
मेरी पहली पोस्टिंग “रेवदर” शाखा में और अभी छह माह भी नहीं हुए थे कि मेरा ट्रान्सफर “शिवगंज” शाखा में कर दिया गया | कुछ दिनों पूर्व ही जब शाखा निरिक्षण के लिए श्री भट्ट साहेब यहाँ आए थे ..तो कहा था कि कम से कम २ साल तक यहाँ से ट्रान्सफर होना मुश्किल है | क्योंकि यह रूरल असाइनमेंट (rural assignment) है |
हालाँकि सुना था कि यह नई जगह “शिवगंज” रेवदर से ज्यादा सुविधा जनक और रहने लायक है, क्योंकि यह गाँव नहीं शहर है | सभी शुभचिंतक और शाखा के स्टाफ जो मुझसे हमदर्दी रखते थे ..सबों ने मुझे दिल से बधाई दिया… सिर्फ एक को छोड़ कर.. वो शाखा प्रबंधक महोदय थे |
क्योंकि उन्होंने ही मेरे खिलाफ “मार-पिट” का आरोप लगा कर उदयपुर हेड क्वार्टर में मेरी शिकायत दर्ज कराई थी और परिणाम स्वरुप हमारा ट्रान्सफर यहाँ हो गया था |

हालाँकि इस बात से वो दुखी थे कि उनकी शिकायत करने के बाबजूद मेरा पोस्टिंग रेवदर शाखा से और अच्छी जगह हो गई |
और इतना ही नहीं, मेरी जगह जो ऑफिसर यहाँ आ रहा था.. श्री पी . आर मीना, वो बहुत ही कड़क स्वाभाव का है, जिसके कारण किसी शाखा प्रबंधक से उसकी नहीं बनती थी और इसी अड़ियल स्वाभाव के कारण से ही उसे यहाँ लाया जा रहा था |
जहाँ तक मेरी मनःस्थिति की बात थी तो मुझे ख़ुशी भी थी और साथ ही साथ दुःख भी था | ख़ुशी इसीलिए कि मेरी पोस्टिंग “शिवगंज” शाखा में हुई थी जो एक शहर में थी और जो रेवदर की तुलना में बहुत अच्छी जगह थी |
सच तो यह था कि मैं ऐसी जगह ही पोस्टिंग चाहता था |
लेकिन दुखी इसीलिए कि जिस परिस्थिति में ट्रान्सफर हुआ था उससे मेरी इमेज “मार-पिट” करने वाला ऑफिसर का बन गया था |
ट्रान्सफर लेटर (Transfer Letter ) मिलते ही मेरी आँखों से आँसू छलक आए | हालाँकि मैं इस गाँव में रहना नहीं चाहता था. फिर भी मार-पिट का इल्जाम के साथ यह ट्रान्सफर हुआ था, इसलिए आँखों में आँसू आना तो स्वाभाविक था क्योकि मेरी छवि अब खतरनाक ऑफिसर की हो गई थी |
खैर, शाखा में ट्रान्सफर के उपलक्ष में मेरी विदाई समारोह का आयोजन भी किया गया | लेकिन दबी जबान से मेरे चाहने वालों ने कहा कि आप ने तो असंभव कार्य कर डाला |
अब आप वहाँ “राज करोगे राज” | आपको कोई भी मेनेजर अब तंग नहीं कर सकता है |
रेवदर से शिवगंज की दुरी मात्र 60 किलोमीटर ही दूर थी, और रेवदर में अकेले रहने के कारण सामान भी थोड़े ही रखता था
इसलिए मैं दुसरे दिन ही सुबह – सुबह एक जीप में घर का सामान डाला और धड़कते दिलों से नई शाखा में ज्कीवाइन करने चल पड़ा |
करीब दो घंटे की सफ़र के बाद मैं दिन के ठीक ११.०० बजे शिवगंज शाखा पहुँचा गया |
जैसे ही मैं शाखा प्रबंधक महोदय के चैम्बर में दाखिल हुआ तो वो अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़े होकर मुझे प्रणाम करने लगे | मुझे बड़ा अटपटा लगा, क्योकि वो बुजुर्ग थे और बहुत सीधे साधे दीखते थे |
हमलोगों ने बाद में उनका “निक” नाम रख दिया था …:दयालु” | वो धोती कुर्ता पहनते थे और बिलकुल देशी मेनेजर दीखते थे |

