# शरीफ बदमाश #

<p value=”<strong>वो खडूस बुड्ढा

वो खडूस बुड्ढा जब भी मुझे देखता उसके चेहरे पर तनाव के भाव उभर आते, और मुझे भी उसको देख कर गुस्सा आ जाता था, लेकिन अपनी पोजीशन का ख्याल कर दूसरी ओर अपनी  नज़र कर लेता |

अब तो कुछ ही दिन शेष इस घर में रहना था क्योंकि हमलोगों ने तय कर लिया था कि इस बुड्ढे के मकान को छोड़ कर कोई दूसरा ठिकाना लेना है | अभी तो 15 दिन का  वक़्त था |

हालाँकि उस बुड्ढे ने सुदर्शन को बहुत पटाया कि वो और नवीन  इसी मकान में रहे, सिर्फ मुझे वह नहीं रहने देना चाहता था | सुदर्शन को मकान भाडा कम करने का भी प्रस्ताव दिया था | लेकिन उसे क्या पता था कि हम three idiot है, रहेंगे तो साथ ही | मैं सुदर्शन के लिए अपने भाई से बढ़कर था, ऐसा मैं भी महसूस करता था |

हमारे बैंक का एक कस्टमर जिससे नई नई दोस्ती हुई थी, उसे जब यह पता चला कि हमें  एक मकान की तुरंत आवश्यकता है तो उसने अपने मकान का ऑफर दे दिया जो काफी बड़ा था और बिलकुल  seperate था,| उसके स्वयं का खाली मकान था और वह खुद अपने दुसरे मकान में रहता था |

फिर क्या था , उसी दिन डिनर के समय मैंने यह प्रपोजल सुदर्शन के सामने रखा और अगले दिन काफी विचार विमर्श कर प्रपोजल फाइनल हो गया |

हालाँकि वह पंजाबी मोहल्ला था, सभी आस पास पंजाबियों के मकान थे | लेकिन थे वे लोग दिलदार | किसी बात की कच कच नहीं थी | बिलकुल Independent मकान था और हम तीनो के लिए एक एक कमरा था, लेकिन किचेन कॉमन था |

अब हमलोग बड़े मजे से रह रहे थे और ज़िन्दगी को फुल एन्जॉय कर रहे थे |

लेकिन कहते है ना कि जैसा हम चाहते है सब कुछ वैसा नहीं होता है …..बल्कि वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है |.

इसी बीच पता चला कि सुदर्शन का ट्रान्सफर होने वाला है, और साथ में नवीन का भी | अब तो मानो  मेरे ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा हो | क्योकि वह हमलोग का लोकल गार्जियन था और उसी के परिश्रम से हमलोग आराम से रह रहे थे |

मैं तो अब परेशान रहने लगा,|  एक तो मैं कुंवारा और ऊपर से एक व्यक्ति के लिए छोटा सा मकान कोई भी देने को तैयार नहीं होता था | कोशिश करने के बाबजूद भी सफलता नहीं मिल पा रही थी | इसी बीच सुदर्शन और नवीन का ट्रान्सफर का तारीख भी निश्चित हो गया | मैं बहुत परेशान रहने लगा क्योंकि अब तो सिर्फ ३ दिन ही बचे थे |

रविवार का दिन था और मैं अपनी परेशानी को थोडा कम करने के इरादे वहाँ स्थित जवाहर टाकिज में मूवी देखने चला गया | मैं टिकेट लेकर जैसे ही गेट की तरफ बढ़ा तो पीछे से किसी ने आवाज़ लगाई | , मैं पलट कर देखा तो वह उत्पल दास था जो उसी  टाकिज में गेट – कीपर का काम करता था |

उससे कुछ दिनों पूर्व ही जान पहचान हुई थी जब वह हमारे बैंक में खाता  खुलवाने आया था | छोटी जगह में जान पहचान जल्दी ही हो जाती है |

अभी मूवी शुरू होने में देरी थी सो उससे मैं बात करने लगा | मुझे  कुछ परेशान सा देख कर वह कारण पूछ बैठा | मैं उसके साथ चाय की चुस्की लेते हुए अपने मकान  की समस्या के बारे में उसे बताया, तो वह तुरंत ही बोल पड़ा –..मेरे जानकारी में आप के रहने लायक एक मकान है | है तो छोटा मकान लेकिन खुला खुला चारो तरफ से boundary किया हुआ है और बिलकुल सुरक्षित है |

