
किसी ने बड़े कमाल की बात कही है कि कैलंडर हमेशा तारीखे बदलता रहता है लेकिन एक दिन, एक तारीख ऐसी भी आती है जो हमेशा के लिए उस कैलेंडर को ही बदल देती है |
इसीलिए हमलोगों को सब्र रखना चाहिए, मिहनत करते रहना चाहिए, सब के ज़िन्दगी में एक अच्छा वक़्त भी आता है |
जतिन एक बहुत ही गरीब लड़का था पर था होनहार | पढने में तेज़ और बड़ा आदमी बनने का लगन | पैसे की तंगी की वजह से वो अपने स्कूल के बाद के समय में घर – घर जाकर सामान बेचा करता था | और उससे जो कमाई होती, उससे अपनी पढाई की ज़रूरतों को पूरा करता था |
एक दिन स्कूल से निकल कर सीधा सामान बेचने निकल गया | उस समय उसे बहुत जोरो की भूख लगी थी | उसने अगले घर का दरवाज़ा खटखटाया और सोचा कि इस घर से सामान के बदले पैसे ना लेकर खाना मांग लूँगा ताकि भूख मिटाई जा सके |
ऐसा वो मन में सोच ही रहा था कि एक सुंदर सी भोली सी लड़की ने दरवाज़ा खोला |
उस लड़की ने पूछ — क्या चाहिए आपको ?
अचानक इस तरह एक लड़की को सामने पाकर वह थोडा हडबडा गया और घबराहट में उसके मुहँ से निकला –. एक गिलास पानी मिलेगा ?
वो लड़की अपने किचन ( kitchen) में गई और पानी का गिलास भरते हुए सोचने लगी कि लगता है यह लड़का बहुत भूखा है,| इतना सामान लेकर घूम रहा है |
ऐसा सोचते हुए , उसके मन में दया आ गई | तो उसने वो पानी की जगह एक गिलास दूध ले कर आ गई | उस लड़के भूख लगी थी इसलिए ज़ल्नेदी से उसने दूध पी लिया |
फिर उसने पूछा कि इसके बदले में क्या चाहिए ?
लड़की ने कहा — ..मेरी माँ कहती थी कि अगर कोई भूखा और प्यासा दरवाजे पर आ जाए तो उसकी सेवा निःस्वार्थ भाव से करना चाहिए |
लड़के ने फिर पूछा — आप हमसे कुछ सामान ही ले लीजिए |
नहीं मुझे कुछ नहीं चाहिए –लड़की ने कहा |

उस लड़के का नाम जतिन था | जतिन ने उस लड़की की बात सुन कर बस मुस्कुरा दिया और दिल से शुक्रिया अदा किया और चला गया |
इसी तरह दिन बीतते गए और जतिन का मिहनत रंग लाया | एक दिन जतिन एक बड़ा डॉक्टर बन गया और एक बड़ी सी हॉस्पिटल में उसकी नौकरी लग गई |
दूसरी तरफ वो लड़की रीना के घर वालों पर मुकद्दर का कहर टूट पड़ा और उसके पिता की बिज़नस चौपट हो गई | पूरा परिवार गरीबी के दिन देखने को मजबूर हो गए.|
संयोग वश, रीना की तबियत अचानक बिगड़ गई और इतनी कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा | और फिर I.C.U. में शिफ्ट करना पड़ा |
जतिन को खबर हुई कि कोई सीरियस (serious) मरीज़ आया है तो वो उसकी जांच के लिए चला आया |
जब वो उस लड़की का निरिक्षण किया तो उसे पता चला कि यह तो वही लड़की है जिसने उसे कभी निःस्वार्थ मदद की थी | वह तुरंत उसकी सेवा में लग गया |
चूँकि बीमारी गंभीर थी इसलिए उसने कुछ specialist डॉक्टर से consult किया और डॉक्टर की एक टीम बनाकर दिन रात उसकी देख भाल में लगा रहा | ,
बस कुछ ही दिनों में इलाज का असर हुआ और रीना जल्द ही ठीक हो गई |