उनका अचानक इस तरह का unexpected व्यवहार देख कर कुछ मुझे अटपटा सा लगा | मैं उन्हें जबाब में प्रणाम किया और कहा …. आप हमसे इतने सीनियर ( senior) है, आप मुझे क्यों हाथ जोड़ रहे है |
मुझे यह समझते देर ना लगी कि.. ..हमारी “एक बिहारी सब पे भारी” वाली छवि के कारण यह सब हो रहा है |
वे हमारी ओर मुखातिब हुए और कहा.. आप अपनी इच्छा के अनुसार शाखा आइये और जब इच्छा हो आप फील्ड विजिट (Field visit ) करें | इसके लिए शाखा की जीप है, और ड्राईवर बाबू लाल जी को आप के जिम्मे कर देता हूँ |
आप को पूरी तरह आजादी है, किसी से इजाजत लेने की आवश्यकता भी नहीं है | मुझे तो अपनी सफाई देने का मौका भी नहीं मिल पा रहा था |
सभी स्टाफ लोगों से परिचय का सिलसिला शुरू हुआ | मैंने एक बात गौड़ किया कि सभी लोग मुझे मिलते हुए डरे- डरे से अनुभव कर रहे थे ..जैसे मैं कोई सड़क छाप गुंडा हूँ | रेवदर शाखा की घटना के बाद, शायद आस पास की शाखाओं में मेरी छवि इसी तरह की हो गई थी |
मैं मन ही मन सोच रहा था कि अपनी “तपोड़ी” छाप छवि को ठीक करने के लिए यहाँ अपने काम का बेहतर प्रदर्शन (work performance) करना होगा |
काफी मिहनत करना होगा और सभी से अच्छी तरह पेश आना होगा | अपने स्वाभाव के विपरीत मुलायम स्वाभाव से राजस्थानी संस्कृति में रम जाना होगा |

मैं यही प्रतिज्ञा करते हुए शाखा के चौखट को माथे से चूमा और प्रभु का नाम लेकर अपना काम शुरू किया | आगे कि घटना अगले ब्लॉग में … …क्रमश
जीवन में अगर तुम कर सको
तो एक काम हर बार करना…
मिलना मुस्कुरा कर ज़िन्दगी से
प्यार, प्यार बस प्यार ही करना
नफरत में यूँ तुम्हारा जीवन बसर न होगा
कांटा विहीन जग में, कोई डगर न होगा…
फूलों से दोस्ती हो खुशबू का याराना
काँटों को भी लेकिन अंगीकार करना होगा
प्यार, प्यार बस प्यार ही करना होगा …..
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
इससे आगे की घटना जानने हेतु नीचे दिए link को click करें..
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Awara Paagal Deewana Duniya Se Doob Gaya
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AWARA PAAGAL DEEWANA ..AAJ BHI HAI ..HAHAHAH
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You’re are fully Bihari sir
aage Kaya hua sir nice story
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You’re are fully Bihari sir
aage Kaya hua sir nice story
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thank you dear ..stay connected for the next episode..
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I am inspired by your work uncle…
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thank you dear ..stay connected for next blog..
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Achaa too aap aye sub bhiv karteye they.
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Accha to aap aye bhi karteye theye.
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थthank you Anuj ..that incidence is true and happened due to some misunderstanding
it will be cleared in the next blog. have a nice day…
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You have repeated this blog. I remember having read this commented about this blog 5-6 months before. Interesting reading.
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yes sir, actually those stories are being rearranged with some modifications sir..
new story will be publish soon. thank you sir for your valuable time for this
repeated story ..stay happy and safe..
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