
जब दिल बीमार हो जाता है, तब डॉक्टर उस दिल का ऑपरेशन करता है और वो दिल की सारी गन्दगी को बाहर निकाल कर उसे फिर से निर्मल और पावन कर उसे धड़कने लायक बना देता है /
क्या कुछ ऐसा ही हो, कि अपने बीमार मन का भी चिड फाड़ करें, वही मन …जिसे हम वर्षो से लिए घूम रहे है , कितनी सारी बातें भरी है इसमें , किसी के बारे में अच्छा तो किसी के बारे में बुरा, कुछ मीठी यादें, तो कुछ कडवी यादें , इतनी सारी बेवजह और फालतू बातें जमा हो गई है ,कि ठीक तरह खुलकर स्वांस भी नहीं लिया जाता /
इसको मंथन करने की आवश्यकता है …,इससे सारी विष निकाल कर फिर से एकदम कोरा किया जाए, जैसे हमारा मन बचपन में हुआ करता था ,… ना फालतू की इच्छा,… ना किसी से इर्ष्या , …ना द्वेष, और ना मन में किसी के प्रति नफरत हो /
बस प्यार ही प्यार ,निर्मल और पवन मेरा मन / चलो आत्म-मंथन करें…

चल , आज तुझे तुझसे ही मिलवाता हूँ,
बहुत दिन हुए, तुझे तुझसे बात करवाता हूँ
आँखे बंद कर …सपनों में जीने वाले,
आज हकीकत से रु ब रु करवाता हूँ..
समस्याएं तेरी हर जगह गाँठ बांधे बैठी हैं,
आज उन रस्सियों के गाँठ खुलवाता हूँ
चल , आज तुझसे ही तुझको मिलवाता हूँ
तू ने किया था ..कुछ वादा किसी से,पर
लोगों की खुशी के लिए तोड़ दिया था ..
जानता हूँ मैं ..यह तुम्हारी मज़बूरी थी,
पर, इतनी कायरता क्या.. ज़रूरी थी ..
वैसे तूने जितना सोचा, उससे ज्यादा पाया,
ज़िन्दगी के सभी सुखों चैन खरीदा है
फिर भी मन की शांति ना खरीद पाया है..
आज तेरे पास किसी चीज़ की नही कमी है
फिर भी रहता तेरी आँखों मे सदा नमी है
आज, तुम्हारा वो राज़ खुलवाता हूँ
चल, आज तुझसे ही तुझको मिलवाता हूँ..
विजय वर्मा..

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
If you enjoyed this post, don’t forget to like, follow, share and comments.
Please follow the blog on social media….links are on the contact us page