अब रीना की अस्पताल से छुट्टी होने का वक़्त आ गया | , लेकिन वह परेशान थी कि पता नहीं कितना अस्पताल का बिल आएगा | वो कैसे उसका भुगतान कर पायेगी ?
ऐसा सोच ही रही थी कि उसने देखा कि उसके बेड के पास रखे ट्रे में एक लिफाफा पड़ा है | शायद हॉस्पिटल का bill था |
रीना के दिल की धड़कने तेज़ हो गई | उसने डरते डरते कांपते हाथो से लिफाफा खोला और बिल के ऊपर चिपकी एक लिखित नोट देख कर चौक गई, जिसपर लिखा था,– इस हॉस्पिटल बिल का भुगतान आप ने पहले ही कर दिया है.–.. एक गिलास दूध इस भूखे तो पिला कर | ..आपका ..डॉ. जीतन..|
रीना के दिल को बड़ा सकून मिला और वह चैन की सांस ली | फिर वो घबराहट में इधर उधर नज़रे दौड़ाई कि वो डॉक्टर कही दिख जाए जिसे वो दिल से शुक्रिया कह सके |
जब वो डॉक्टर को नहीं ढूंढ पाई तो वहाँ से जाते हुए अपने बिस्तर के पास रीना ने एक नोट लिख कर छोड़ दिया.| .
उसने लिखा — डॉ जीतन , मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ, | अगर संभव हो तो मेरे घर लंच पर आना ताकि तुम्हे दिल से शुक्रिया कह सकूँ |,,
किसी के लिए किया गया काम हमारा कर्म होता है ओर हमें अपने कर्म का फल ज़रूर मिलता है |…
यह छोटी सी घटना हमें यह बताती है कि अच्छे किए गए कर्मो का फल वापस मिलता ज़रूर है .. इसलिए सिर्फ अपने अच्छे कर्म करते रहना चाहिए और भगवान को शुक्रिया अदा करनी चाहिए कि वो हमें इस लायक तो बनाया है |…

और हाँ, इसके आगे की बात बताना तो भूल ही गया | दुसरे दिन ही जतिन उसके घर ठीक लंच के समय पहुँच गया | घर के सभी सदस्यों ने साथ मिलकर खाना खाया |
रीना की गंभीर बीमारी ठीक हो जाने से वे लोग बहुत खुश थे | , रीना ने आगे बढ़कर जतिन को शुक्रिया बोलनी चाही, लेकिन तभी जतिन उसकी हाथो को अपने हाथों में लेकर एक अंगूठी उसके ऊँगली में डाल दी |
रीना ने जिसकी बस मन में कल्पना बस की थी वो अचानक सच होता देख घबरा गई और अपने माता पिता को प्रश्न भरी नजरो से देखने लगी |
उनके माता पिता मुस्कुरा रहे थे और गले लगा कर रीना को बधाई दी \
ज़िन्दगी में कभी किसी को सहायता करने का मौका आए तो ख़ुशी ख़ुशी मदद करे, क्या पता वो अच्छे कर्म वापस कोई मीठे फल लेकर आए . |..
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: motivational, story
बहुत सुन्दर, मन को छू गई आप की कहानी।
सच, कर्म ही पूजा है।
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बिल्कुल सही, कर्म ही पूजा है /धन्यवाद, हौसला बढ़ाने के लिए..
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This Story touch my heart
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yes,God gives us reward for good work..after all we are human..
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I have read this in an American story. Good one.
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yes sir , this is a heart touching story..thank you sir..
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आप ने तो सही लिखा…… अच्छे। काम करने सै.. उसका. वापस….मिलता हे.लेकिन ये.सोघ.या समझ कर किसी .का मदत..भी नही करना है हमें कि……..
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सही है, हमें तो अपना कर्म करते जाना है ,फल तो ऊपर वाला ही देता है /
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thank you dear..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
ज्यादा कुछ नहीं बदलता
उम्र के साथ…
बस बचपन की जिद ,
समझौतों में बदल जाती है ||
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