# मन की बात #

आज रमेश ऑफिस से आते ही अपनी पत्नी वंदना से कहा .. सुनो ..आज बाहर  रेस्तरां में जो पिज़्ज़ा (Pizza) का प्रोग्राम है,  मैं सोचता हूँ cancel कर दूँ |

पत्नी समझ गई ,ये corona virus  का जो दशहत  है ,उसी के कारण  शायद बोल रहे  होंगे |  उसने भी तुरंत सहमती में सिर हिला दिया  और कहा — तुम चिंता मत करो, मैं ऐसा डिनर तैयार करुँगी कि वह  रेस्तरां  के पिज़्ज़ा  को भी फेल कर देगा |

और हां जो आज ये होटल के पिज़्ज़ा के ५०० रूपये बचेंगे ना,  उस  ५००/- रूपये को  अपने काम वाली  रूपा बाई को दे देगें,  क्योंकि वो होली के त्योहार  मनाने  दो दिनों की  छुट्टी में अपने बेटी दामाद के पास जा रही है |

परसों ही  होली है | इतनी महंगाई बढ़ गई है वो कैसे  festival celebrate करेगी ?

रमेश टालने के इरादे से कह दिया —  बाई को  पैसे  अगले त्यौहार पर दे देंगे | 

इस पर वंदना को बुरा लग गया और दुखी स्वर में बोल पड़ी.–. मेरी तो घर में चलती ही नहीं है | पत्नी का मूड बिगड़ता  देख . राजेश अपने को  सुधार  कर बोला –..ओ. के. बाबा , तुमा जैसा उचित समझो, वो करो |

बात आई और गई | वंदना का मूड फिर ठीक हो गया और ऐसा डिनर तैयार किया कि  ६ साल का उनका  मुन्ना बोल पड़ा .–.वाह मम्मी,  क्या स्वादिस्ट  खाना बना है |

सब लोग खुश थे कि डिनर का मजा भी आया और पिज़्ज़ा के ५००/- रूपये  भी बच गए | हालाँकि वंदना ने रमेश को दुसरे दिन बता दिया कि उसने वो ५००/- रूपये  रूपा  बाई को दे दी है  | रमेश ने कोई ख़ास  ध्यान नहीं दिया \

रूपा  बाई तीसरे दिन त्यौहार मनाने के बाद वापस काम पर वापस आ गई  और वो बहुत खुश लग रही थी |

  अधिक मन लगा कर सलीके से घर का सारा काम कर रही थी और मन ही मन कुछ गुनगुना रही थी |

तो रमेश ने यूँ ही उससे पूछ लिया — , कैसा रहा तुम्हारा त्यौहार ?  कैसे रही तुम्हारी visit जो तुम बेटी दामाद के पास गई थी होली मनाने ? 

वो खुश होते हुए बोली — बहुत अच्छी रही  साब | मुझे मैडम जी ने  जो ५०० रूपये  दिए थे,  उससे मैं  त्यौहार बहुत अच्छी तरह  मना सकी |

रमेश ने कहा कि अगर  तुम्हे बुरा ना लगे तो एक बात  पूंछू कि तुम ने  वो ५०० रूपये खर्च कैसे किए ?

जी,  साब जी.. क्यूँ बुरा लगेगा |

वो बताने लगी –..१५०/- रूपये  की नातिन का फ्रॉक ख़रीदा,  और ४० रूपये की उसके लिए सुंदर सी  गुडिया भी | ५०/- रूपये  भाड़ा में, और 60 रूपये की सभी घरवालों के लिए मिठाई ले ली |

और अपनी बेटी के लिए चूड़ियाँ भी ले गई २५ रूपये की और अपने दामाद के लिए ५० रूपये की  सुंदर सा बेल्ट भी ख़रीदा |

  चूँकि त्यौहार का मौका था, तो मैंने ५० रूपये मंदिर में दान भी कर दिए | और बचे हुए  60 रूपये लौटते समय  अपनी बेटी को दे दिए,  ताकि उसकी बेटी  अगले class में जब  जायेगी ना, तो उसके लिए कॉपी पेंसिल और किताब खरीद सके | 

  सभी लोग गिफ्ट पाकर खूब खुश हुए और मेरा त्यौहार बहुत  अच्छा रहा | उसके चेहरे की ख़ुशी देखी जा सकती थी |

रमेश उसे खुश देख कर सोच  में पड़ गया  — सिर्फ ५०० रूपये में ही  इतना कुछ कर लिया और पुरे परिवार  ने  जीतना ख़ुशी महसूस किया,  क्या हम एक पिज़्ज़ा खा कर उतनी महसूस कर सकते थे ?

रमेश के सामने वो पिज़्ज़ा घुमने लग गया जो  ब्रेड के वो आठ slice ,  जिस पर हम  यूँही  ५०० रूपये खर्च कर देते है |

उसने अपने  उस पिज़्ज़ा को उसके खर्चो से  compare करने लगा |

उस पिज़्ज़ा के आठ slice में  पहला slice  से उस बच्ची का ड्रेस आ गया, |  

दूसरी slice में उसके लिए doll आ गई | ,  तीसरी में पुरे घर के लिए मिठाइयाँ आ गई | चौथे में बस का किराया पांचवे में उसकी बिटिया के लिए चूड़ियाँ और छठे में दामाद के लिए वो बेल्ट,|  

सातवे slice  में भगवन के मंदिर में दान भी  हो गई  और आठवें टुकड़े से उसकी नातिन की पढाई की कॉपी किताबे भी आ गई | 

कितना कुछ  ख़रीदा जा सका  उस एक ५०० रूपये में जो रमेश और उसके परिवार के लिए सिर्फ एक पिज़्ज़ा के बराबर थे |

यह सच है कि हमलोग ख़ुशी पाने के लिए रेस्टोरेंट में जाकर जो ५०० रूपये खर्च देते है |,

शायद उससे ज्यादा ख़ुशी की अनुभूति अभी हो रही थी जो उस पैसे को  वंदना ने उस बाई को दिया था | यह सत्य है कि हमलोग का दिया हुआ छोटा सा गिफ्ट किसी के लिए बहुत मायने रखता  है |

आज तक रमेश ने शायद पिज़्ज़ा का एक ही साइड देखा  था लेकिन  आज रूपा बाई ने  पिज़्ज़ा का दूसरा साइड भी दिखा दिया |

उसने जाना कि असली ख़ुशी तो दूसरों को ख़ुशी  देने  से मिलती है | हम अपने ऊपर कितने पैसे खर्च करते है ताकि हमें  ख़ुशी प्राप्त हो |

यदि दुसरो को  भी थोड़ी मदद करें तो हमें ज्यादा ख़ुशी महसूस होगी |  

किसी ने ठीक ही कहा है कि ज़िन्दगी जीने का मतलब खुश रहना है और इंसानियत का मतलब है दूसरों को ख़ुशी देना |

खुशियाँ बटोरते बटोरते ज़िन्दगी निकल गई पर बाद में पता चला कि खुश तो वो  है .. जो खुशियाँ बाँट रहे है |

कैसी लगी मेरे मन की बात ?….. जरा सोचिये, कब आपने किसी की ख़ुशी के लिए थोडा प्रयास किया ??

 BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,

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Categories: motivational, story

6 replies

  1. Gd morning have a nice day sir ji

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  2. very Good morning dear..how do you like my blog..

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  3. Very nice

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  4. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Never think I have nothing ..
    Never think I have everything…
    But, always think …I have something
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