
ज़िन्दगी क्या है यह जानने के लिए जिंदा रहना जरूरी है। चाहे ज़िन्दगी में कितनी ही रुकावटें आए, तकलीफ़ें आए उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए। हमे अपनी ज़िन्दगी से प्यार करना चाहिये। लेकिन कभी कभी ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी की रफ्तार हमारी सोच से अधिक तेज हो गई है, तब दिल के एक कोने से आवाज़ उठती है कि…
धुआँ -धुआँ, हर तरफ धुआँ है,
धुएं की साए में लिपटी ये ज़िन्दगी
घुट- घुट कर सरकती जा रही है ..
साँसों में घुटन ,. दिल मे बेचैनी है,और
धीरे- धीरे तू सिमटती जा रही है..
सब कुछ पाने की चाह में,
धीरे- धीरे तू लुटती जा रही है ।
फिर भी इंसान की अजीब चाहत है ..
अपने दुखों को बेच देना चाहता है,
और सारे सुखों को खरीद लेना चाहता है..
बस ,इसी जद्दोजहद में ऐ ज़िन्दगी
तू यूँ ही चलती जा रही है..
……….……विजय वर्मा..

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Bahut khaub
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