उसमे एक बंगाली senior citizen couple रहता है | आप उनसे बात कीजिए | दिन के तीन बज रहे थे और गर्मी भी काफी थी |

मैं तुरंत मूवी का खरीदा हुआ टिकट वही फाड़ दिया और तुरंत ही  बताये गए पते की ओर चल पड़ा | थोड़ी देर में ही उसके बताये हुए पते पर पहुँच गया |

सामने बड़ा सा काला गेट था | मैं गेट को खटखटा कर जबाब का इंतज़ार करने लगा | थोड़ी देर में करीब 65 साल की एक औरत माथे पर पसीना पोछते हुए गेट के पास आयी  और बिना गेट खोले ही अंदर से ही पूछा .– .क्या बात है ?

मैंने उनसे निवेदन भरे लहजे में बोला कि आप से कुछ बाते करनी है | बड़ी मुश्किल से उन्होंने थोडा सा गेट खोला और मुझे ऊपर से नीचे तक घूर कर देखा, लेकिन गेट के अंदर नहीं आने दिया | मैं ने बड़े अदब से कहा — मैं  बैंक में नौकरी करता हूँ और मुझे रहने के लिए एक कमरा भाड़े पर चाहिए |

मेरी बात पूरी होने से पहले ही वो बोल पड़ी | यहाँ कोई कमरा खाली नहीं है | मुझे ऐसी जबाब की उम्मीद नहीं थी | मैं तो सोचा था कि किराया के लिए मोल – भाव  करेंगी, परन्तु उन्होंने तो बात एक ही झटके में काट दी |

मैं दुखी मन से वापस  लौटने लगा | मेरे मन में एक ही बात बार बार चल रही थी कि वो दम्पति अकेला रहते है और मैं भी अकेला और शरीफों वाली नौकरी भी करता  हूँ ,फिर उन्होंने किराया पर कमरा देने से क्यों मना  किया ?

इन्ही सब बातों में खोया फिर वापस  जवाहर  टाकिज लौटा और सीधा उत्पल  के पास पहुँचा | उससे शिकायत भरे लहजे में पूरी बात बताई तो वो सुनकर हँसने लगा |

उसकी ऐसी प्रतिक्रिया पर मुझे और भी गुस्सा आने लगा | मैंने उसे साफ़ लफ़्ज़ों में पूछा कि तुम तो यहाँ 15 सालों से रह रहे हो और उस बुढिया को भी इतने सालों से जानते हो |

तो बताओ कि उसने अपना कमरा देने से क्यूँ मना कर दिया ? तब उसने जो बताया वो सुन कर मुझे भी हँसी आ गई | उसने कहा — वो बंगाली दम्पति है,  जिसे डरपोक कॉम कहा जाता है और दूसरी बात आप ने जो अपना हुलिया बना कर अपने को पेश किया था, उसे देख कर कोई अपरिचित आप को मकान देने से मना कर सकता है | .

.ये आप के दाढ़ी बढे हुए ,बाल बिखरे हुए और गर्मी और पसीने की वजह से आप बिलकुल खूंखार आदमी दिख रहे हो | कोई भी पहली बार इस हालत में देख कर आप के बारे में अच्छा राय नहीं रख सकता है | शायद उसकी बातों में दम था |

फिर क्या था , मैं दुसरे दिन बैंक से एक दिन की छुट्टी लिया,  सैलून गया और बाल – दाढ़ी ठीक करवाई और बिलकुल जेंटलमैन बन कर दुबारा शाम के वक़्त उस बुढिया के पास गया …(क्रमश)…

इसके आगे की घटना जानने के लिए नीचे दिए link को click करें ..

https://infotainmentbyvijay.data.blog/2020/04/23/three-idiots/

बहुत दिन हुए

ना कुछ सोचा, और ना कुछ लिखा

चलो आज दिल की बात कही जाए

दिल के कोरे पन्नो पर कुछ जज्बात लिखी जाए

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,

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Categories: मेरे संस्मरण

6 replies

  1. Gd morning have a nice day sir ji

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  2. very good morning..stay safe..

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  3. ❤️👌👌👌

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  4. thank you dear..stay connected for next blog..

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  5. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    ज़िन्दगी में कुछ यादें, कुछ बातें, कुछ लोग
    और उनसे बने रिश्ते कभी भुलाये नहीं जा सकते ..
    आप स्वस्थ रहें …. खुश रहें…

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Trackbacks

  1. ऐसा भी होता है … – Infotainment by Vijay

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