
राजस्थान में “रेवदर” सिरोही जिला का एक छोटा सा क़स्बा,और हमारी बैंक की पहली पोस्टिंग / मैं शहरो में पला बढ़ा / पहली बार rural ब्रांच होने के कारण गाँव में रहने का मौका मिला / मैं ड्यूटी join करने के बाद बहुत दुखी रहता था / लेकिन इतना मालूम चला कि अच्छा perform करेंगे तो कोई अच्छी branch में शिफ्ट कर दिया जा सकता है /
यहाँ अकाल की स्थिति भी थी जिसके कारण पीने के पानी की भी समस्या थी / और साथ साथ उन दिनों ऋण उगाही की भी समस्या थी / वर्षा नहीं होने के कारण फसल बर्बाद हो चुकी थी और मुझसे कहा गया कि गाँव गाँव जा कर लोन की recovery करनी है /
गरीब किसान बेचारे अपनी रोज़ी रोटी के लिए सरकारी मजदूरी पर आश्रित थे / मैं जब भी recovery में किसानो के घर जाता तो वो कही मजदूरी करने गए हुए होते और मैं खाली हाथ वापस अपनी शाखा आ जाता / एक दिन मेरे मेनेजर ने चैम्बर में बुला कर मुझे डांट लगाई / आप अपनी जिम्मेवारी ठीक से नहीं निभा रहे हो जिसके कारण हेड ऑफिस से मुझे डांट सुनने को मिलती है कि लोन की उगाही क्यों नहो हो रही है / आप की rural posting उसी के लिए की गई है / उनकी डांट मुझे बहुत बुरी लगी /

एक दिन मुझे परेशान देख, मेरे ड्राईवर ने मुझसे कहा ..साहब, आप अपना घर शहर से इतना दूर यहाँ गाँव में आ गए, परिवार भी नहीं और खाने पिने की भी तकलीफ / उस पर नौकरी का झमेला भी / मैं एक सलाह देना चाहता हूँ / क्यों ना recovery के लिए रात में किसानो के यहाँ जाया जाए ताकि वो घर पर मिल जाए और कुछ काम बन सके / उसकी सलाह मुझे उचित लगी क्योंकि वो यहाँ का लोकल था / और आस पास के गाँव से वाकिफ था /
वैसा ही प्रोग्राम बना और दुसरे दिन अपने शाखा की जीप और ड्राईवर के साथ रात में मैंने गाँव में धावा बोल दिया / गाँव का नाम “मनादर” जहाँ ज्यादातर लोग रोज़ सरकारी मजदूरी कर किसी तरह गुज़ारा करते थे क्योकि लगातार तीसरे साल वर्षा नहीं होने के कारण भयंकर अकाल पड़ रहा था / मैं ने “अन्ना कोली” के दरवाजे पर दस्तक दी / रात के करीब आठ बज रहे थे और उस समय भूख भी लग रही थी / इससे पहले चार किसानो से मिल चूका था लेकिन recovery अब तक शुन्य थी /

उसको सामने पाते ही मैं गुस्से में बोला…अरे अन्ना, तू बैंक की क़िस्त क्यों नहीं भरता है ? मैं कितनी बार यहाँ आया, लेकिन तू मिलता भी नहीं है / वो बेचारा हाथ जोड़ कर बोला …सरकार, मुझे थोड़ी मोहलत और दे दो, मैं क़िस्त चूका दूँगा / और उसने अपनी पगड़ी उतार कर मेरे पैरों पर रख दिया / उसके इस ज़बाब से मेरा गुस्सा और भी भड़क गया क्योंकि बड़ी मुस्किल से रात में किसी तरह इन्हें पकड़ पाया था मुझे महसूस हुआ कि आज भी कुछ recovery नहीं हो पायेगी / मैं गुस्से में अपना आपा खो बैठा और अपने ड्राईवर से बोला..सोनी जी, इसकी पगड़ी अपने जीप में रखो, जब यह क़िस्त के पैसे लायेगा तो इसकी पगड़ी वापस देंगे / और मैं जीप में बैठा और वापस चल दिया /
रास्ते में ड्राईवर ने मुझसे कहा ..साहब जी, आप ने एक भूल कर दी / उसकी पगड़ी नहीं लानी चाहिए थी. यह उसकी इज्जत है ऐसा राजस्थान के लोग मानते है / मैं ने गुस्से में तो यह काम कर दिया , लेकिन मुझे भी अब उसकी बातों में सच्चाई लग रही थी / लेकिन तब तक हमलोग अपने शाखा पहुँच चुके थे / पगड़ी को शाखा में रखा और ड्राईवर के साथ पास के एक होटल में खाने चला गया / भूख शांत होने के साथ साथ मन भी शांत हुआ और इस घटना पर मुझे अफ़सोस भी होने लगा / खैर, जीप गराज में लगा कर घर की ओर चल पड़ा /
दुसरे दिन मैं जब ब्रांच जैसे ही पहुँचा, तो वहाँ अन्ना कोली के साथ ८-१० किसान आए हुए थे / मैं जैसे ही अपने कुर्सी पर बैठा, सभी मेरे आस पास हाथ जोड़ कर खड़े हो गए / मैं ने उनकी तरफ देखा तो एक लीडर टाइप किसान बोल पड़ा / साहब, आप दुसरे प्रदेश से आए है, इसलिए हमारे समाज की रीती रिवाज़ से वाकिफ नहीं है / आप को अन्ना की पगड़ी नहीं लानी चाहिए थी / उस समय कोई दुर्घटना भी हो सकती थी / फिर भी हमलोग को पता है कि आप उगाही के लिए परेशान है इसलिए हम सभी कास्तकार मिलकर अन्ना के लिए १००० रूपये ही इकठ्ठा कर पाए है / बाकी के ५०० रूपये के लिए कुछ मोहलत से दीजिए /

उनका ऐसा व्यहार देख कर मुझे मेरे अपनी गलती का एहसास हो गया / वाकई लोग गरीब तो थे, लेकिन अपनी इज्जत बचाने के लिए पूरा समाज एक जुट हो जाता है , यही हमारी संस्कृति है / मैं खड़े होकर हाथ जोड़ कर अपने किए की क्षमा मांगी और यह भी कहा कि आप की गरीबी को मैं महसूस कर सकता हूँ, इसलिए मैं अपने तरफ से बाकि के ५०० रूपये इसमें मिला देता हूँ और १५०० रूपये की रसीद अन्ना की तरह बढ़ा दिए / उनलोगों के चेहरे पर मुस्कान थी और हमारे आँखों में पानी… /
क्या संस्कार या अपनी इज्ज़त से बड़ा कोई चीज़ है ?….# .एक प्रश्न # …
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Bhut khub sir ji
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thank you dear..
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Very nice
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