आज की सुबह कुछ अजीब महसूस कर रहा हूँ / रोज की तरह आज भी सुबह ठीक 5.०० बजे हमारी नींद खुली थी , लेकिन मेरे दिल और दिमाग के बीच एक जंग छिड़ी हुई थीं , दिमाग कह रहा था यह social media बहुत बुरी चीज़े है लेकिन दिल मानने को तैयार नहीं था /
दिमाग ने तो बहुत सारी दुष्परिणाम गिना भी दिए , कहा कि… सुबह सुबह मोबाइल ले कर बैठ जाते हो | , घर में कोई भी काम का ध्यान भी नहीं रखते, चलो यहाँ तक तो ठीक है, परन्तु तुम अपना भी ख्याल रखना भूल गए हो /
दिल मेरा थोडा सोच में पड़ गया, फिर कुछ संभल कर कहा…. यह बात तो तुम्हारी सही है | लेकिन social media में खराबी नहीं है बल्कि ज्यादा देर मोबाइल में अपने को engage रखना बुरी बात है |
social media के बहुत से फायदे भी है. सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप कभी अकेला महसूस नहीं करते हो | एक click से दुनिया की सैर कर आते है . अपनी health टिप्स से अपने को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है |
और तो और, फेसबुक पर भूले बिसरे फ्रेंड्स भी मिल जाते है, जिसे पा कर मन प्रसन्न हो जाता है | हमारा अल्टीमेट Goal तो अपने को खुश रखना ही है ना |
मेरी अलसाई शरीर दोनों की बाते बड़े गौड़ से सुन रहा था | वह सोचने लगा… दिल और दिमाग के अलावा भी बहुत सारे मित्र बना रखे है इस शारीर के अन्दर |
जी हाँ , मेरे बहुत दोस्त है इस शारीर में , दिमाग, दिल, सुख, दुःख, यादें, गुस्सा, प्यार, ये सभी मेरे मित्र ही तो है | लेकिन कभी कभी इन दोस्तों से ताल-मेल बिठाने में परेशानी हो जाती है |
जैसे, कल की बात है, मेरी ख़ुशी से अनबन हो गई |और उसी समय दुःख से दोस्ती हो गई | शाम तक फिर ख़ुशी आकर मुझसे चिपक गई .बस फिर दोस्ती हो गई | मैं बिलकुल बच्चो जैसी हरकत करता रहता हूँ न |
सच , एक पल में किसी से तो दुसरे पल में किसी से दोस्ती कर लेता हूँ, बिलकुल बच्चो की तरह |
लेकिन ठीक ही तो है…. बच्चा बन कर जीना | लोग कहते है कि बहुत समझदार बन कर देख लिया, लेकिन जो ज़िन्दगी का मज़ा बच्चा बनकर जीने में मिला वो समझदार बन कर नहीं मिला. |
.मेरी यह घटना आज मेरे दिल की बगिया में एक कविता को जन्म दे दिया है ….हाँ , मेरी कल्पना ही है …/
खुशियों से अनबन
कल रात ..अचानक मेरी “खुशी” से अनबन हो गई
हालांकि जाते हुए मुड़ मुड़ कर देख रही थी,
मैंने भी वापस बुलाना मुनासिब नही समझा..
क्योंकि उसी समय “उदासी” मेरे पास आकर बैठ गई..
कहने लगी मुझसे मुहब्बत कर ले
मैं एक बार चिपक गई तो दूर तलक साथ चलूंगी..
मैं अपने वादे की सच्ची हूँ ..धुन की पक्की हूँ..
एक बार गले लगा कर तो देखो,..खोने का डर कभी ना होगा..
मैं इसी उधेड़ बुन में करवट बदलता रहा..कि,
खुशी को दूर खड़ी मुस्कुराता हुआ देखा..
ना चाहते हुए भी इशारा से अपने पास बुलाया..और..
मैं अपनी गलतियों का इजहार कर डाला,
उसने भी रुंधे गले से सीने से लग गई
और साथ साथ जीने मरने की कसमें खाई,
सिलसिला चल ही रहा था.. कि आँखे खुल गई..
सपनों की दुनिया से हकीकत तक का सफर यूँ था..
मैंने फिर अपनी आंखें बंद कर ली..मन अब शांत था..
नींद में ना सही.. हकीकत में बात कर ली
मैं पास सोई हुई मेरी खुशी(पत्नी) को नींद से जगाया
अपने इस घटना क्रम से अवगत कराया..
मैं ने साफ साफ दो टूक लहजे में कह दिया
तुम “खुशी” हो, छोटी छोटी गलतियों में नाराज़ ना होना..
“उदासी” को अपनी सौत समझना..
उस की तरह ही लंबी साथ निभाना..
खुशी जब तक साथ है, तो फिक्र की क्या बात है…
BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: kavita
Nice
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thanks
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This is a good one. Keep writing
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Thank you sir, I was waiting for your comments …
your words motivate me to continue writing..
stay connected and stay happy ..
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