
नयना आज बहुत उदास थी, क्योकि आज उसकी माँ की बरसी थी | आज सुबह – सुबह उसने माँ के फोटो के सामने एक कैंडल जलाया और एक बुके रख कर फुट फुट रोई |
आज उसे फिर वो सारी पिछली बातें याद आ गई और अपनी गलतियाँ भी |
फिर याद आने लगा वो सब पिछली बातें , .. जब वो ८ साल की थी और एक बड़े स्कूल में पढ़ती थी |, वहाँ शहर के रईस के बच्चे ही वहाँ पढ़ा करते थे |
पिता जी की दोनों हाथ एक एक्सीडेंट में कट चुके थे | ऐसी हालत में माँ ही दूसरों के घरों में काम कर के हम परिवार का पेट नहीं पाल रही थी | इतना ही नहीं वह नयना को एक बड़े से पब्लिक स्कूल में पढ़ा भी रही थी ताकि वह एक नेक इंसान बन सके |
लेकिन माँ मैले कुचैले कपड़ो में नयना को स्कूल छोड़ने आती तो स्कूल के बच्चे उसका मजाक उड़ाते थे, क्योंकि उसकी माँ अनपढ़ थी और वो लोगों के घरो में काम करती थी |
इस कारण वह बचपन से ही अपनी माँ से नफरत करती थी | क्योंकि माँ के अनपढ़ होने के कारण दुसरे दोस्त उसे इज्जत की दृष्टी से नहीं देखते थे | उसका अनपढ़ होना नयना के लिए अभिशाप बन गया था |

लेकिन विमला तो एक माँ थी, इसीलिए नयना के सभी नखरे बर्दास्त करती थी यह सोच कर कि वो अभी बच्ची है | , जब बड़ी होगी तो अपनी माँ से उतना ही प्यार करेगी जितना और बच्चे अपनी माँ से करते है, यही सोच कर अपने दिल को समझाती थी |
राम सिंह, नयना के पिता , अपने घर की स्थिति और अपनी सुशील पत्नी की यह दुर्दशा देख कर मन ही मन दुखी रहते थे |
उन्हें कभी मन होता कि अपनी बेटी को वो सच्चाई बता दे लेकिन हर बार विमला अपनी कसम दे देती थी | ऐसे ही दिन बीतते गए और नयना कॉलेज (college) में भी चली गई |
पढने में तो तेज़ थी ही, क्योकि उसकी शिक्षा का विमला ने विशेष ध्यान रखा था | यहाँ तक कि विमला ने अपनी शादी में मिले सारे गहने और अन्य कीमती सामान नयना की पढाई के लिए एक एक कर बेचना पड़ा था |
इसके बावजूद विमला अपने पति के साथ ख़ुशी जीवन बिता रही थी | कभी कोई शिकायत नहीं करती थी |
इधर नयना की नादानियाँ बढती जा रही थी | हर दम बेफिजूल खर्चे के लिए पैसों की डिमांड करते रहती और पिता के गुस्सा होने के बावजूद उसकी माँ हर वक़्त उसने नखरे उठाया करती |
लेकिन एक दिन एक ऐसा समाचार मिला कि विमला अंदर से कांप गयी | वो बिना अपने पति को बताये भागते हुए उस हॉस्पिटल पहुंची जहाँ नयना ज़िन्दगी और मौत से जद्दोजहद कर रही थी |

उस डॉक्टर ने बताया कि नयना अपने किसी दोस्त के साथ मोटरसाइकिल पर कही जा रही थी, तभी उसकी मोटरसाइकिल एक सामने से आती हुई ट्रक से टकरा गई और इस हादसे में नयना के शरीर की जगह जगह हड्डी टूट गई है |
,इतना तक तो हमलोग manage कर रहे है लेकिन इस हादसे में उसकी किडनी भी डैमेज हो गई है और उसे तुरंत ही किडनी की ज़रुरत है |
विमला ने बिना देर किए .डॉक्टर से .बोल पड़ी –..तो मेरा किडनी आप ले लो डॉक्टर और किसी तरह मेरी बच्ची को बचा लो |
डॉक्टर बड़ी असमंजस में थे कि उनके पति के इजाजत के बगैर कैसे उनका अनुरोध स्वीकार करें |
उधर नयना ऑपरेशन थिएटर में शायद अंतिम साँसे गिन रही थी, | समय की नजाकत को देखते हुए हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक टीम बनाकर इस पर जल्द फैसला ले लिया |
और उन्होंने विमला के निवेदन को स्वीकार हर उसे भी हॉस्पिटल में एडमिट कर लिया | ऑपरेशन करीब चार घंटे चला |
इस बीच राम सिंह भी खबर पा कर दौड़ा – दौड़ा हॉस्पिटल चले आए | इस बीच डॉक्टर operation theater से बाहर आए | तो जब राम सिंह ने उनकी ओर उत्सुकता भरे नज़रों से देखा तो डॉक्टर सिर्फ इतना कह पाए — नयना अब ठीक है |
लेकिन उसकी माँ को हम नहीं बचा पायें | ज्यादा खून निकल जाने से वो चल बसी |
राम सिंह यह सुनकर बच्चो की तरह फुट फुट कर रो रहे थे और उधर नयना को होश आने पर वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था,|
जहाँ उसके पिता के लगातार आँसू बह रहे थे / नयना को जब पता चला की किडनी डोनेट करते हुए उसकी माँ चल बसी तो उसको अचानक माँ की अहमियत का एहसास हुआ |
वो पिता से लिपट कर रो रही थी तब पिता ने नयना को वो बात बताई, जिसे विमला ने , ना बोलने की कसम दे रखी थी |

हाँ नयना, यह सही है | ..तुम्हे विमला ने एक अनाथालय से ले कर आई थी | तुम्हारे पालन पोषण में कोई कमी ना रह जाए इसलिए उसने अपना ऑपरेशन करा लिया था |
इतना ही नहीं मेरे दोनों बाजु कट जाने के बाद भी, वो हिम्मत नहीं हारी और अपना सब कुछ दांव पर लगा दी और आज अपना किडनी भी | .
यह वही तुम्हारी माँ है जिसे जीते जी तुम सदा नफरत करती थी ….भगवान उसकी आत्मा को शांति प्रदान करे. |
.नयना भी फफक- फफक कर रो रही थी क्योकि प्रयाश्चित करने का भी समय उस माँ ने उसे नहीं दिया . |…
सचमुच माँ की ममता का एहसास उन्हें होता है जिनकी पास माँ नहीं है |
इस कोरोनाकाल में घर पर रहिये और अपने माता पिता की खूब सेवा कीजिए …,शायद प्रकृति को भी यही मंजूर है | .
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: infotainment, story
Touching saga of caring mother
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thank you sir,,i will try to improve further..
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V nice dear
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thank you dear
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Nice.Com……
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hahaha…well said..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
आपकी उपस्थिति से कोई व्यक्ति स्वयं के दुःख भूल जाए ,
यही आपकी उपस्थिति की सार्थकता है …
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