
वैसे तो अध्यात्म (Spirituality) को परिभाषित करना आसान नहीं है .अलग अलग लोग अपनी तरह से इसे समझते है ,कुछ का मानना है कि अध्यात्म
किसी ने कहा है spirituality बुढ़ापे की चीज़ है / लेकिन बुढापा कहते किसको है ..बुढापा की परिभाषा तो कोई बताएं ..
क्या मुँह में दांत ना हो और पेट में आंत ना हो, तो बुढापा आ जाता है ? , या सिर पर बाल ना (bald) हो, या चलने फिरने में असमर्थ हो जाए.? नहीं, बुढापा, तब नहीं आती है /
साधारण भाषा में जब मौत निकट आ जाती है तो हम मानते है की बुढापा आ गई है / लेकिन क्या मौत की कोई गारंटी ले सकता है कि वो बुढ़ापे में ही आएगी ? बिलकुल नहीं, मौत तो कभी भी आ सकती है /
या फिर जब हमारी सारी इच्छाएं समाप्त हो जाए | हम सोच से बूढ़े होते है / लोग कहते है बुढापा आ गया यानि अब जाने का वक़्त आ गया | नहीं, यह बिलकुल मैं नहीं मानता, मौत तो किसी को भी कभी भी आ सकती है / मौत दस्तक देकर नहीं आता …
इसलिए ना मैं अपने को बुढा समझता हूँ ना मौत से डरता हूँ / सिर्फ ज़िन्दगी को एन्जॉय करना चाहता हूँ / लोग कहते है बुढापा में अध्यात्म (spirituality) को अपना लेना चाहिए मतलब अब सारे कर्मो को छोड़ कर भगवान और भक्ति में लीन हो जाना चाहिए / ताकि मरने के बाद “मोक्ष” की प्राप्ति हो सके /
मुझे एक घटना याद आ रहा है , एक हमारे दोस्त के पिता काफी बूढ़े हो गए थे और उनको लग रहा था कि अब उनकी मृत्यु होने वाली है , तो उन्होंने अपने बेटे से कहा, मैं बनारस नगरी में मरना चाहता हूँ. कारण पूछने पर पता चला कि बनारस नगरी में मौत होने से “मोक्ष” प्राप्त होता है मैं सीधा स्वर्ग में जाऊँगा /
सुन कर तो लोगों को अजीब लगा पर उनकी इच्छा थी, सो बनारस में एक मित्र की मदद से एक छोटा सा रहने के लिए घर ले लिया, और अपने पिता जी के साथ वह आ गया / इसी तरह कुछ दिन बीत गए, पर उनकी मौत नहीं आई / तो सबने पिता जी को समझा-बुझा कर वापस बनारस से अपने घर ले आया और घर आते ही तीन दिनों के बाद उनकी मृत्यू हो गई / पता नहीं उन्हें स्वर्ग मिला या नहीं |

एक और घटना के बारे में कहीं पढ़ा कि “मृत्यु की देवी” एक बड़ा ही होशियार और धनवान व्यक्ति के घर पहुँच गई, और कहने लगी तुम्हारा समय इस धरती पर समाप्त हो चूका है | अब चलने के लिए तैयार हो जाओ /
उसने कहा कि मैं बिना appointment के कोई काम नहीं करता , आप के पास मेरा मिलने का appointment है / तो मौत देवी ने कहा मैं कही appointment लेकर नहीं जाती हूँ, जिसका लिस्ट में नाम आ जाता (time पूरा हो जाता ) है उसे चलना होता है / वो व्यक्ति ने लिस्ट में अपना नाम सबसे ऊपर देख लिया /
तो इसपर उस धनवान व्यक्ति ने कहा आप हमारे घर पर पधारे तो आप पहले कुछ खा पी लीजिए तो फिर हम चलते है / मृत्यू देवी ने कहा चलो तेरी ये अंतिम इच्छा पूरी कर देती हूँ / सेठ के द्वारा परोसे सभी स्वादिस्ट पकवान को खा कर पेट भर लिया और ऊपर से लस्सी भी एक गिलास पी लिया / बस फिर क्या था , उसे नींद आने लगी और वो वही सो गई |
सेठ तो यही चाहता था / उसने वो लिस्ट लिया और अपना नाम सबसे ऊपर से काट कर निचे कर दिया / सोचा जब “मृत्यू की देवी” नींद से जागेगी तो बोल दूँगा तुम गलत जगह आ गई हो / लिस्ट में तो मेरा नाम उपर नहीं है / थोड़ी देर के बाद जब मृत्यू देवी की नींद खुली तो वो बहुत खुश दिखी ओर खुश हो कर बोली– आज मैं बहुत खुश हूँ, इतना अच्छा से स्वागत किसी ने अब तक नहीं किया /

इस लिए फैसला किया है कि आज लिस्ट को मैं ऊपर से नहीं सबसे नीचे की नाम से शुरूवात करुँगी |और उस सेठ की चालाकी भी काम नहीं आई, और साथ जाना पड़ा / इससे यही पता चलता है कि हम मौत को कभी भी टाल नहीं सकते …
अब सवाल उठता है कि क्या बुढापा में ही (spiritual) भगवान में मन लगाना चाहिए ? मैं इसे नहीं मानता / जवानी के दिनों में कोई भी अच्छी आदत डाला जाए तो वो बुढ़ापे तक असरकारक होता है /बुढापा में कोई नया आदत डालना कठिन होता है / spirituality तो बुढापा आने के बहुत पहले ही अपना लेना चाहिए /
लेकिन , इससे पहले spirituality क्या है यह जानना आवश्यक है …… Spirituality is the way for searching of meaning, purpose and direction of life ,It deals with understanding the nature of the Soul..
एक दिन बुढापा को आना है और मौत भी आना है| चाहे हम अपने चेहरे की कितनी भी सर्जरी करा कर झुर्रिओं को हटा लें./
हम आने वाले कल को नहीं जानते ,कब क्या होगा कोई नहीं जनता | बुढ़ापे में अपनी आदत बदलना मुश्किल होता है.., बेहतर हो इसकी शुरूवात जवानी के दिनों में की जाए | तो याद रहे spiritual practice केवल मोक्ष प्राप्ति हेतु नहीं बल्कि एक सुखी जीवन जीने के लिए भी आवश्यक है |

BE HAPPY… BE ACTIVE … BE FOCUSED ….. BE ALIVE,,
If you enjoyed this post, don’t forget to like, follow, share and comments.
Please follow the blog on social media….links are on the contact us page
It’s true lines… Sir
Achee Karm krte rhiye.zindagi moth ki fikrr nhi krni cahiye
Ye too kbhi bhi aaskti h.
Rooj ache se khul ke jina cahiye
Or sahi ka sath Dena cahiye…
LikeLike
Yes dear, we should enjoy our life without fear..
LikeLike
Liked the short story of maut ki devi
LikeLike
हहाहाह..धन्यवाद् /
LikeLiked by 1 person