
आज corona virus (COVID-19) का डर इतना भयावह हो गया है कि हर इंसान एक दुसरे से नज़रे चुराता फिर रहा है, हर आदमी एक दुसरे को दूर से ही नमस्ते करके निकल जा रहा है / भाई-चारा तो जैसे बिलकुल ही खत्म हो गया है / और हो भी क्यों नहीं /
हर मनुष्य को अपनी जान की फिकर है / उसे पता है कि अगर वह इस रोग की चपेट में आ गया तो इसकी दवा भी नहीं, और डॉक्टर भी इस भय का फायदा उठा रहे है , और अस्पताल और डॉक्टर कि क्या कहा जाए ,जैसे भय दिखा कर पहले के ज़माने में डाकू लुटा करते थे /
आज यह सब कुछ क्यों लिख रहा हूँ, तो इसके पीछे बड़ा reason है कि हम कभी कभी अपने को असहाय पाते है / कहते है कि मेडिकल के क्षेत्र में बहुत तरक्की हो गई है / और चाइना तरक्की के मामले में तो बहुत आगे है /
,लेकिन उसका ही यह हश्र देख कर हम सोचने पर मजबूर हो जाते है कि क्या हमें राफेल विमान खरीदना या बड़े- बड़े मुर्तिया प्रतिष्ठित करना ज़रूरी है, जब कि सत्य यह है कि हमारे अस्पताल में ढंग के X- ray मशीन तक नहीं है / आज की ज़रुरत क्या है आइये एक प्रसंग पढ़ते है, हमें इसका उत्तर मिल जाए जाएगा / ….लेकिन एक बार पूरा पढ़ें ….

एक सच और …..
एक बाप स्ट्रेचर पर तडपते हुए अपने बेटे को दिलासा दिला रहा था कि
“बेटा मैं हूँ न ,
सब ठीक हो जाएगा
बस तुम्हारी MRI होना बाकी है
फिर डॉक्टर तुम्हारा इलाज शुरू कर …..”
वो बदकिस्मत बाप अपनी बात पूरी कर पाता उस से पहले ही स्ट्रेचर पर पड़े उसके बेटे को एक भयानक दौरा पड़ा।
बात बीच में छोड़ कर वो उसकी पीठ पर थप्पी मारने लगा।
अपने इकलौते बेटे को यूँ तडपते हुए देख उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे।
6 फिट लम्बा – चौड़ा शरीर था उसका ,
लेकिन अपने बेटे की दुर्दशा देख उसका सारा पौरुष पिघल गया।
बच्चो की माफिक रोने लगा।
उसे उम्मीद थी कि जल्द उसके बेटे की MRI हो जायेगी।
फिर उसको हुई बिमारी का पता चल जाएगा….
और उसका काम हो जाएगा।
होगा क्यों नहीं ?
देश के सबसे बड़े अस्पताल में जो आया था
bahut सारी उम्मीद लेकर आया था।
लेकिन पिछले 1 घंटे से उसका नंबर न आया ।
आता भी कैसे ?
अन्दर पहले से MRI करवाने वालो की भीड़ जो थी।
एक MRI में करीब आधा घंटा लगता है।
और 50 संवेदनहीन लोग उस से पहले लाइन लगा के बेठे थे।
और मशीन 24 घंटे चलती तब भी उसका नंबर शायद दुसरे दिन आता।
देश का सबसे बड़ा अस्पताल !!
देश के नामी गिरामी विशेषज्ञों से लैस अस्पताल !!
हम 21 वी सदी में हैं
हमारी GDP की रफ़्तार सभी देशो को मात दे रही है।
हमने सबसे सस्ता मंगल यान अन्तरिक्ष में भेज दिया।
हर महीने हर सप्ताह हमारा इसरो नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
हमें नुक्लेअर मिसाइल ग्रुप की सदस्यता मिलने वाली है।
हम तेजस जैसे हलके लड़ाकू विमान बना रहे हैं।
पंडूबियाँ बना रहे हैं।
लेकिन हमारे अस्पतालों में X-ray मशीन नहीं हैं
MRI मशीन नहीं हैं।
होंगी भी कैसे ?
यहाँ MRI मशीन बनाने की तकनीक है ही नहीं,
न ही उसके खराब होने पर उसे सुधारने की कोई तकनीक है।
आपको बता दूँ एक उम्दा गुणवत्ता की MRI मशीन करीब 1 करोड़ की आती है।
और ये चीन जापान कोरिया जैसे देशो से आयात की जाती हैं
खराब होने पर या तो मशीन चाइना जायेगी
या वहां से टीम यहाँ आएगी,
इसकी मरम्मत का खर्च लगभग लाखो में आएगा।
अब ये जानकर आपको आनंद की अनुभूति होगी कि 3600 करोड़ की शिवाजी की मूर्ती
और लगभग 2100 करोड़ की सरदार पटेल की मूर्ति क्रमश: मुंबई और गुजरात में बन रही हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है
ये दोनों हमारे गौरव थे.. हैं.. सदा रहेंगे।
इनका मोल इन पैसो से कहीं बढ़कर था।
लेकिन ये भी होते तो कहते कि
“अस्पताल बनाओ..
जरुरी व्यवस्था उपलब्ध कराओ।
उनकी जरुरत की चीजे बनाओ।”
ज्यादा दूर न जाकर
नजदीक आते हैं
मेट्रो के अगले चरण में कुल 4 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
और ये उक्त सभी प्रोजेक्ट अपनी अपनी जगह ठीक हैं।
लेकिन प्राथमिकताए जैसे रोटी, कपडा, मकान ,स्वस्थ्य पीने का पानी ये तो पूरी हों।
सबसे बड़े अस्पताल में कम से कम 10 MRI मशीन हो जाए तो किसका क्या बिगड़ जाएगा ?
मेक इन इंडिया के तहत यहाँ ऐसी जरुरत की चीजे बनने लगेंगी तो किसका क्या बिगड़ जाएगा ?
लेकिन नहीं !!
हमें सबसे ज्यादा जरुरत अभी 36 राफेल लड़ाकू विमानों की है
जिनकी कीमत करीब 36000 करोड़ है
आखिर में वो बिलखता हुआ बाप स्ट्रेचर पे लेटे हुए अपने बच्चे को रोते हुए बाहर ले गया।
शायद हिम्मत टूट गयी थी उसकी
या उस बच्चे की साँसे !! :’
लेकिन रोज मौत देखने वाले अस्पताल की संवेदनाये तो मर चुकी थी
उन्हें क्या फर्क पड़ता है कि कोई मरे या जिए
आज दान की जरूरत मंदिरो से ज्यादा अस्पतालों को है……विचार कीजिए /

