
काश, मैं ज़िन्दगी की किताब पढ़ सकता कि आगे क्या होने वाला है | मैं कब और क्या पाने वाला हूँ और मेरा दिल क्या खोने वाला है ??…
मुझे कब ख़ुशी मिलने वाली है और कब दिल रोने वाला है ? काश ऐसा होता तो…मैं फाड़ देता उन लम्हों को जिन्होंने मुझे रुलाया है और जोड़ देता उन पन्नो को जिन्होंने मुझे हंसाया है |
वक़्त से आँखे चुराकर मैं पीछे चला जाता और उन टूटे सपनो को फिर से सजा पाता … कुछ पल के लिए ही सही … मैं .फिर से मुस्कुरा पाता…..फिर से जी पाता …. मै...

आज मैं अपने ज़िन्दगी की किताब खोले बैठा हूँ
पलट कर गौर से देखता हूँ उन भरे हुए पन्ने को..
जो बीते दिनों की खट्टे- मीठे अनुभव कराती है
जैसे वक़्त के पटल पर. ज़िन्दगी कहानी सुनाती है
कुछ पन्नो में ढेर सारी खुशिओं का जिक्र,
तो, कुछ लम्हे .. आँखों को गीली कराती है ,..
कुछ में सफलता के कुछ स्वर्णिम पल है
तो कुछ असफलता के अनुभव कराती है ,
ज़िन्दगी कुछ पल ठहरा भी दिखा , और
कुछ पलों ने तो ज़िन्दगी को झक्कास किया है
जंगे ज़िन्दगी में.. जीत की ख़ुशी का जशन ,
तो कुछ घटनाएँ मौत के दर्शन भी कराती है,
कुछ पन्नो ने गैरों को दिल के करीब कर गया
तो कुछ में अपनों को मुझ से दूर दिखाती है
आज उन बीते लम्हो का हिसाब लिए बैठा हूँ
आज ,मैं अपने ज़िन्दगी का किताब लिए बैठा हूँ //
…विजय वर्मा ..

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
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Categories: kavita
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thank you sir, I request you to please read my all article and suggest me for improvement..
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मेरे दिल ने फिर से धड़कना शुरू किया है ,
मेरे आँगन के फूलों ने भी महकना शुरू किया है ..
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