाँ रहने से माँ के प्रति मेरी चिंता कम हो गई | माँ भी आज कल बहुत खुश दिखती है |

शायद उनका बेटा  फिर से वापस आ गया , बोलते बोलते वो रो पड़ी…. फिर थोडा अपने को सँभालते हुए वो बोली ….. मेरा भाई  बिलकुल तुम्हारे जैसा ही था | उसके बारे में शायद माँ तुमको बताई होगी |

मैं पत्थर की  बुत बने सब कुछ सुनता रहा |  बस, मैं भगवान को आँख बंद कर शुक्रिया अदा करना चाह रहा था…क्योंकि मुझे एक परिवार मिल गया और उस माँ को उसका बेटा…और मुझे यह भी पता लगा कि संतान का सुख क्या होता है ….(..क्रमश )…

कृपया नीचे दिए link को click करें …..

https://online.anyflip.com/qqiml/lvqy/

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,

If you enjoyed this post don’t forget to like, follow, share and comments.

Please visit my website to click link below….

http://www.retiredkalam.com



Categories: मेरे संस्मरण

9 replies

  1. Gd morning have a nice day sir ji

    Like

  2. अति सुन्दर

    Like

  3. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    हर दीपक आपकी दहलीज़ पर जाले,
    हर फूल आपके आँगन में खिले
    आपका सफ़र हो इतना प्यारा
    हर ख़ुशी आपके साथ साथ चले |

    Like

Trackbacks

  1. ममता का सागर – Infotainment by Vijay

Leave a comment