इसके अलावा एक बात और, आज COVID-19 से जो अफवाह की स्तिथि पैदा हो गई है ..इससे यह महसूस होता है कि लोग डराने का व्यापार कर रहे है /
social media भी डर बेच रहा है, दवा और sanitizer और mask जैसी चीजे मार्किट से अधिक दामो में मिल रहे है / चाइना बीमार क्या हुआ, दुनिया की इकॉनमी ही crash करता दिखने लगा /
इसका मतलब सिर्फ इतना है कि हम china पर ज़रुरत से ज्यादा निर्भर है / हम वो सामान खुद निर्मित नहीं करते जिसे आयात किया जाता है / हमारी बहुत सारी इंडस्ट्रीज china के कारण ही बंद पड़े है, हमारा Toy Industries, कपडा उद्योग, को revive करने का समय है /
कहते है ना कि जब कोई setback आती है ज़िन्दगी में ..तो यह opportunity भी लाती है / और यह सही भी है कि ज़रुरत ही अविष्कार की जाननी है / हम मेक इन इंडिया के तहत फिर हम अपने पैरों पर खड़े हो सकते है / यह डरने का समय नहीं है बल्कि grow करने का समय है, और दौड़ में दुनिया से आगे निकल जाने का है /
एक बात और
हमें बताया गया है कि भारत में प्रति ब्यक्ति 17 रूपये medical सुविधाओ के लिए खर्च होता है जब कि डिफेन्स पर प्रति ब्यक्ति 1700 रूपये खर्च होता है
कैसी विडंबना है यह
मारने की लिए पूरी तैयारी पर बचाने के लिए ?
ज़रा सोचिये…
क्या सही क्या गलत…
क्योंकि डर के आगे…जीत है ?

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSSED ….. BE ALIVE,,
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Kiya bat h sir ji
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बहुत बहुत धन्यवाद्
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Welcome sir ji
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Very realistic and thought provoking revealation. Carry-on.
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Thank you dear .. your word is enough to keep me continuing writing my blog . stay connected..
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