
आज पुरानी यादों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा ….धीरे धीरे मानस पटल पर एक तस्वीर उभरती है …वर्ष १९८५ और मेरी पोस्टिंग शिवगंज के एक छोटे से कसबे में / मेरा स्टाफ मदन …जिसकी धुंधली तस्वीर आँखों से सामने उभरती हैं और उसकी याद ने चेहरे पर फिर मुस्कान बिखेर दी /
बेचारा मदन , हमारी शाखा का सबसे होशियार स्टाफ, बहुत ही मिलनसार और हंसमुख था / हमलोग चार पाँच स्टाफ हम उम्र और नई नई नौकरी में लगे थे / इसलिए हमलोगों में अपनापन बहुत था / उस वक़्त की यह घटना है ..हुआ यूँ कि रविवार का दिन था और दिन के करीब दो बजे / मदन खाना खाकर आराम करने बिस्तर पर गया ही था कि पेट में हल्का हल्का दर्द महसूस हुआ / वो अकेला ही अपने मकान में रहता था जो हमारे मकान से थोड़ी दूर ही थी / तो उसके मन में क्या सूझी कि वो प्याज का रस और अदरक मिला कर पी गया / सोचा, पेट में गैस के कारण दर्द हो रहा है, और इससे आराम हो जायेगा / लेकिन हुआ इसने उलट / अचानक उसके पेट में भयंकर दर्द होने होने लगा, और इतना तेज़ कि वो बिस्तर छोड़ कर जमीन पर लोटने लगा /

हमारा दूसरा स्टाफ कैलाश जो उसका पडोसी था / उनसे जब उसकी आवाज़ सुनी तो दौड़ कर उसके कमरे में गया और उसकी स्थिति देख कर वो काफी घबरा गया / उसने तुरंत मुझे बुलवा भेजा / Sunday का दिन था , इसलिए हमलोग अपने अपने घर पर ही थे / मैं जल्दी से अपने casual Dress में ही दौड़ कर उसके घर गया / उसकी हालत देख कर हमलोगों ने तय किया कि इसे तुरंत किसी डॉक्टर अथवा हॉस्पिटल में एडमिट किया जाए / हमारे पास ब्रांच की जीप थी .अतः तुरंत जीप लाकर उसे जीप में बैठाया और हम लोग शिवगंज से करीब २ किलोमीटर दूर “सुमेरपुर” के महावीर हॉस्पिटल में ले गया /
वहाँ पता चला कि Sunday होने के कारण day shift में डॉक्टर नहीं है / हमलोग काफी चिंतित थे कि इस छोटी सी जगह शिवगंज में क्या करेगे, जहाँ कोई ढंग का डॉक्टर भी नहीं है / फिर हम लोगों ने फैसला किया कि डॉक्टर का residence इसी हॉस्पिटल के campus में ही है तो क्यों ना उसके घर जाकर मदन की जांच हेतु विनती की जाए / ऐसा ही हुआ / हमलोगों ने डॉ आनंद जैन से विनती की तो वह तुरंत ही हमारे साथ हॉस्पिटल आ गए / तब तक शाम के ६.०० बज चुके थे / डॉ साहब ने गहन चेक अप किया, परन्तु कुछ ख़ास पता नहीं चला कि किस कारण पेट में इतनी तेज दर्द है / उन्होंने Gelusil की पूरी बोतल पिला दी / और कहा कि अगर इससे दर्द कम हो जायेगा तो ठीक वर्ना रात तक ऑपरेशन करना पड़ सकता है / इसके लिए आप सभी जो formality है वो कर ले /

ऑपरेशन की बात सुनते ही मदन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी औए काफी घबडा गया / क्योंकि वो दर्द के कारण बोलने की स्थिति में नहीं था, इसीलिए वो हाथ जोड़ कर डॉक्टर को विनती भरे लहजे में हाथ के इशारे से ही बताने लगा कि मैं ऑपरेशन नहीं कराना चाहता / अभी हमारे छोटे छोटे बच्चे है / उसके इस तरह इशारे से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते देख, हमलोगों की हँसी छुट गई / और जोर से हँस पड़े / परन्तु तुरंत ही हमलोगों ने विकट स्थिति को समझते हुए अपने को संभाल कर उसे समझाने लगा / घबराने की कोई बात नहीं है, अभी हमारे पास दो घंटे का वक़्त है, दवा भी दे दी गई है, आगे भगवान की मर्जी /
परन्तु मदन के आँसू झर- झर बह रहे थे क्योकि उसके परिवार का कोई सदस्य वहाँ उपस्थित नहीं था, बस हमलोग ही परिवार की जिम्मेवारी निभा रहे थे / शिवगंज छोटी जगह होने के कारण सभी बैंक स्टाफ आस पास ही रहते थे और ऐसे विकट परिस्थिति में सब के सब मौजूद थे / सब लोगों ने हाथ उठा कर ईश्वर से मदन को शीघ्र स्वस्थ होने की दुआ मांगी / रात के करीब ११.०० बज चुके थे और ऐसा लग रहा था कि ऑपरेशन ही अब विकल्प है .. कि अचानक पेट से बहुत सारी गैस, जोर से आवाज के साथ बाहर निकला और १० मिनट के बाद मदन हॉस्पिटल के बिस्तर से उठा और घबराहट भरी आवाज में बोला, चलो घर चलते है /

हमलोग को उसके इस व्योहार से बड़ा आश्चर्य हुआ / क्योंकि वो करीब ६ घंटे से संघर्ष कर रहा था और अचानक सब कुछ सामान्य लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं / हमलोगों ने डॉक्टर को धन्यवाद किया और जीप पर बैठ कर वापस घर की और चल दिए / लेकिन रास्ते भर उसकी इशारो से कही वो बात की नक़ल कर के ठहाके लगाते रहे …डॉक्टर साहेब, मेरा ऑपरेशन मत करो …मेरे अभी छोटे-छोटे बच्चे है / …
यह सही है कि जो बुरे समय में साथ खड़ा दिखाई दे ..वही सच्चा मित्र है,.. वही परिवार है,…वही समाज है ..
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Hasna nahi chahiye sir ji
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सही कहा डिअर।अब तो हँस ले।
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thanks for liking my blog..
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